गुजरात के मोरबी में पुल के गिरने से 135 लोगों की मौत हो गई थी और इस घटना के तीन दिन बाद भी खराब मरम्मत के लिए जिम्मेदार ‘The Oreva’ कंपनी का मालिक अभी तक लापता हैं।
इस कंपनी को मार्च महीने में पुल के रखरखाव के लिए 15 साल का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था किंतु पुल की मरम्मत करके सात महीने बाद जो कि तय समय से पहले ही पुल को जनता के लिए खोल दिया गया।
बता दें मोरबी नगर निकाय ने बिना बोली के इस कंपनी को यह कॉन्ट्रेक्ट दिया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि ओरेवा के एमडी जयसुखभाई पटेल इस हादसे के बाद से ही लापता हैं। साथ ही अहमदाबाद में कंपनी का फार्महाउस भी बंद हैं और वहां एक भी सुरक्षा गार्ड भी मौजूद नहीं हैं।
हादसे के बाद से लगातार विपक्ष और हादसे में बचे लोग लगातार पुलिस प्राथमिकी पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि इसमें कंपनी के शीर्ष अधिकारी और नगर निकाय के अधिकारियों का नाम नहीं है, उन्होंने कई खामियों के बावजूद इस कॉन्ट्रैक्ट को साइन किया था।
पी चिदम्बरम् ने ट्वीट कर कहा कि, “मोरबी त्रासदी के 48 घंटे बाद भी गुजरात सरकार और भाजपा बुनियादी सवालों का जवाब क्यों नहीं दे रही हैं? और एफआईआर में ओरेवा कंपनी के मालिकों और नगरपालिका अधिकारियों का नाम क्यों नहीं लिया गया? ”
आपको बता दें, मंगलवार को कोर्ट में बताया गया कि, पुल की मरम्मत करने वाले ठेकेदार ऐसे काम के लिए योग्य नहीं थे फिर भी इन ठेकेदारों को वर्ष 2007 में और फिर वर्ष 2022 में पुल की मरम्मत का काम दिया गया था।
पुल का फर्श बदल दिया गया था लेकिन उसके पुराने केबल बदले नहीं गए थे। अभियोजन पक्ष ने एक फोरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि केबल नए फर्श का वजन नहीं सहन कर पाए और टूट गए। फर्श में इस्तेमाल होने वाली चार-परत की एल्यूमीनियम शीट की वजह से पुल का वजन बढ़ गया था, और केबल इसे झेल नहीं पाई।