मोरबी पुल हादसे का मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुँच गया है। इस हादसे में 134 लोगों के मौत हो गयी थी और कई अन्य घायल हो गए थे। इस बीच गुजरात सरकार ने हादसे के चार दिन बाद 2 नवंबर को गुजरात में राज्यव्यापी शोक मनाने का निर्णय किया है। इस बीच हादसे को लेकर जो जानकारियां सामने आ रही हैं उनसे साफ़ लगता है कि पुल जनता के लिए खोलने के मामले में घोर लापरवाही बरती गयी।
देश भर को दुःख में भरने वाले इस हादसे को लेकर अब सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी है। सर्वोच्च अदालत में इस हादसे को लेकर जनहित याचिका दाखिल (पीआईएल) दायर की गयी है। इस पीआईएल में दुर्घटना की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एसआईटी जांच कराने की मांग की गई है।
सर्वोच्च अदालत में दायर दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए देशभर में जितने भी पुराने पुल या स्मारक हैं, वहां होने वाली भीड़ को मैनेज करने के लिए नियम बनाए जाएं। सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने यह जनहित याचिका दाखिल की है।
उधर मोरबी में पुल गिरने के हादसे के एक दिन बाद पुल की मरम्मत करने वाली कंपनी ओरेवा के दो अधिकारियों सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, कंपनी के मालिक के खिलाफ कुछ नहीं किया गया है। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी भी पुल त्रासदी के बाद से लापता हैं। बता दें कंपनी ओरेवा को कई खामियों के लिए दोषी ठहराया जा रहा है, जिसमें फिटनेस प्रमाणपत्र लेने में कथित विफलता और समय से पहले पुल को फिर से खोलना शामिल है।