प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (20 जुलाई) को संसद में लाए गए विपक्ष के प्रस्ताव को खानदानी जमाने की कोशिश करार दिया। उन्होंने कहा, यहां हैं क्योंकि हमारे पास संख्या बल है। सवा सौ करोड़ देशवासियों का हमें आशीर्वाद है। आप इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उन लोगों का अपमान न करें।
सदन में पेश अविश्वास प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे प्रधानमंत्री। उन्होंने कहा राफेल विवाद यहां छेड़ा गया। मैं कल्पना नहीं कर सकता कि सत्य को इस प्रकार रौंदा जाता है। बार-बार चीख कर आप देश को गुमराह करने का काम कर रहे हो। यह दुखद है कि इस सदन मेें लगे आरोप पर दो देशों को खंडन करना पड़ा। देश की जनता भली-भांति जानती है कि अब सुधरने का मौका है। मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि यह समझौता दो जिम्मेदार सरकारों के बीच पूरी पारदर्शिता से हुआ।
इसके पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बहस में भाग लेते हुए कहा संसद में बेवजह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। जो पार्टियां इसे लाई उनका आपस में भरोसा नहीं है। आज जो विपक्ष एकजुट दिख रहा है, नेता चुनने के वक्त यह बिखर जाएगा।
देश की सुरक्षा स्थिति को बेहतर बताते हुए उन्होंने कहा चार साल में एक भी बड़ी आतंकवादी घटना नहीं हुई। पूर्वोत्तर में उग्रवाद घटा है। हमने कभी अपने सैनिकों के हाथ नहीं बांधे, जिसका नतीजा है, वे आतंकियों का खुलकर मुकाबला कर रहे हैं।
लोकसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे में अनियमितता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, इस सौदे पर रक्षामंत्री ने भी असत्य कहा। प्रधानमंत्री चौकीदार नहीं, बल्कि भागीदार हैं। उन्हें यह बताना चाहिए कि राफेल सौदे का प्रारूप अचानक क्यों बदला गया। इसका जवाब देते हुए रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, समझौते की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती।
संसद में कुल सदस्य हैं 533 इनमें सदन में अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष के 201 सदस्यों ने रखा था। इसमें 37 सदस्य गैर हाजिर थे। एनडीए के 295 सदस्य एकजुट थे। इस अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरूआत भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए में अभी हाल तक साथ रही तेलुगु देशम ने रखा जिसे कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने समर्थन दिया। अविश्वास प्रस्ताव गिरने का अनुमान सभी विपक्षी नेताओं को था क्योंकि 2014 में प्रचंड बहुमत पाकर भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी।
लेकिन इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष ने देश में बढ़ती बेरोज़गारी, बढ़ते भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा में चूक, आदि मुद्दों को संसद के जरिए पूरे देश के सामने फिर रखा। सत्ता का नेतृत्व संभाल रही पार्टी ने वही पुराना राग कि हर बुराई की जिम्मेदार वह कंाग्रेस सरकार है जो 44 साल से राज करती रही है। फिर चार साल में नई सरकार ने क्या कुछ कर दिखाया। देश भर में धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए भीड़तंत्र के बहाने समाज में दहशत फैलाने के लिए हत्याएं और दंगे बढ़े ही हैं। साथ ही अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अपरोक्ष तरीके से बंधन और सख्त हुए हैं।
सत्ता पक्ष ने विपक्ष की इस चुनौती से निपटने की पूरी तैयारी कर ली थी। हालांकि उसे विपक्ष के संख्या बल की कमज़ोरी का पूरा ध्यान था। फिर भी अपने संख्याबल के साथ ही ह्विप जैसे मजबूत हथियार को भी साथ रखा। जिसके चलते पार्टी के अंदर बैठे आलोचक भी कुछ न बोल सके। यह ज़रूर साफ हुआ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस से कि अब भाजपा मूल मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए संसद में और बाहर संसद की गरिमा, नियम-कानून और परंपरा पर नई बहस छेड़े। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सदन के अंदर बैठे हुए प्रधानमंत्री की झप्पी ली। लेकिन प्रधानमंत्री शिष्टाचार में खड़े भी न हो सके। उधर राहुल अपनी मंशा पूरे देश और दुनिया को जताने में कामयाब रहे।
अविश्वास प्रस्ताव के बहाने विश्वास बटोरने की तस्वीर बनाने की कोशिश को भुलाया नहीं जा सकता। अविश्वास प्रस्ताव पर तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के गुंटूर से सांसद जयदेव गल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश की जनता के साथ धोखाधड़ी की। केंद ने राज्य को विशेष दर्जा देना था। लेकिन यह वादा भी पूरा नहीं हुआ। अविश्वास प्रस्ताव चार कारणों से लाने पर हम मजबूर हुए हैं- 1 विश्वास में कमी 2 भेदभाव 3 प्राथमिकता की कमी और 4 वादों को लेकर जनता से धोखा है। आज वादों और नैतिकता की लड़ाई है। आंध्र की जनता केंद्र सरकार की अनदेखी पर उसे श्राप दे रही है।
वहीं भाजपा के हरी बाबू खंबपत्ति ने कहा विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा भाजपा ने ज़रूर किया लेकिन 14 वे वित्तआयोग की सीमाओं के चलते हम यह दे नहीं सके। लेकिन बिना नाम दिए राज्य को सुविधा दे रहे हैं।
तेलंगाना राष्ट्र समिति के विनोद कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने तेलंगाना से खम्माम जि़ले के सात मंडल आंध्र प्रदेश को दिए थे। आंध्र प्रदेश पुर्नगठन अधिनियम में संशोधन करके ये मंडल वापस तेलंगाना को लौटाने चाहिए।
तमिलनाडु से अन्नाद्रमुक के केपी वेणुगोपाल ने कहा सरकार को भीड़तंत्र पर रोक लगानी चाहिए जिससे हत्याएं रुक सकें। राज्यों के बीच नदी विवादों का समाधान होना चाहिए। कई योजनाओं में केंद्र ने बकाया राशि नहीं दी वह देनी चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने कहा कि केंद्र के प्रति अविश्वास का प्रस्ताव एनडीए के ही एक घटक तेलुगु देशम ने रखा। यह सरकार में भाजपा की सहयोगी रही है। बीजू जनता दल और शिवसेना के सदस्यों के सदन में मौजूद न रहने से भी बात साफ है।
तेलुगु देशम पार्टी के सांसद एम शिवप्रसाद ने प्रधानमंत्री पर टिप्पणी की। उस पर नाराज हुई रक्षामंत्री। उन्होंने उसे लोकसभा की कार्यवाही से हटाने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने और कुछ अन्य सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सदन में अपनी बात रखने के बाद जब प्रधानमंत्री के पास पहुंच कर उन्हें गले लगाया तो भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने कहा यह संसद है। मुन्ना भाई का पप्पी-झप्पी एरिया नहीं है। फिल्मों में ऐसा होता है। अगर आप मुन्ना भाई बनना चाहते हैं तो मुंबई जाएं।
माकपा के पश्चिम बंगाल के रायगंज से सांसद नेता मोहमद सलीम ने कहा, सरकार विकास के दावे तो करती है लेकिन सही आंकड़ें नही दिखाती। जब पूछा जाता है कि कितनों को रोज़गार दिया तो कोई लेखा जोखा होना चाहिए लेकिन वह नहीं दिया जाता। सरकार ने कहा काला धन वापस आ रहा है, लेेकिन आंकड़ें नहीं हैं। कालेधन पर रोक लगाने के लिए नोटबंदी की, लेकिन आज तक नही पता कि कितना काला धन मिला और कितने नोट वापस आए। नोटबंदी से पहले जितने नोट बाजार में थे इससे कहीं ज़्यादा नोट बाजार में आज हैं। किसानों, युवाओं को इस सरकार ने धोखा दिया। प्रधानमंत्री भाषणों से सिर्फ चुनावी गोल करते हैं।