सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की याचिकाओं पर 9 मई को सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता के लिए उनकी वकील इंदिरा जयसिंह ने सर्वोच्च अदालत से इस मामले की सुनवाई का आग्रह किया था। उधर केंद्र सरकार के लिए महान्यायधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में केंद्र का जवाब तैयार है।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले में वे 9 मई को सुनवाई करेंगे। याद रहे 16 जनवरी को सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि वो तय करेगी कि मेरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाया जाए या नहीं। अदालत ने केंद्र को 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा था।
सर्वोच्च अदालत ने सभी पक्षों से 3 मार्च तक लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ के सामने सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि ‘इस मामले का बड़ा असर होगा। हमने कुछ महीने पहले सभी हितधारकों से विचार मांगे थे। हम इस मामले में जवाब दाखिल करना चाहते हैं।’
मेरिटल रेप अपराध है या नहीं, इस पर दिल्ली उच्च न्यायालय की दो जजों की पीठ का 11 मई को बंटा हुआ फैसला सामने आया था। इसके बाद दोनों जजों ने इस मामले को सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के लिए प्रस्तावित किया था। याद रहे याचिकाकर्ता ने भादंसं की धारा 375( रेप) के तहत मैरिटल रेप को अपवाद माने जाने को लेकर संवैधानिक तौर पर चुनौती दी थी। धारा के अनुसार विवाहित महिला से उसके पति द्वारा की गई यौन क्रिया को दुष्कर्म नहीं माना जाएगा जब तक कि पत्नी नाबालिग न हो।