भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में 21 में से 9 पार्टियों ने की शिरकत
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 7 सितंबर को शुरू होकर 12 राज्यों से होती हुई 30 जनवरी को कुल 146 दिन में क़रीब 3,570 किलोमीटर का सफ़र तय करके जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में ख़त्म हुई। भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने लिखित पत्र भेजकर कुल 21 पार्टियों को आमंत्रण भेजा गया था, जिनमें सिर्फ़ 9 राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने ही समापन समारोह में शिरकत की, जो कि द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (डीएमके), झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा), नेशनल कांफ्रेंस पार्टी (एनसीपी), जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (भाकपा), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) आदि पार्टियों से ही थे। कहा जा रहा है कि कुछ दल भारी बर्फ़बारी के कारण और सुरक्षा कारणों से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन समारोह में शामिल नहीं हो पाये। हालाँकि भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में आमंत्रित 21 पार्टियों में से 12 ने कहा था कि वे समारोह में शामिल होंगी। किन्तु बीएसपी की तरफ़ से समारोह में शामिल होने वाले श्याम सिंह यादव अपनी इच्छा से व्यक्तिगत रूप से इस समारोह में शामिल हुए। उन्हें पार्टी प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता।
बता दें कि, कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने पूरी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कहते आये हैं कि उनकी यह यात्रा बेरोज़गारी, महँगाई, और नफ़रत के ख़िलाफ़ है और इसको राजनीतिक रूप न दिया जाए। किन्तु जिस प्रकार इस यात्रा के अंतिम समारोह में समान विचारधारा वाली सभी विपक्षी पार्टियों को आमंत्रित किया गया, उससे यही कयास लगाये गये कि राहुल की यह रणनीति 2024 लोकसभा चुनावों से पहले सेमी फाइनल का हिस्सा है। हालाँकि राहुल गाँधी ने यात्रा के समापन के अवसर पर शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में 35 मिनट के अपने भावुक भाषण में प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और आरएसएस का भी ज़िक्र करते हुए भाजपा पर हमला बोला। राहुल गाँधी ने कहा कि, मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों और सेना के बलों से कहना चाहता हूँ कि मैं हिंसा को समझता हूँ। मैंने हिंसा सही भी है, और देखी भी है। जिसने हिंसा नहीं देखी, उसे यह बात समझ नहीं आएगी। जैसे मोदीजी हैं, अमित शाह हैं, संघ के लोगों ने हिंसा नहीं देखी है। डरते हैं। यहाँ पर हम चार दिन पैदल चले। और मैं गारंटी देता हूँ कि भाजपा का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकता है। इसलिए नहीं कि जम्मू-कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे, इसलिए क्योंकि वे (भाजपा और आरएसएस वाले) डरते हैं। कश्मीरियों और $फौजियों की तरह मैंने अपनों को खोने का दर्द सहा है। मोदी-शाह यह दर्द नहीं समझ सकते। जो विचारधारा इस देश की नींव को तोडऩे की कोशिश कर रही है, उसके ख़िलाफ़ हम मिलकर खड़े हों। नफ़रत हमारा तरीक़ा नहीं, मोहब्बत से खड़े हों। हम मोहब्बत से खड़े होंगे, प्यार से बात करेंगे, तो हमें सफलता मिलेगी। उनकी विचारधारा को हराएँगे नहीं, उनके दिलों से ही निकाल देंगे। मुझे उम्मीद है कि गोडसे की विचारधारा ने जम्मू-कश्मीर से जो छीन लिया, वह इस देश से वापस मिल जाएगा। राहुल गाँधी ने कहा कि मुझे थोड़ा अहंकार था, वह टूट गया। कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक पूरे देश के लोग मेरे साथ चले।
इधर, झारखण्ड में 26 जनवरी को कांग्रेस के हाथ से हाथ जोड़ो अभियान का शुभारंभ करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने झारखण्ड में कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर सहमति प्रदान कर दी है। वह 11 फरवरी को झारखण्ड से इस कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे। पार्टी का साफ़ कहना है कि हाथ से हाथ जोड़ो अभियान पूर्ण रूप से राजनीतिक अभियान है। बता दें कि हाथ से हाथ जोड़ो अभियान का प्रारम्भ राष्ट्रीय स्तर पर 26 जनवरी, 2023 से ही हो गया है; लेकिन इस अभियान की औपचारिक शुरुआत फरवरी के दूसरे सप्ताह में होने की सम्भावना है। भारत जोड़ो यात्रा के ही दूसरे चरण इस अभियान में पार्टी का चुनाव चिह्न अभय मुद्रा है। इस अभियान के तहत दो महीने में हर गाँव और मतदान केंद्रों को कवर करना इस दूसरी यात्रा का लक्ष्य बनाया गया है। इस अभियान का लक्ष्य बेरोज़गारी, महँगाई जैसे मुद्दों से आम लोगों को जोडऩा भी है।