कुछ रोज पहले छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के बाद लापता हुए सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के एक जवान को लेकर दावा किया गया है कि वह नक्सलियों के कब्जे में है और नक्सलियों ने उसे छुड़ाने के लिए मध्यस्थों की मांग रखी है। इस जवान के परिजन पहले से ही केंद्र सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उसकी जान बचाने के लिए सरकार आगे आये।
अब खबर आई है कि नक्सलियों ने सुकमा और बीजापुर सीमा पर मुठभेड़ के दौरान लापता हुए सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के इस जवान राकेश्वर सिंह मनहास को लेकर दावा किया है कि वह उनके कब्जे में है। साथ ही नक्सलियों ने जवान की रिहाई के लिए सरकार से मध्यस्थ नियुक्त करने की मांग की है। नक्सलियों ने अपना यह संदेश फोन करके इलाके के एक पत्रकार के जरिये सरकार को भेजा है।
पत्रकार के जरिये भेजे सन्देश में नक्सलियों ने स्वीकार किया कि मुठभेड़ में उनके चार साथी मारे गए हैं। नक्सलियों ने कहा कि 3 अप्रैल को सुरक्षा बल के दो हजार जवान हमला करने जीरागुडेम इलाके में पहुंचे थे जिसे रोकने के लिए पीएलजीए (नक्सलियों के गुट) ने हमला किया। इस कार्रवाई में 24 जवान मारे गए और 31 घायल हो गए। नक्सलियों ने बयान में आवा किया है कि एक जवान को बंदी बनाया गया है जबकि अन्य जवान वहां से भाग गए। नक्सलियों ने मांग की है कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम की घोषणा करे इसके बाद बंदी जवान को दो दिन के भीतर सरकार को सौंप दिया जाएगा।
इसके अलावा नक्सलियों के प्रवक्ता विकल्प के नाम से जारी दो पेज के बयान में नक्सलियों ने स्वीकार किया है कि इस मुठभेड़ में उनके चार साथी ओड़ी सन्नी, पदाम लखमा, कोवासी बदरू और नूपा सुरेश मारे गए हैं। उन्होंने कहा है कि वह महिला नक्सली सन्नी के शव को नहीं ले जा सके। नक्सलियों ने बयान में कहा है कि मुठभेड़ के दौरान उन्होंने 14 हथियार, दो हजार से अधिक कारतूस और कुछ अन्य सामान जब्त किया है। बयान के साथ एक फोटो भी जारी की है जिसे लूटे गए हथियारों की फोटो बताया गया है।
इस बीच पुलिस ने कहा कि मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने कम से कम 12 नक्सलियों को मार दिया था। एक महिला नक्सली का शव भी पुलिस ने बरामद किया है। बता दें इस घटना के तुरंत बाद असम में चुनाव प्रचार के लिए गए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल घटनास्थल पर गए थे उधर गृह मंत्री अमित शाह भी छत्तीसगढ़ आ चुके हैं।