मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने देश में 15 दिनों से लगी इमरजेंसी को ख़त्म करने के लिये भारत की मदद मांगी है। नशीद ने कहा है कि ऐसे हालात में भारत को मालदीव में दूत और सेना भेजनी चाहिए।
भारत ने मालदीव के हालात पर चिंता तो जताई है मगर आधिकारिक तौर पर अपनी सेना भेजने के बारे में कुछ नहीं कहा है।
लेकिन कुछ रिपोर्टों के मुताबिक़ भारत सरकार के सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि भारत इस मामले में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन कर सकता है जिसमें सेना को तैयार रखना शामिल है।
मालदीव के हालात देखकर परेशान भारत एसओपी के तहत पहले ही यात्रा परामर्श जारी कर चुका है, लेकिन अधिकारियों ने सेना को तैयार रखने से जुड़े अहम पहलू की पुष्टि नहीं की है।
सूत्रों ने अनुसार दक्षिण भारत के एक प्रमुख एयरबेस पर सैनिकों की गतिविधियां देखी जा रही हैं। एसओपी के मुताबिक, किसी आकस्मिक स्थिति या संकट से निपटने के लिए सैनिकों को पूरी तरह तैयार रखा जाता है. ऐसे एसओपी में कुछ भी असामान्य नहीं होता.
दूसरी तरफ मालदीव की सुप्रीम कोर्ट ने नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के अपने आदेश को वापस ले लिया है। इन राजनैतिक बंदियों में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद का भी नाम था।
सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों ने कहा है कि उन्होंने ऐसा राष्ट्रपति के कहने पर किया। 01 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत कुछ नेताओं के ख़िलाफ़ मामले खत्म कर दिए थे।
नशीद पर आतंकवाद से जुड़ा मामला चलाया गया था, जिसे वह राजनीति से प्रेरित बताते हैं. इमरजेंसी के साथ ही मालदीव में सुप्रीम कोर्ट के 5 में से 2 जजों को भी गिरफ़्तार कर लिया गया.
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और एक अन्य न्यायाधीश अली हमीद को कल राष्ट्रपति की ओर से आपातकाल की घोषणा किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया. उनके खिलाफ किसी जांच या किसी आरोप की जानकारी भी नहीं दी गई.
वहीं चीन ने आशा जताई है कि मालदीव सरकार और विपक्षी पार्टियां देश में उपजे राजनीतिक संकट को खुद सुलझाने में सक्षम हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा‘‘हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष बातचीत के द्वारा अपने मतभेदों को खत्म कर सकते हैं। साथ ही देश में जल्द से जल्द राजनीतिक स्थिरता और राष्ट्रीय तथा सामाजिक स्थिरता बहाल हो सकती है।”
शुआंग ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मालदीव सरकार और वहां की राजनीतिक पार्टियां इस संकट को समाप्त करने में सक्षम है।