आखिर महाराष्ट्र की सरकार ने भी स्वीकार कर लिया की राज्य में किसानों की आत्महत्या थम नहीं रही है। राज्य में 2015 से 2018 दौरान 12021 किसानों ने आत्महत्या की। इस साल मार्च तक 610 किसानो ने मौत को गले लगाया है।
जातक आर्थिक मदद की बात है इसमें 6845 किसानों को ही सरकार ने एक एक-एक लाख की आर्थिक मदद दी है । इन मामलों की छानबीन के बाद 192 किसान परिवारों को आर्थिक मदद का पात्र घोषित किया गया और बाद में 182 परिवारों को सरकार ने मदद के तौर एक एक लाख रुपए दिए ।96 मामले में मदद के लिए अपात्र पाए गए। फिलहाल 323 मामलों की जांच चल रही है।
विधानसभा में एनसीपी के अजित पवार ,जितेंद्र अवार्ड सहित कई विधायकों ने किसान आत्महत्या से संबंधित सवाल पूछा था। इस मसले पर लिखित जवाब देते हुए मदत व पुनर्वसन मंत्री सुभाष देशमुख ने स्वीकार किया राज्य में किसानों की आत्महत्या नहीं रुक रही है।
किसानों की कर्ज माफी के सिलसिले में विधान परिषद में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विधान परिषद प्रतिपक्ष नेता धनंजय मुंडे ने सदन में वाशिम जिले के अशोक ग्यानजू का मामला उठाते हुए कहा कि 2 साल पहले इस परिवार को मुख्यमंत्री ने कर्ज माफी का सम्मान पत्र दिया था लेकिन आज तक उनका कर्ज माफ नहीं हुआ और इस वक्त ग्यानजू विधान भवन परिसर में मौजूद हैं ।मुंडे ने सभापति से कहा कि उनकी अनुमति के बाद ही किसान को सदन में लाया जा सकेगा। मुंडे ने कहा राज्य में ऐसे बहुत सारे किसान हैं जिनके कर्ज माफ नहीं किये गये हैं। हलांकी इस बात पर सहकार मंत्री सुभाष देशमुख ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह सरकार के खिलाफ गलत व भ्रामक प्रचार कर रहे हैं। उनका कहना था कि राज्य के भीतर जिन जिन किसानों पर दो लाख के भीतर कर्ज थे उनके करीब करीब कर्ज माफ कर दिए गए हैं । इस जवाब से असंतुष्ट विपक्ष में सदन में हंगामा शुरू किया और सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई।
कर्ज माफी के मुद्दे का विधान परिषद में हुए हंगामे के बीच विधान भवन में विधान भवन के परिसर में मौजूद 2 किसानों को गिरफ्तार करने वाले सुरक्षा अधिकारियों के तत्काल निलंबन की मांग धनंजय मुंडे ने की ।सभापति रामराजे निंबालकर ने सुरक्षा अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दे दिया।