महाराष्ट्र में घर-घर टीकाकरण के लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरत क्यों: हाईकोर्ट

बाॅम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि उसे वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और बिस्तर पर पड़े अस्वस्थ लोगों को घर जाकर कोविड-19 टीकाकरण शुरू करने के लिए केंद्र सरकार की की मंजूरी की जरूरत क्यों है। महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को अदालत में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि प्रायोगिक आधार पर घर पर टीकाकरण शुरू किया जा सकता है, लेकिन केवल ऐसे लोगों के लिए जो चल-फिर नहीं सकते या घर पर रहने को मजबूर हैं। हालांकि इस बीच उसने यह भी कहा कि इस पर भी पहले केंद्र सरकार से स्वीकृति लेनी होगी।

प्रधान न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि आपको इसमें केंद्र मंजूरी की जरूरत क्यों है? स्वास्थ्य राज्य का भी विषय है। क्या राज्य सरकार हर एक काम केंद्र सरकार से मंजूरी लेकर कर रही है? क्या केरल, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों ने ऐसे कार्यक्रम शुरू करने के लिए केंद्र सरकार से स्वीकृति ली है?

अदालत उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र सरकार को 75 साल से अधिक उम्र के लोगों, दिव्यांगों तथा बिस्तर वाले मरीजों के लिए घर जाकर टीका लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।इससे पहले केंद्र सरकार कह चुकी है कि विभिन्न कारणों से घर जाकर टीकाकरण का कार्यक्रम अभी शुरू नहीं किया जा सकता जिनमें टीके की बर्बादी और टीके के प्रतिकूल प्रभाव जैसे कारणों को वजह बताया था। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या उसकी घर-घर टीकाकरण शुरू किए जाने की इच्छा है।

फर्जी टीकाकरण में बड़ी मछलियों को पकड़ें

बाॅम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि शहर में फर्जी कोविड-19 टीकाकरण शिविरों की जांच कर रही मुंबई पुलिस को ऐसे मामलों में शामिल बड़ी मछलियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। किसी को भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को भी निर्देश दिया कि वह अदालत को उन कदमों के बारे में सूचित करे, जो नगर निकाय ने एंटीबॉडी के लिए ऐसे शिविरों द्वारा ठगे गए लोगों और फर्जी टीके के कारण उनके स्वास्थ्य पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव की जांच करने के वास्ते प्रस्तावित किए हैं।

सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि मुंबई में 2000 से ज्यादा लोग फर्जी टीकाकरण का शिकार हो चुके हैं। राज्य के वकील दीपक ठाकरे ने उच्च न्यायालय को बताया कि इस मामले में सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच अभी जारी है।