महाराष्ट्र में करोना वायरस के रोगियों की संख्या अब 11 तक पहुंच गई है। रोगियों की दिक्कत आइसोलेशन वार्ड में रहकर इलाज कराने की है लेकिन सामाजिक अवहेलना व मुसीबतों का सामना मरीजों के परिजनों को झेलना पड़ रहा है । महाराष्ट्र की ऐसी 3 खबरें हैं जिन्होंने यह सोचने पर मजबूर करता है कि समाज का यह रवैया कोरोना वायरस पीड़ित लोगों के परिवार के प्रति कितना असंवेदनशील और अवमानवीय है । हालांकि तर्क यह है कि सबको अपनी जान की फिक्र है अपने परिवार की फिक्र है । भले प्रशासन ने यह चेतावनी जारी की है कि सोशल मीडिया के जरिए पीड़ित लोगों की पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी लेकिन यह कहा जा सकता है कि प्रशासन की नींद इस मामले में काफी देर से खुली है।
दो मामले पुणे के हैं जिनमें करोना वायरस से पीड़ित रोगियों के परिजनों को तकरीबन बहिष्कृत यह जाने की खबर है। पहले मामले में करोना वायरस से बीमार व्यक्ति के भाई ने विभागीय आयुक्त और जिलाधिकारी को इस बाबत शिकायत की है। मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल में इलाज करा रहे रोगी के परिवार को कुछ गांव वालों ने गांव छोड़ने के लिए कहा है। दूसरा मामला पुणे के पिंपरी-चिंचवड का है इस मामले में सोसाइटी ने पुलिस से गुहार लगाई है कि मलेशिया से लौटे परिवार को सोसाइटी में प्रवेश नहीं करने दिया जाए। इस मामले में दुबई से लौटे परिवार की एक महिला सदस्य करोना ग्रस्त पाई गई है और पहले मामले में वह व्यक्ति दुबई से लौटा था जिसका करोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया। तीसरा मामला नागपुर का है यह व्यक्ति अमेरिका से नागपुर लौटा है। करोना टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने पर उसे अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया । उस व्यक्ति की बेटी सुबह जब अपने स्कूल पहूंची तो उसे स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया और वहीं उसके बड़े बेटे को कॉलेज में प्रवेश करने से भी रोक दिया गया।
विभागीय आयुक्त डाॕ.दीपक म्हैसेकर ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस पीड़ितों रोगियो के नाम उजागर करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि रोगियों के नाम सार्वजनिक होने से रोगियों के परिजनों को तकलीफ हो सकती है। उन्होंने नागरिकों से अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जवाबदेही होने की बात भी कही है।