महाराष्ट्र की राजनीति में जो भी उठापटक चल रही है। इससे तो ये निश्चित है कि इस राजनीति की पूरी पटकथा पहले से लिखी जा चुकी है। और सिर्फ व सिर्फ ये सियासी दिखावा भर हो रहा है।
जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार के नगर विकास मंत्री व शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे की इस राजनीतिक चाल से तो नहीं लगता है कि वो इतना बड़ा साहसिक कदम उठा सकते है। जरूर इसके पीछे शिवसेना के किसी बड़े नेता का हाथ हो सकता है। नहीं तो इतनी बड़ी सियासी चाल एकनाथ शिंदे अपने दम पर चल दें।
महाराष्ट्र राजनीति के जानकार मधुकांत का कहना है कि शिवसेना और भाजपा के बीच सियासी दाल काफी समय से पक रही थी। जैसे ही लोकसभा चुनाव की आहट दिखने लगी और भाजपा को छोड़ अन्य दल मौजूदा समय में सत्ता पक्ष के सामने कमजोर दिखने लगे और कुछ नेताओं पर सीबीआई और ईडी की मार पड़ने लगी सो ये सब सियासी उफान मचने लगा है। उनका कहना है कि देर-सवेर देश की राजनीति पूरी तरह से हिंदुत्व के इर्द-गिर्द ही घूमेगी।
बताते चलें महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे ने जब दो माह पहले हनुमान चलीसा को लेकर हिन्दुत्व का राजनीति करनी शुरू कर दी थी। तभी से ये अनुमान लोगों को लगने लगा था कि देर-सवेर महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
मौजूदा समय में जो भी महाराष्ट्र की राजनीति में चल रहा है। इसमें जरूर भाजपा को सियासी लाभ मिल सकता है। लेकिन अगर यहां पर किसी पार्टी को नुकसान हो सकता है। तो वो है कांग्रेस पार्टी क्योंकि इस तोड़-फोड़ की राजनीति में कांग्रेस के कुछ विधायकों को टूटने का खतरा बना हुआ है।