यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी कौंसिल (यूएनएससी) में दुर्दांत आतंकवादी मसूद अजहर को ब्लैक लिस्ट करने की तरफ पहला कदम बढ़ाते हुए एक प्रस्ताव भेज दिया गया। यह प्रस्ताव फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने रखा है और यूनएससी के अन्य सदस्यों से इसके लिए समर्थन मांगा गया है। देखना दिलचस्प कि चीन का इसमें क्या रुख रहता है जो पहले इस तरह की मांग को वीटो करता रहा है।
अब अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के मुखिया मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने और उसे ब्लैकलिस्ट करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में एक नया प्रस्ताव पेश किया है। यदि इस सालता मिलती है और सूची में मसूद का नाम आ जाता है तो इस आतंकी पर वैश्विक यात्रा प्रतिबंध लग जाएगा और उसकी संपत्ति भी जब्त हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि भारत ने २००९ में ही संयुक्त राष्ट्र में आंतकी मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव पेश किया था।
सुरक्षा परिषद के १५ सदस्य हैं और जिन तीन देशों ने बुधवार को यह नया प्रस्ताव पेश किया है उन सभी के पास वीटो का अधिकार है। तीन देशों की ओर से पेश इस नए प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति को १० कामकाजी दिनों में विचार करना होगा।
बड़ी बात यह है कि तीन देशों के नये प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले का भी जिक्र है। प्रस्ताव में मसूद की संपत्ति सीज करने और उसपर विश्व भर में यात्रा करने का प्रतिबंध लगाने की मांग भी शामिल है। समिति ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए १३ मार्च तक का समय दिया है.
अभी तक चीन ने इस मसले पर अपना रुख साफ़ नहीं किया है। भले उसने सीमा पार आतंकवाद को लेकर एक दिन पहले ब्यान दिया था। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के इस कदम पर चीन के रुख पर सबकी नजर रहेगी। पहले सुरक्षा परिषद की इस्लामिक स्टेट और अलकायदा प्रतिबंध समिति को २०१६ और २०१७ में जैश सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने को चीन ने वीटो किया था।
भारत बहुत पहले से मसूद पर शिकंजा कसने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित करने की मांग करता रहा है।