मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र प्रदेश की शिवराज सरकार सभी को साधने की कोशिशों में लगी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कई बड़े ऐलान कर चुके हैं। शिवराज सिंह मध्य प्रदेश को हर मामले में नंबर वन प्रदेश बताने की कोशिश में लगे हैं। चुनाव के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर कई बड़े भाजपा नेता मध्य प्रदेश के दौरे कर रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी भोपाल का दौरा कर चुकी हैं। प्रदेश की शिवराज सरकार यह दिखाने की कोशिश में लगी है कि उसके शासन में सभी वर्गों के लोग ख़ुश हैं; लेकिन आदिवासियों और दलितों पर अत्याचार में मध्य प्रदेश एक अग्रणी राज्य बनता जा रहा है।
पिछले दिनों पेशाब कांड के बाद जिस तरह से शिवराज सिंह ने एक आदिवासी को अपने आवास पर बुलाकर उसके पैर धोकर कहा कि किसी भी ग़रीबों पर इस तरह के अत्याचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऑफिस ऑफ शिवराज चौहान नाम के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया कि अगर ज़रूरत पड़ी, तो अपराधियों को ज़मीन में गाड़ देंगे। सबने देखा कि इस पेशाब कांड को शिवराज सिंह ने एक अच्छे कार्यक्रम में बदलने की कोशिश की। शिवराज सिंह सरकार ने ख़ुद को दलित, आदिवासियों हितैषी दिखाने के लिए जमकर प्रचार किया। सरकार की ऐसी छवि बनायी गयी जैसे मध्य प्रदेश में अपराधियों की ख़ैर नहीं। लेकिन सच्चाई ये है कि मध्य प्रदेश में दलितों, आदिवासियों, विशेषकर दलित-आदिवासी महिलाओं पर हर रोज़ अत्याचार हो रहे हैं। अपराध और अमानवीय व्यवहार का सामना कर रहे मध्य प्रदेश के दलित और आदिवासी न्याय की माँग कर रहे हैं। लेकिन अपराध छिपाने में माहिर भाजपा और शिवराज सिंह विज्ञापनों की आड़ लेकर ख़ुद की छवि सुधारने की कोशिश में लगे हैं। क्या एक आदिवासी के पैर धोने और विज्ञापनों में इसका प्रचार करने से सरकार की ज़िम्मेदारी ख़त्म हो गयी? क्या इससे दलितों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ अपराध ख़त्म हो गये? सरकार ने दलितों और आदिवासियों की सुरक्षा के लिए अब तक क्या किया?
दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों में भाजपा के लोग ही शामिल है। भाजपा के नेता सब कुछ जानते हैं। कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में खुरई विधानसभा के गाँव बरोदिया नौनगर में भाजपा कार्यकर्ता एक दलित लडक़ी से कई दिन से छेड़छाड़ कर रहे थे। छेड़छाड़ का विरोध करने पर आरोपियों ने उसके भाई की पीट-पीटकर हत्या कर दी और लडक़ी की माँ को नंगा करके पीटा, उसके हाथ तोड़ दिये। आरोपियों ने लडक़ी को भी पीटा। सभी आरोपी सरकार में मंत्री भूपेंद्र सिंह के क़रीबी है। लेकिन भूपेंद्र सिंह इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। दबंगों के कहर से आक्रोशित परिजनों ने कई दिन तक मृतक का अंतिम संस्कार नहीं किया। शिवराज सरकार अपने पक्ष के आरोपियों के चलते उन पर कार्रवाई भी करने से कतराती नज़र आयी।
गाँव में भारी पुलिस बल तैनात करने के अलावा शिवराज सरकार बाक़ी कुछ करने से बचती नज़र आयी। आरोपियों की हिम्मत देखिए परिवार को जान से मारने की हद तक पीटने के बाद उन्होंने पीडि़तों के घर में जमकर तोडफ़ोड़ की। घर का कोई भी सामान आरोपियों ने साबुत नहीं छोड़ा। यहाँ तक कि पक्की छत को भी तोड़ दिया। इतने पर भी आरोपियों का ग़ुस्सा थमा नहीं तो वो लडक़ी के दो भाइयों की तलाश में उनकी रिश्तेदारों के घर तक गये। इस घटना को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा। मायावती ने ट्वीट में लिखा कि मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में जहाँ अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत गुरु रविदास जी का स्मारक बनाने की नींव बड़े तामझाम से रखी, वहीं उसी क्षेत्र में उनके भक्तों के साथ ज़ुल्म-ज़्यादती चरम सीमा पर है, जो भाजपा व उनकी सरकार के दोहरे चरित्र का जीता-जागता प्रमाण है।
काफ़ी दबाव के बाद पुलिस ने हीलाहवाली के बाद नौ मुख्य आरोपियों सहित तीन अन्य लोगों पर एससी-एसटी की कुछ धाराओं समेत हत्या और बलवा करने की धाराओं में मामला दर्ज कर नौ आरोपियों को गिरफ़्तार किया।
इस निर्मम घटना से पहले भी छोला मंदिर थाना क्षेत्र में शंकर नगर में एक दलित लडक़ी से छेडख़ानी हुई। जब इस लडक़ी की माँ ने इसका विरोध किया, तो आरोपी और उसकी पत्नी ने महिला और उसकी बेटी को ख़ूब पीटा, जिससे महिला का सिर फट गया और एक पैर टूट गया। घटना को अंजाम देकर आरोपी पति-पत्नी फ़रार हो गये। बीती अप्रैल में हरदा ज़िले के रोल गाँव में रहने वाले कालबेलिया समाज की एक नाबालिग़ लडक़ी से भी छेड़छाड़ का बड़ा मामला सामने आया। छेड़छाड़ से तंग आकर घर वालों ने नाबालिग़ लडक़ी की पढ़ाई छुड़वा दी। इसके बाद जब भी लडक़ी किसी काम से बाहर निकलती, गुण्डे उसे छेड़ते। एक दिन पानी भरने लडक़ी गयी, तब भी उसे गुण्डों ने छेड़ा।
लडक़ी के परिवारवालों ने विरोध किया, तो गुण्डे उन पर लाठी, डंडे और दूसरे हथियार लेकर टूट पड़े और उनके हाथ पैर तोड़ दिये। उनकी झोपड़ी में आग लगा दी। पीडि़त घबराकर गाँव छोड़ कर चले गये। इतनी बड़ी घटना के बाद भी पुलिस ने गुण्डों की तरफ़ से भी पीडि़तों के ख़िलाफ़ क्रॉस एफआईआर दर्ज की। सब कुछ जानते हुए पुलिस गुण्डों को बचा रही है। दो महीने पहले सागर में ही एक दलित लडक़े को नंगा करके उसकी बेरहमी से पिटाई का वीडियो सामने आया था। पुलिस इस वीडियो को 8-9 अक्टूबर, 2022 की बता रही है। रिपोर्ट लिखे जाने तक इस घटना में पुलिस आरोपियों को नहीं पकड़ सकी।
अपराधों के आँकड़े
आँकड़ों को देखकर लगता है कि दलितों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले नंबर पर है। 2018 से लेकर 2023 तक मध्य प्रदेश दलितों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ अपराधों के मामले बढ़ते हुए दिखायी दिये। 2018 में मध्य प्रदेश में अपराध के कुल 2,48,354 मामले दर्ज हुए। 2021 में अपराध के मामले बढक़र 3,04,066 हो गये। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश अपराध के मामले में देश में चौथे नंबर पर है। राज्य में हर रोज़ पाँच हत्याएँ होने के आँकड़े दर्ज हैं। वहीं बलात्कार, अपहरण, मारपीट और आगजनी के हर दिन 8 से 15 मामले हर दिन सामने आ रहे हैं। मध्य प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ हर घंटे में अपराध के तीन मामले दर्ज हुए हैं। मध्य प्रदेश अपराध अभिलेख ब्यूरो, पुलिस मुख्यालय ने 2023 की पहले छ: महीने के अपराधों की समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि 2022 की तुलना में 2023 के पहले छ: महीने में अपराध लगभग बराबर रहे हैं। जनवरी से जून 2022 तक भारतीय दंड संहिता के तहत कुल 1,59,762 अपराध दर्ज हुए, वहीं जनवरी से जून 2023 तक कुल 1,60,703 आपराधिक मामले दर्ज हुए। हालाँकि इसे मध्य प्रदेश अपराध अभिलेख ब्यूरो लगभग बराबर बता रहा है; लेकिन 2022 की तुलना में 2023 में अपराध के 1,059 मामले अधिक दर्ज हुए।
ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश अपराध अभिलेख ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट मध्य प्रदेश सरकार को ख़ुश करने के लिए पेश की है, जिसमें एक तरफ़ सभी आपराधिक आँकड़े अधिक दिखाये गये हैं, वहीं अलग-अलग अपराधों को कम करके बताया गया है। शिवराज सरकार कुछ दिन पहले ही एक मन्दिर का निर्माण कराकर उसमें खड़ताल बजाते हुए दिखे। हिन्दुत्व के नाम पर इस तरह के कार्ड खेलने में माहिर भाजपा नेता यह भूल जाते हैं कि उनके शासन में अपराधों को छिपाने की ये तरकीबें अब जनता समझ चुकी है। जनता की रक्षा करना सरकार का पहला कर्तव्य है; लेकिन शिवराज सरकार से लेकर दूसरे प्रदेशों में भाजपा की सरकारें इसमें नाकाम हैं। मध्य प्रदेश में दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार के बढ़ते आँकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि शिवराज सिंह को हिन्दुत्व कार्ड के नाम पर जीतने का भरोसा है। लेकिन शिवराज सिंह के साथ-साथ भाजपा नेताओं की यह बड़ी भूल है।
जोड़-तोड़ की सरकार बनाकर मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह भी यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि मध्य प्रदेश में दलितों और आदिवासियों को नाराज़ करके सत्ता पाने का सपना देखना बेवक़ूफ़ी के अलावा कुछ नहीं है; लेकिन शिवराज सिंह ये भी जानते हैं कि हिन्दुत्व के कार्ड पर दलित भाजपा के साथ खड़े होंगे। इसी के चलते शिवराज सिंह दलितों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ हो रहे अपराधों को रोकने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। रही आदिवासियों की बात, तो उन्हें लगता है कि आदिवासी समुदाय को वो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आधार बनाकर अपनी तरफ़ करने में सफल रहेंगे। हालाँकि ऐसा होगा नहीं।