प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक हुई जिसमें एमएसएमई और किसानों से जुड़े कुछ बड़े फैसले किये गए। बाद में तीन वरिष्ठ मंत्रियों ने बैठक में किये फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि २० हजार करोड़ रुपये का प्रावधान संकट में पड़े एमएसएमई के लिए किया गया है। इससे संकट में पड़े दो लाख एमएसएमई को फायदा होगा। साथ-साथ ५० हजार रुपये के इक्विटी का प्रस्ताव भी पहली बार आया है।
प्रकाश जावड़ेकर, नितिन गडकरी और नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक में लिए गये फैसलों को लेकर बताया कि यह फैसले एमएसएमई और किसानों के हित से जुड़े हैं। जावड़ेकर ने कहा कि एमएसएमई को पर्याप्त फंड दिया गया है और उन्हें कर्ज देने के लिए कई योजना बनाई गई है। जावड़ेकर ने कहा कि अब छोटे और मध्यम कारोबार शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो सकेंगे।
मंत्री ने कहा कि एमएसएमई में नई नौकरियां आएंगी। आज किसानों के लिए बड़े फैसले किये गए हैं। किसानों की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य कुल लागत का डेढ़ गुना रखा जाएगा। इसके साथ-साथ सरकार ने खरीफ की १४ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ५० से ८३ फीसदी तक बढ़ा दिया गया है। जावड़ेकर ने कहा कि कैबिनेट के फैसले से देश के करोड़ों किसानों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि किसान अब जहां चाहेंगे अपनी फसल बेच सकेंगे। गरीबों को लेकर सरकार संवेदनशील है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस मौके पर कहा कि खेती और उससे जुड़े काम के लिए तीन लाख रुपये तक के अल्पकालिक कर्ज के भुगतान की तिथि इस साल ३१ अगस्त तक बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा – ”स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वीकार किया गया और अमल में लाया गया है। कृषि लागत और मूल्य आयोग की १४ फसलों के लिए सिफारिश आई थी, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी है।”
उधर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे देश की जीडीपी में २९ फीसदी योगदान एमएसएमई का होता है। देश में अभी छह करोड़ एमएसएमई हैं और इस सेक्टर ने ११ करोड़ से ज्यादा रोजगार दिए हैं। उन्होंने कहा – ”बीस हजार करोड़ रुपये का प्रावधान संकट में पड़े एमएसएमई के लिए किया गया है। इससे संकट में पड़े दो लाख एमएसएमई को फायदा होगा। साथ-साथ ५० हजार रुपये के इक्विटी का प्रस्ताव भी पहली बार आया है।”