लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच जबरदस्त तनाव के बीच सैन्य अधिकारियों की बैठक में ‘एकतरफा परिस्थिति न बदलने पर’ दोनों देश सहमत हो गए हैं। बैठक को लेकर दोनों देशों के अधिकारियों का जो साझा ब्यान आया है उसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष अग्रिम क्षेत्र (फ्रंटलाइन) पर और अधिक सैनिक न भेजने पर सहमत हुए हैं और एलएसी पर एकतरफा परिस्थिति बदलने से परहेज करेंगे।
साझी विज्ञप्ति में कहा गया है – ‘दोनों पक्ष दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने और सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच संवाद को और अधिक मजबूत करने के लिए राजी हो गए हैं।’ जिक्र करते हुए, हालांकि, शीर्ष नेताओं पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिन पिंग के नाम का नहीं लिखा गया है।
याद रहे, दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स के बीच छठे दौर की 14 घंटे चली बैठक के बाद यह फैसले हुए हैं। अब आज भारत और चीन ने साझा प्रेस रिलीज जारी कर इस बात की घोषणा की कि दोनों पक्ष फ्रंटलाइन पर और अधिक सैनिक न भेजने और एलएसी पर ‘एकतरफा परिस्थिति बदलने’ से परहेज करने पर सहमत हो गए हैं। हालांकि, इस ‘एकतरफा परिस्थिति’ को परिभाषित नहीं किया गया है। सवाल यह है कि क्या यह ‘यथास्थिति बनाये रखने’ की सहमति है ? यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन के फिंगर आठ से फिंगर 5 पर आकर जमने की कई रिपोर्ट्स आई हैं।
भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच बैठक चीन के मोल्डो गैरिसन में हुई। इसमें भारत की तरफ से दो लेफ्टिनेंट जनरल रैंक अधिकारियों ने हिस्सा लिया क्योंकि लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह का कार्यकाल अगले माह पूर्ण हो रहा है, और उनकी जगह लेने वाले संभावित कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी बैठक में गए।
हाल में भारत ने लद्दाख क्षेत्र में कुछ चोटियों पर कब्ज़ा करके चीन को परेशानी में डाल दिया था। यही नहीं दोनों पक्षों के बीच 40 साल के बाद गोलीबारी की भी घटनाएं हुई हैं। चीन की एक कोशिश भी भारत की सेना ने हाल में नाकाम की है।