जनादेश 2019 में आंध्र, केरल, पंजाब, तमिलनाडु में भाजपा को प्रवेश नहीं मिला। केरल में इस बार भी भाजपा पूरी कोशिश करके भी यानी सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को टीवी चैनेल पर प्रसारित करने के बाद भी कामयाब नहीं हो सकी। जनता में भाजपा के खिलाफ माहौल था साथ ही माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ के प्रति थोड़ा आक्रोश था। कांग्रेस को 19 सीटें मिली। भाजपा और माकपा की राजनीति को केरल के मतदाता ने खरिज कर दिया।
आंध्र प्रदेश भी केरल की राह चला। तकरीबन साल भर पहले तक पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में थे। उधर वाईएसआर कांग्रेस के जगन ने आंध्र के लोगों को समझाया कि राज्य को तोड़ कर तेलंगाना राज्य बना और 2014 में यह भरोसा भाजपा ने दिया था कि आंध्र प्रदेश को ‘स्पेशल पैकेज’ मिलेगा लेकिन वह नहीं मिला। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और नायडू की तेलुगु देशम पार्टी ने भाजपा को प्रदेश में हावी नहीं होने दिया।
तमिलनाडु में डीएमके(द्रमुक) नेता एस के स्टालिन ने तमिलनाडु और पुडुचेरी की आधी सीटें द्रमुक गठबंधन, नौ पार्टियों का सेक्यूलर प्रोग्रेसिव अलाएंस को दे दी थी। स्टालिन ने भाजपा विरोधी हवा को लगातार तेज रखा। खासकर दिल्ली में तमिलनाडु के किसानों का नरमुंड लेकर दिल्ली के जंतर-मतर पर दो-दो बार प्रदर्शन लेकिन मोदी सरकार का उस पर कतई ध्यान न देना और पारंपरिक तौर पर यहां चलने वाले जलिलकटटू आंदोलन पर केंद्र की खामोशी और कावेरी नदी जल विवाद जीएसटी और विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के तमाम मुद्दों को डीएमके ने जि़ंदा रखा। जिसका लाभ द्रमुक गठबंधन को हुआ। गठबंधन में शामिल छोटी पार्टियों को इसका लाभ मिला। माकपा और भाकपा को अच्छी कामयाबी मिली। डीएमके नेता स्टालिन ने समर्थकों को लिखा,’ केंद्र को रचनात्मक राजनीति करनी चाहिए और देश के सर्वागीण विकास पर ध्यान देना चाहिए। लोकसभा में द्रमुक गठबंधन की जीत पर अपनी पार्टी के कैडर को भेजी चिटठी में द्रमुक अध्यक्ष स्टालिन ने लिखा है कि वे दिन अब हवा हुए जब भारतीय राजनीति में हिंदी लोगों का आधिपत्य था। पत्र में लिखा गया है कि तमिलनाडु द्रविड संस्कृति में ही संपृक्त है। यह कभी भी भाजपा को पैर जमाने नहीं देगी। उन्होंने कहा आज हमारी जीत की वजह वह जनता है जिसका प्यार हमारे चुनावी गठबंधन को मिला। यह प्यार ही मतों में बदला। उप चुनावों में ज़रूर हमारे प्रदर्शन की निंदा हुई। लेकिन हमने वे 12 सीटें पा ली हैं जो एआईएडीएमके के पास थी। हमने जनता से जो वादा किया है उसे पूरा करने के लिए पूरी जान लगाकर मेहनत करेंगे।
उत्तर भारत में सिर्फ पंजाब ही भाजपा को रोक सका। यह वह प्रदेश है जहां भारत-पाकिस्तान युद्ध का सबसे ज़्यादा असर पड़ता है। इस प्रदेश ने पूरे देश की एक तरह से रक्षा भी की है। पंजाब हमेशा पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहता रहा है। पंजाब में इस बार आम आदमी पार्टी के चलते कांग्रेस को लाभ मिला। आम आदमी पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली। जबकि 2014 में कांग्रेस, आप और शिरोमणि अकाली दल को चार-चार सीटें मिली थीं और भाजपा को महज एक। इस बार भाजपा को कुल दो सीटें मिली एक तो सन्नी देयोल को और बादल परिवार की दो सीटें। पंजाब में अकाली-भाजपा राज के दस साल के खिलाफ आज भी गुस्सा है, जीएसटी को लेकर। इसका जिम्मेदार पार्टी को माना जाता है।
तहलका ब्यूरो