भगौड़ों की सूची सार्वजनिक

बैंकिंग प्रणाली पर उठ रहे सवाल

भारतीय बैंकों से कथित तौर पर बड़ा क़र्ज़ लेने वाले उन 28 व्यवसायियों की एक सूची आजकल सोशल मीडिया पर सार्वजनिक (वायरल) हो रही है, जो सैकड़ों करोड़ रुपये का क़र्ज़ लेकर उसे लौटाने के बजाय विदेश भाग गये। ‘तहलका’ के लिए सनी शर्मा की विशेष रिपोर्ट :-

इस बारे में पहली पुष्टि संसद के निचले सदन में पेश किये गये एक लिखित उत्तर के अलावा कहीं और से नहीं हुई थी, जब तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्वीकार किया था कि पहली जनवरी, 2015 से 31 दिसंबर, 2019 तक पाँच साल की अवधि के दौरान 38 आर्थिक अपराधी देश छोडक़र भाग गये थे। मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया था कि केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने अवगत कराया है कि उसके द्वारा बैंकों के साथ वित्तीय अनियमितताओं से सम्बन्धित मामलों में दर्ज मामलों में शामिल 38 व्यक्ति 1 जनवरी, 2015 से 31 दिसंबर, 2019 के दौरान देश से भाग गये थे।

अब सोशल मीडिया में वायरल सूची में जिन लोगों के नाम होने का दावा है कि उनमें विजय माल्या, मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, निशान मोदी, पुष्पेश बैद्य, आशीष जोबनपुत्र, सनी कालरा, आरती कालरा, संजय कालरा, वर्षा कालरा, सुधीर कालरा, जतिन मेहता, उमेश पारिख, कमलेश पारिख, नीलेश पारिख, विनय मित्तल, एकलव्य गर्ग, चेतन जयंतीलाल, नितिन जयंतीलाल, दीप्ति बेइन चेतन, साविया सेठ, राजीव गोयल, अलका गोयल, ललित मोदी, रितेश जैन, हितेश नागेंद्र भाई पटेल, मयूरी बेन पटेल और आशीष सुरेश भाई के नाम शामिल हैं। वायरल हो रही सूची में आरोप लगाया गया है कि जो सामने नज़र आता है, उससे भी कुछ ख़ास है। किसी भी अपराधी को आतंकवादी घोषित नहीं किया गया था, न ही उनमें से कोई शहरी नक्सली या समाज के निचले तबक़े से था। वायरल सूची में आरोप लगाया गया है कि विजय माल्या को छोडक़र बाक़ी सभी गुजरात के हैं।

वायरल सूची के मुताबिक, विजय माल्या पर बैंकों के एक समूह के 9,000 करोड़ रुपये बक़ाया हैं। नीरव मोदी, उनकी पत्नी अमी मोदी, भाई नीशाल मोदी और चाचा मेहुल चौकसी का नाम पंजाब नेशनल बैंक में 12,636 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में है। विनसम डायमंड्स के जतिन मेहता पर 7,000 करोड़ रुपये बक़ाया हैं; इंडियन प्रीमियर लीग के पूर्व प्रमुख ललित मोदी पर देश के क्रिकेट बोर्ड से 125 करोड़ रुपये निकालने का आरोप है और स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड के निदेशक चेतन जयंतीलाल संदेसरा और नितिन जयंतीलाल संदेसरा को 5,000 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी के लिए नामित हैं। अन्य व्यवसायियों में मुम्बई स्थित कपड़ा निर्यात फर्म एबीसी कॉट्सपिन प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर आशीष जोबनपुत्र और उनकी पत्नी शामिल हैं, जो 770 करोड़ रुपये के बिल डिस्काउंटिंग घोटाले और बैंकों को चपत लगाने के आरोपी हैं। अवैध रूप से देश से बाहर 1500 करोड़ ले जाने वाले हीरा कारोबारी रितेश जैन हैं। सुरेंद्र सिंह, अंगद सिंह और हरसाहिब सिंह धोखाधड़ी के लिए, सब्या सेठ ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स से 390 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के लिए, संजय भंडारी पर 150 करोड़ रुपये की कथित कर चोरी का आरोप है; जबकि 2,223 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोपी श्री गणेश ज्वेलरी हाउस के नीलेश पारेख को सीबीआई ने जाँच में शामिल होने के लिए भारत लौटने पर गिरफ़्तार किया था।

आरबीआई ने भी डिफॉल्टर्स की पुष्टि की है। विडंबना यह है कि आरबीआई ने सितंबर, 2019 तक कुल 68,607 करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया। आरटीआई जाँच के एक जवाब में आरबीआई ने पुष्टि की कि डिफॉल्टरों में फ़रार मेहुल चौकसी और भगौड़े व्यवसायी विजय माल्या की कम्पनियाँ शामिल हैं। आरबीआई के अनुसार, चौकसी की कम्पनी गीतांजलि जेम्स 30 सितंबर तक 5,492 करोड़ रुपये की बड़ी राशि के साथ डिफॉल्टरों की सूची में सबसे ऊपर है। भगौड़े व्यवसायी की अन्य फर्मों गिल्ली इंडिया और नक्षत्र ब्रांड्स पर भी 1,447 करोड़ रुपये और 1,109 रुपये का क़र्ज़ है, जिसे बट्टे खाते में डाल दिया गया है। माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस 1,943 करोड़ रुपये के बक़ाया क़र्ज़ के साथ नौवें स्थान पर है।

विजय माल्या यूके, मेहुल चौकसी एंटीगुआ, जतिन मेहता सेंट किट्स एंड नेविस, नीरव मोदी यूके, नितिन और चंदन संदेसारा नाइजीरिया, उमेश पारेख, कमलेश पारेख और नीलेश पारेख दुबई और केन्या, ललित मोदी यूके सभा सेठ दुबई, विनी मित्तल इंडोनेशिया और सनी कालरा ओमान भाग गये हैं। आश्चर्यजनक रूप से भगौड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, ग़ैर-दोषी-आधारित कुर्की और अपराध की आय और भगौड़े आर्थिक अपराधियों की सम्पत्तियों को ज़ब्त करने का अधिकार देता है; लेकिन फिर भी कई आरोपी भागने में कामयाब रहे। भगौड़ा अपराधी अधिनियम राज्य को उन आर्थिक अपराधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का अधिकार देता है, जहाँ भारत में किसी भी अदालत द्वारा गिरफ़्तारी वारंट जारी किया गया है और जिन्होंने आपराधिक अभियोजन या न्यायिक प्रक्रियाओं से बचने के लिए देश छोड़ दिया है।

जून, 2021 के दौरान भ्रष्टाचार से लडऩे के लिए चुनौतियों और उपायों पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस तरह के अपराधों के लिए माँगे गये व्यक्तियों और सम्पत्तियों की वापसी के लिए अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों और घरेलू क़ानूनी प्रणाली के तहत एक मज़बूत गठबन्धन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि चूँकि आरोपी विदेशों में शरण लेते हैं और विभिन्न देशों और क्षेत्राधिकारों में फैले जटिल क़ानूनी ढाँचे में अपराध की आय को छिपाते हैं, इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अंतराल और कमज़ोरियों का ऐसे भगौड़ों द्वारा अपने लाभ के लिए पूरी तरह से फ़ायदा उठाया जाता है।

क्या कर सकती है सरकार?

1. सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को बड़े मूल्य के बैंक धोखाधड़ी से सम्बन्धित मामलों का समय पर पता लगाने, रिपोर्टिंग, जाँच आदि के लिए नियमावली जारी की है, जो अन्य बातों के साथ-साथ, 50 करोड़ रुपये से अधिक के सभी खातों, जिन्हें यदि ग़ैर-निष्पादित आस्तियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, की बैंकों द्वारा सम्भावित धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से जाँच की जानी चाहिए और इस जाँच के निष्कर्षों पर एनपीए की समीक्षा के लिए बैंक की समिति के समक्ष एक रिपोर्ट रखी जाने चाहिए। साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक को धोखाधड़ी की सूचना देने के तुरन्त बाद जानबूझकर चूक के लिए जाँच शुरू की जाए और यदि कोई खाता एनपीए हो जाता है, तो उधारकर्ता पर केंद्रीय आर्थिक ख़ुफ़िया ब्यूरो से रिपोर्ट तलब की जाए।

2. भगौड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 आर्थिक अपराधियों को भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय ख़ुफ़िया की प्रक्रिया से बचने से रोकने के लिए अधिनियमित किया गया है। यह एक भगौड़े आर्थिक अपराधी की सम्पत्ति की कुर्की, ऐसे अपराधी की सम्पत्ति की ज़ब्ती और अपराधी को किसी भी नागरिक दावे का बचाव करने से वंचित करने का प्रावधान करता है।

3. केंद्रीय धोखाधड़ी रजिस्ट्री (सीएफआर) को बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थानों द्वारा दायर धोखाधड़ी निगरानी रिटर्न के आधार पर बैंकों द्वारा उपयोग के लिए एक खोज योग्य ऑनलाइन केंद्रीय डाटाबेस के रूप में आरबीआई द्वारा स्थापित किया गया है।

4. लेखा परीक्षा मानकों को लागू करने और लेखा परीक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एक स्वतंत्र नियामक के रूप में राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण की स्थापना की है।

5. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे निर्धारित समय सीमा के भीतर, बैंकों में तुरन्त परिचालन वातावरण को मज़बूत करने के लिए आरबीआई द्वारा निर्धारित उपायों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करें और साथ ही आरबीआई के निर्देशों के अनुसार और उनकी बोर्ड-अनुमोदित नीति के अनुसार विलफुल डिफॉल्टरों की तस्वीरें प्रकाशित करने का निर्णय लें।

6. बैंकों से कहा गया है कि वे ऋण धोखाधड़ी और रेड फ्लैग खातों से निपटने के लिए आरबीआई के ढाँचे का सावधानीपूर्वक पालन करें, एटीएम / डेबिट / क्रेडिट कार्ड की स्किमिंग को रोकने के लिए आरबीआई दिशा-निर्देशों को लागू करें, और बड़े मूल्य के ऋण खातों के सम्बन्ध में शीर्षक दस्तावेज़ों का क़ानूनी ऑडिट सुनिश्चित करें, 50 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण सुविधा प्राप्त करने वाली कम्पनियों के प्रमोटरों / निदेशकों और अन्य अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के पासपोर्ट की प्रमाणित प्रति प्राप्त करें और अधिकारियों / कर्मचारियों के रोटेशनल ट्रांसफर को सख़्ती से सुनिश्चित करें।