इसे पिछ्ला ब्लॉग देश की राजनीति के सबसे चर्चित नेताओं में से एक – लाल कृष्ण आडवाणी – ने २३ अप्रैल, २०१४ को लिखा था। आज फिर लिखा है और इसमें देश की वर्तमान राजनीति, खासकर उनकी अपनी ही पार्टी के भीतर, से वो आहत दिखते हैं। आडवाणी ने लिखा है – ”हमने कभी भी राजनीतिक विरोधियों को दुश्मन या देशविरोधी नहीं माना”। अपरोक्ष रूप से यह उस भाजपा पर टिप्पणी लगती है जिसका नेतृत्व मोदी-शाह करते हैं और जिसके बारे में कहा जाता है कि उनके अनुयाई अपने राजनीतिक विरोधियों को हर मुद्दे पर ”देशविरोधी” कहकर बदनाम करते हैं।
इस बार इस दिग्गज नेता को भाजपा ने गांधीनगर से टिकट नहीं दिया। लेकिन माना जाता है कि भाजपा को देश की राजनीति में गहरे से प्रस्थापित करने वाले आडवाणी को पार्टी के भीतर जिस ज़लालत की स्थिति में पहुंचा दिया गया, उससे यह दिग्गज आहत रहा। इस बार टिकट देने के मामले में तो उन्हें ”अपमान जैसी स्थिति” से गुजरना पड़ा।
आजके अपने ब्लॉग में लाल कृष्ण आडवाणी ने लम्बे समय बाद सार्वजनिक टिप्पणी की है। इसमें पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों को लेकर कई अहम बातें उन्होंने कही हैं। आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा – ”हमने कभी भी राजनीतिक विरोधियों को दुश्मन या देशविरोधी नहीं माना।” आडवाणी की इस टिपण्णी को हर व्यक्ति अपने हिसाब से परिभाषित करेगा लेकिन इसके कुछ संकेत तो निकलते ही हैं।
भाजपा का स्थापना दिवस ६ अप्रैल को है और उससे दो दिन पहले ब्लॉग के जरिये आडवाणी ने गांधीनगर की जनता के प्रति आभार जताया है। वह १९९१ के बाद ६ बार वहां से सांसद रहे। इस बार गांधीनगर के उनके प्रिय रण से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मैदान में हैं।
आडवाणी भाजपा के संस्थापक हैं। आज ब्लॉग में उन्होंने लिखा – मेरी जिंदगी का सिद्धांत रहा है – देश सबसे पहले, उसके बाद पार्टी और आखिर में खुद। मैंने हर परिस्थिति में इस सिद्धांत पर अटल रहने की कोशिश की है जो आगे भी जारी रहेगी।”
ब्लॉग में आडवाणी ने अबतक के अपने राजनीतिक सफर को याद किया है कि कैसे वह १४ साल की उम्र में आरएसएस से जुड़े और किस तरह वह पहले जनसंघ और बाद में बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में रहे और पार्टी के साथ करीब सात दशक तक जुड़े रहे। ब्लॉग में आडवाणी ने पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों पर जोर देते हुए सभी राजनैतिक दलों से आत्मनिरीक्षण की अपील भी की।
आडवाणी ने लिखा – ”भारतीय लोकतंत्र का सार उसकी विविधता और अभिव्यक्ति की आजादी है। अपने जन्म के बाद से ही, बीजेपी ने खुद से राजनीतिक तौर पर असहमति रखने वालों को कभी ‘दुश्मन’ नहीं माना, बल्कि उन्हें हमसे अलग विचार वाला माना है। इसी तरह, भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी अवधारणा में, हमने राजनीतिक तौर पर असहमत होने वालों को कभी ‘देश-विरोधी’ नहीं माना।”
भारतीय राजनीति के इस दिग्गज ने आगे लिखा – ”पार्टी के भीतर और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य दोनों में ही लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा बीजेपी की गर्वीली पहचान रही है। बीजेपी हमेशा से मीडिया समेत हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता, निष्ठा, निष्पक्षता और मजबूती की रक्षा की मांग में अग्रणी रही है।’ उन्होंने लिखा कि चुनाव सुधार और भ्रष्टाचारमुक्त राजनीति उनकी पार्टी की एक अन्य प्राथमिकता है।”
आखिर में आडवाणी ने लिखा – ”सत्य, राष्ट्र निष्ठा और लोकतंत्र की तिकड़ी ने बीजेपी के विकास की पथप्रदर्शक रही हैं। उन्होंने कहा कि इन मूल्यों की समग्रता से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुराज (गुड गवर्नेंस) का जन्म होता है, जो उनकी पार्टी का हमेशा से ध्येय रहा है। लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दलों, मीडिया और लोकतांत्रिक संस्थाओं से ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। सभी को शुभकामनाएं।”