नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला, जिन्हें सात महीने के बाद शुक्रवार को था, ने शनिवार को सात महीने से हिरासत में रखे गए बेटे उमर अब्दुल्ला से श्रीनगर की उप जेल में मुलाकात की। उधर वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद भी शनिवार को फारूक मिलने श्रीनगर पहुंचे। फारूक बेटे से मिलते हुए भावुक हो गए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पिता को देखते ही उमर अब्दुल्ला उनके गले जा लगे और भावुक हो गए। जम्मू कश्मीर में धारा ३७० ख़त्म किये जाने के बाद से ही उमर नजरबंद हैं जबकि उमर पर पांच फरवरी को पीएसए भी लगा दिया गया था। फारूख अब्दुल्ला को पीएसए के तहत हिरासत में रखने के बाद शुक्रवार को रिहा किया गया था।
फारूख ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से सात महीने बाद अपने बेटे से मुलाकात का अनुरोध किया था, जिसे प्रशासन ने मान लिया। दोनों की मुलाकात करीब एक घंटे चली। उमर अब्दुल्ला के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भी पीएसए में नजरबंद हैं। फारूक ने कहा कि उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के अलावा केन्द्र शासित क्षेत्र के अन्य जेलों में बंद नेताओं को तत्काल रिहा किया जाए। अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी आजादी तभी पूरी होगी जब उमर, महबूबा मुफ्ती और जेलों में बंद अन्य नेताओं को रिहा किया जाएगा।
उधर वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद भी आज श्रीनगर पहुंचे और फ़ारूक़ से मिले। दिल्ली से दोपहर बाद श्रीनगर पहुंचे आजाद एयरपोर्ट से सीधा गुपकर रोड स्थित फारूक अब्दुल्ला के अवास पर पहुंचे और उन्हें रिहाई की मुबारक दी। दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई।
बाद में दोनों नेता एक साथ घर के बाहर आए। सीढ़ियां उतरते हुए जब फारुक अब्दुल्लाह अचानक थोड़ा लड़खड़ा गए तो साथ चल रहे आजाद ने तुरंत उन्हें सहारा दिया। पत्रकारों से बात करते हुए आजाद मोदी सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि राज्य में लोकतंत्र की बहाली के लिए सबसे पहले राज्य के सभी नजरबंद नेताओं को रिहा किया जाए। उन्होंने कहा कि जिस राज्य में तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्री नजरबंद हों, वहां कैसा लोकतंत्र हो सकता है?
आजाद ने कहा – ”मैं निजी रिश्ते और लोकतंत्र की आवाज उठाने वाले सांसदों की ओर से फारूक अब्दुल्ला से मिलने आया हूँ। मैं उन सांसदों के प्रयास के बारे में फारुख अब्दुल्ला को अवगत कराने आया हूँ, जिन्होंने उनकी रिहाई के लिए प्रयास किए हैं।” आजाद ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला को सात महीने से अधिक समय तक घर में नजरबंद रखा गया। आज भी इसकी वजह किसी को नहीं पता।
कांग्रेस नेता ने पूछा कि आखिर उन्होंने (फारूक और अन्य कश्मीरी नेता) ऐसा कौन सा काम किया है, जिसके लिए उनको इतने दिन तक नजरबंद किया गया। आजाद ने कहा – ”अगर कश्मीर को खुशहाल करना चाहते हैं, तो यहां लोकतंत्र बहाल करने के लिए सभी राजनीतिक प्रक्रियाओं को शुरू करने की जरूरत है और उसके लिए सभी नेताओं को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। इसके बाद उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में विभाजित करने का फैसला राज्य के लोगों का अपमान है।”