बुलडोजर की राजनीति दिल्ली में असंभव

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की तर्ज पर अगर सियासी दांव -पेंच को देखते हुए दिल्ली में बुलडोजर चलाया गया तो बुलडोजर की जद में एक साथ कई मकान आयेगे।ऐसे हालात में सरकार के पास क्या विकल्प है। कि दोषी का मकान या फ्लैट ही को गिराया जाये।

दिल्ली में जहांगीरपुरी में हुए दंगे के बाद कुछ लोगों ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की तर्ज पर माफिया और अपराधियों के मकानों को गिराए जाने की मांग की है। ऐसे में नॉर्थ दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने बुलडोजर लेकर दोषियों के घरों के आस पास पहुंच गये है। बुलडोजर को देखते हुए वहां पर बवाल की स्थिति बन गयी।
पूर्व एमसीडी के अधिकारी श्याम सुन्दर का कहना है कि दिल्ली में जो सियासी खेल मौजूदा दौर में खेला जा रहा है। उससे तात्कालिक राजनीतिक फायदा तो सियासी दल ले सकते है। लेकिन दूरगामी राजनीतिक और सामाजिक परिणाम गलत हो सकते है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में 30 से लेकर 50 गज के ज्यादा फ्लैट बने है जिसमें लोग अपना जीवन यापन करते है। और ये फ्लैट भी तंग गलियों में बने हुये है। फ्लैट भी आपस में सटे हुए है और इन फ्लैटों के पीछे भी फ्लैट बने हुये है।
अगर बुलडोजर चलता है कि तो आपस में सटे और पीछे सटे फ्लैटों का क्या होगा। वे जरूर टूट सकते है।कांग्रेस के नेता मुकेश कुमार का कहना है कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में मकान होते है। जो बड़े भी होते है। उनको बुल्डोजर के द्वारा तोड़ा जाता है। तो पड़ोसी के मकान को कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन दिल्ली में ये संभव नहीं है।
 
बताते चलें मौजूदा दौर में देश में बुल्डोजर को लेकर सियासत की जा रही है। लेकिन दिल्ली में अगर यहां बुलडोजर की राजनीति की गई तो उसका सियासी दल जरूर फायदा ले सकते है। लेकिन आम जनमानस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।