सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तल्ख टिप्पणी करते हुए पंजाब गवर्नर से जवाब मांगा है। यह जवाब पंजाब सरकार के 7 बिलों को लटका कर रखने के आरोपों मे मांगा गया है। मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि, शुक्रवार तक आप बताएं कि सरकार की ओर से दिए गए 7 विधेयकों पर अब तक आपने क्या एक्शन लिया है। गवर्नरों को सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद ही काम शुरू नहीं करना चाहिए। सरकार और राज्यपालों को अपने विवाद आपसी चर्चा से ही निपटा लेने चाहिए।
बेंच ने आगे कहा कि, गवर्नरों को भले ही विधेयकों को वापस करने का अधिकार है लेकिन वे उसे लटका कर नहीं बैठ सकते। चुनी हुई सरकार जैसे नहीं है और उन्हें समय पर बिलों को मंजूरी देने या फिर वापस लौटने पर फैसला लेना चाहिए।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पार्दीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि, सभी गवर्नरों को इस पर विचार करना चाहिए। वे चुने हुए लोग नहीं होते। यहां तक कि मनी बिलों को रोकने के लिए तो एक समय सीमा है। आखिर सरकारों का सत्र आहूत करने की मंजूरी के लिए भी अदालत क्यों आना पड़ रहा है। ये ऐसे मामले हैं जिन्हें सीएम और राज्यपाल को ही बैठकर निपटा लेना चाहिए।
बता दें, पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है जिसमें उसने गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित पर आरोप लगाया है कि वह 7 विधेयकों पर फैसला नहीं ले रहे है। जो उन्हें मंजूरी के लिए भेजे गए थे। इन 7 में से 4 विधेयक जून में भेजे गए थे और बाकी तीन मनी बिलों को सदन में लाने से पहले ही भेजा गया था।