सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए राजी हो गया है और एक बेंच गठित करने पर सहमत हो गया है।
गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप व उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले दोषियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्योंकि इस मामले में सभी दोषियों को पिछले वर्ष 15 अगस्त से मौके पर जेल से समय से पहले रिहा कर दिया गया था।
बता दें, पीड़िता बिलकिस बानो ने सभी दोषियों के रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर सभी दोषियों को दोबारा जेल भेजने की मांग की गई थी। वहीं इसके अलावा एक अन्य याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने उसके पुराने फैसले पर पुनर्विचार करने की भी मांग की जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार को फैसला लेने को कहा था।
वहीं बिलकिस बानो ने इस पर आपत्ति जताई थी और कहा कि जब पूरे मामले का ट्रायल महाराष्ट्र में चल रहा था जो गुजरात गुजरात सरकार इसक पर फैसला कैसे ले सकती है?
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में 11 लोगों को वर्ष 2008 में दोषी करार दिया था। दोषियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया जिसके बाद उन्हें गोधरा की एक जेल में भेज दिया गया था। किंतु पिछले वर्ष सभी दोषियों को उनकी सजा पूरी होने से पहले ही जेल से रिहा कर दिया गया था। और रिहाई के बाद दोषियों को माला पहनाकर स्वागत भी किया गया था।
आपको बता दें, वर्ष 2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद दंगे भड़के थे। और इस दौरान भीड़ दाहोद जिले के लिमखेड़ा के रंधिकपुर में बिलकिस बानो के घर में घुस गई थी। किंतु दंगाइयों से अपना बचाव करने के लिए बिलकिस बानो खेत में छुपी हुई थी।
बिलकिस बानो और उनकी मां समेत तीन लोगों के साथ दंगाइयों ने रेप किया। उस समय बिलकिस बानो की आयु 21 वर्ष थी साथ ही वे 5 महीने की गर्भवती भी थी। रेप के साथ ही दंगाइयों ने उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या भी कर दी थी। और इस मामले में 6 लोग लापता हुए जिनका अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है