उत्तर प्रदेश की सियासत में नया मोड़ फिर से आ गया है। बसपा पर कांग्रेस द्वारा जो आरोप लगाये गये है कि कांग्रेस ने बसपा को प्रदेश में नेतृत्व करने को कहा था और मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया था। लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने बात नहीं मानी। ये कहना है कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का।
बसपा सूत्रों की मानें तो बसपा को पूरा विश्वास था कि प्रदेश में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने वाला नहीं है। ऐसे में बसपा के सहयोग के बिना भाजपा की सरकार बन नहीं सकती है। सो बसपा कांग्रेस सहित किसी भी अन्य दल के साथ गठबंधन नहीं करना चाहती थी।
अब बात कुछ और है बसपा और कांग्रेस का चुनाव में जो हाल हुआ है। उससे दोनों दलों की हालत पतली है। रहा सवाल कांग्रेस और बसपा के आरोप-प्रत्यारोपों का तो इससे कुछ बात नहीं बनती दिख रही है। लेकिन 2 साल से कम का समय बचा है 2024 के लोकसभा चुनाव का। ऐसे में बसपा और कांग्रेस अभी से चुनाव की तैयारी में जुट गये है।
जानकारों का कहना है कि भाजपा की दोबारा सरकार बनने से कांग्रेस, बसपा और सपा की हालत पतली है और मनोबल भी गिरा है। ऐसे में अगर उत्तर प्रदेश में भाजपा को सही मायने अगर लोकसभा के चुनाव में टक्कर देनी है तो विपक्ष को आपसी सहमति के साथ एक साथ खड़ा होना होगा। अन्यथा भाजपा के मुकाबले चुनाव लड़ना आसान नहीं होगा।
वहीं कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राहुल गांधी द्वारा मायावती पर जो भी आरोप लगाये है वे सियासी तौर पर तो ठीक हो सकते है। लेकिन ऐसे में गठबंधन और विपक्षी एकता के लिये ठीक नहीं हो सकते है। क्योंकि विधानसभा चुनाव हो चुके है। हार-जीत हो चुकी है। अब तो दोनों दलों के सामने अगर चुनावी चुनौती है तो वो है लोकसभा 2024 के चुनाव है।