बढ़ते लव जिहाद की वजह तलाशने की ज़रूरत

लव जिहाद शब्द इन दिनों राष्ट्रीय स्तर से लेकर झारखण्ड तक चर्चा में है। इस शब्द की उत्पत्ति भले ही पुरानी हो; लेकिन प्रचलन में पिछले कुछ वर्षों से आया है। हर दिन देश के किसी-न-किसी हिस्से से लव जिहाद का मामला देखने-सुनने को मिलता है।

झारखण्ड भी इससे अछूता नहीं है। राज्य के किसी-न-किसी ज़िले से महीने में एक-दो लव जिहाद के मामले उभरकर सामने आ जाते हैं। हालिया घटना में बिहार के भागलपुर ज़िले से लेकर झारखण्ड के रांची और महाराष्ट्र के मुंबई तक का लिंक सामने आया है। सवाल यह है कि आख़िर लव जिहाद के मामले बढ़ क्यों रहे हैं? अंतरजातीय विवाह कोई नया नहीं है। निश्छल प्रेम सम्बन्धों में धर्म का प्रवेश कहाँ से हो रहा है? क्या वास्तव में लव जिहाद जैसा मामला है, या फिर इस्लामोफोबिया और राजनीतिक जनित मामला है? ऐसे तमाम सवालों का जवाब तलाशते हुए लव जिहाद के बढ़ते मामलों के कारणों की तह तक पहुँचने की ज़रूरत है। इसके निदान की ज़रूरत है।

क्या है लव जिहाद?

लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है। अंग्रेजी भाषा का शब्द लव और अरबी भाषा का जिहाद। लव यानी प्यार, मोहब्बत, इश्क और जिहाद का मतलब किसी मक़सद को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा देना। यानी जब एक धर्म विशेष को मानने वाले दूसरे धर्म की लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फँसाकर उस लडक़ी का धर्म परिवर्तन करवाने का प्रयास करते हैं, तो इस प्रक्रिया को लव जिहाद कहा जाता है।

आख़िर यह है कि यह शब्द आया कहाँ से? क्योंकि प्रेम विवाह या अंतरजातीय विवाह कोई नया नहीं है। मैं वर्ष 1998 में एक राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक अख़बार में था। हमारे दो सहयोगी (मुस्लिम लडक़े और हिन्दू लडक़ी) ने प्रेम विवाह किया। कार्यालय के मित्रों ने ही मिल कर हिन्दू रीति-रिवाज़ से शादी करायी, बाद में कोर्ट से मुहर लगी। आज भी मित्र एक राष्ट्रीय टीवी चैनल में बड़े पद पर कार्यरत हैं। पत्नी कॉलेज में पत्रकारिता पढ़ाती हैं। उनकी एक बेटी भी है। सुखपूर्वक दिल्ली में ही परिवार रह रहा है। उस व$क्त कहीं जेहन में या आपसी बातचीत में लव जिहाद जैसे शब्द नहीं आये।  ऐसे सैकड़ों उदाहरण लोगों के पास होंगे। विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में ‘रोमियो जिहाद’ जैसे शब्द सुने गये थे। बाद में यह लव जिहाद बन गया। इसकी शुरुआत केरल और बेंगलूरु से हुई। जहाँ बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन की बात सामने आयी। धीरे-धीरे यह देश के अन्य हिस्सों तक पहुँच गया। यानी लव जिहाद शब्द बहुत पुराना नहीं है।

झारखण्ड में कब हुई चर्चा?

झारखण्ड की बात करें, तो पहली दफ़ा लव जिहाद शब्द संभवत: वर्ष 2014 में लोगों की ज़ुबान पर चढ़ी, जब नेशनल शूटर तारा शहदेव का मामला खुलकर सामने आया। तारा ने रंजीत कोहली उर्फ़ रक़ीबुल से प्रेम विवाह किया और कुछ दिनों बाद ही उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया जाने लगा।

इसके लिए मारपीट और कुत्ते से कटवाने का मामला भी सामने आया। इसके बाद राज्य में कई मामलों को लव जिहाद का नाम दिया गया। इन दिनों राज्य में एक बार फिर लव जिहाद शब्द चर्चा में है, क्योंकि इस बार फिर मामला हाई प्रोफाइल है। यह मामला मॉडल मानवी राज का है।

मानवी बिहार की भागलपुर की रहने वाली हैं। आरोपी तनवीर अख़्तर रांची का रहने वाला है। मानवी ने 30 मई को मुंबई में तनवीर के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया। मुंबई पुलिस ने मामले को रांची ट्रांसफर कर दिया। अब रांची पुलिस मामले की जाँच कर रही है।

मॉडल से हुआ धोखा

मानवी राज एक मॉडल है। तनवीर अख़्तर रांची में यश मॉडलिंग एजेंसी चलाता था। मानवी ने आरोप लगाया है कि तनवीर ने यश नाम बताकर धोखा दिया। वह धर्म बदलवाकर शादी करना चाहता है और उसने मुंबई आकर जान लेने की कोशिश भी की। मामले की जाँच के क्रम में मानवी 7 जून को रांची आयी।

रांची के गोंदा थाने में अपना बयान दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने उसका मेडिकल टेस्ट भी कराया। उसने तनवीर पर ब्लैकमेल करने, यौनशोषण, धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाने आदि आरोप लगाये हैं। उसका कोर्ट में भी बयान दर्ज कराया गया।

उधर तनवीर ने कहा है कि मानवी ने व्यापार में मेरा नुक़सान किया है। वह ब्लैकमेल कर रही है। वह लव जिहाद का सहारा ले रही है। मैं मुस्लिम हूँ, इसलिए मुझ पर इस तरह का आरोप लगाकर फँसाया जा रहा है। इसके बाद एक वीडियो जारी कर तनवीर ने अपनी ग़लती मानते हुए माफ़ी भी माँगी है। हालाँकि बयान के बाद से तनवीर फ़रार है। उसके नेपाल भाग जाने की सूचना सामने आ रही है। पुलिस उसे पकडऩे के लिए प्रयासरत है।

झारखण्ड में ही कई मामले

राज्य में नेशनल शूटर तारा शाहदेव या मॉडल मानवी का ही एक लव जिहाद का मामला है, ऐसा नहीं है। चुंकी ये मामले हाई प्रोफाइल हैं, इसलिए लोगों के ज़ुबान पर हैं और मीडिया में छाया। राज्य में इस तरह के कई मामले हर कुछ दिन पर सामने आ रहे हैं, जिन्हें लव जिहाद का संज्ञान दिया गया है।

रांची के खेलाड़ी क्षेत्र में एक लडक़ी की आत्महत्या, दुमका में रूबी पहाडिऩ नामक लडक़ी की हत्या, दुमका में लडक़ी को पेट्रोल छिडक़कर मारने का प्रयास, खूँटी में यौन शोषण, चक्रधरपुर में पहचान छुपाकर नाबालिग़ लडक़ी से शादी और फिर गर्भपात कराना, गढ़वा में मुस्लिम युवक द्वारा पहचान छिपाकर शादी करना समेत कई मामलों को लव जिहाद शब्द से ही जोडक़र देखा गया है।

धर्म परिवर्तन के लिए दबाव, धोखाधड़ी, मारपीट, रेप आदि अलग-अलग धाराओं के तहत ये मामले दर्ज किये जाते हैं। इसलिए राज्य में लव जिहाद का कोई सटीक आँकड़ा सरकारी स्तर पर उपलब्ध नहीं है। मामलों को देखकर ही उन्हें लव-जिहाद का नामाकरण कर दिया जाता है। यह सच्चाई है कि आदिवासी बहुल राज्य झारखण्ड में इस तरह के मामले बढ़ रहे हैं और तथाकथित या हक़ीक़त में लव जिहाद का केंद्र बनने की बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है।

सवाल यह है कि आख़िर झारखण्ड में मामला क्यों बढ़ रहा? एक ख़ास समुदाय का व्यक्ति दूसरे समुदाय से अंतरजातीय विवाह करता है, या विवाह की बात होती है तो अचानक लव जिहाद का मामला क्यों निकल आता है? इस पर सोचने की ज़रूरत है।

चर्चा का विषय

फ्रांसीसी विद्वान फिलिप फग्र्यूस, इस्लामी शोधार्थी हसाम मुनीर, इस्लामी इतिहासकार क्रिश्चियन सी. साहनर जैसे कई लेखकों ने लव जिहाद के पीछे के कारणों का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है कि कैसे प्रेम और विवाह के माध्यम से इस्लामीकरण किया जा रहा है। अब प्रेम-विवाह इस्लामीकरण की सतत प्रक्रिया में वही भूमिका निभा रहा है, जो काम अतीत में बलपूर्वक किया जाता था।

ऐसे तमाम उदहारणों से स्पष्ट है कि ग़ैर-मुस्लिम महिलाओं से मुस्लिम पुरुषों का विवाह विशुद्ध मज़हबी एजेंडा है और यह केवल भारत तक सीमित नहीं है। विश्व के अन्य हिस्सों में भी इसकी चर्चा है।

मज़हबी एजेंडा

विद्वानों की बात को सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता है। ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि हत्या, यौनशोषण, फ़रेब देकर शादी, धर्मांतरण आदि अपराधिक मामले जब मुस्लिम लडक़े और हिन्दू लडक़ी के बीच सामने आते हैं, तो उसका केवल नामाकरण लव जिहाद कर दिया जाता है। क्योंकि झारखण्ड में जो दिख रहा, वह मज़हबी एजेंडा की तरफ़ थोड़ा इशारा तो कर ही रहा है।

राज्य की डेमोग्राफी बदलने की चर्चा अक्सर सामने आती है। ख़ासकर संथाल क्षेत्र में बदलाव की बात सडक़ से विधानसभा और लोकसभा सदन तक समय-समय पर उठता रहता है। राजनीतिक दल के नेता और आम लोग कहते हैं कि संथाल क्षेत्र की डेमोग्राफी तेज़ी से बदल रही है। इस क्षेत्र में पिछले तीन दशकों में बांग्लादेश से लाखों की तादाद में घुसपैठिए साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा आदि इलाक़ों में आकर बसे हैं।

इन क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी लगातार बढ़ रही है। इसका असर देखने को भी मिल रहा है। लव जिहाद के ज़्यादातर मामले इन्हीं इलाक़ों से उभर कर सामने आते हैं। धीरे-धीरे यह आबादी राज्य के अन्य हिस्सों में फैल रही है और लव जिहाद का मामला वहाँ तक पहुँच रहा।

गंभीरता से हो विचार

झारखण्ड में पिछले एक साल में दो दर्ज़न आपराधिक मामले ऐसे आए जिन्हें लव जिहाद कहा गया। यह किसी एक राज्य, देश या समुदाय तक सीमित नहीं, बल्कि विश्व व्यापी समस्या बनती जा रही है। इस कुचक्र की शिकार बनती है मासूम लड़कियाँ, जिन्हें बहला-फुसलाकर या फिर ज़ोर-जबरदस्ती से शादी के नाम पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जाता है।

कभी किसी ने शायद ही यह सुना होगा कि किसी लडक़ी ने जबरन शादी करके किसी लडक़े पर धर्म परिवर्तन का दवाब बनाया है। ऐसा न ही कभी हुआ है और शायद होगा भी नहीं। क्योंकि धर्म के ठेकेदार हमेशा कमज़ोर वर्ग को ही अपना शिकार बनाते हैं। समानता की बात करने वाला समाज आज भी पुरुष प्रधान ही बनाने के प्रयास में है। जब कोई महिला इस कट्टरपंथी सोच का विरोध करती है, तो उसका दुमका की रूबिका या दुमका की ही अंकिता जैसा हश्र होता है। इसलिए लव जिहाद समान्य अपराध नहीं है। इस पर गंभीरता से विचार करने, कारणों के तह तक पहुँचने और और हल ढूँढने के लिए हर स्तर प्रयास की ज़रूरत है। नहीं तो दो समुदायों के बीच प्रेम सम्बन्ध नफ़रत को और बढ़ावा ही देता रहेगा।