बढ़ती महंगाई के बीच आरबीआई ने तीन नवंबर को बुलाई एमपीसी की विशेष बैठक

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी तीन नवंबर को शीर्ष मौद्रिक संस्था (एमपीसी) की एक विशेष बैठक बुलाई हैं। यह बैठक देश में बढ़ती महंगाई के चलते बुलाई जा रही हैं।

एक रिलीज में भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से कहा गया है कि मौद्रिक नीति समिति की यह विशेष अतिरिक्त बैठक आरबीआई एक्ट के सेक्शन 45ZN के तहत बुलाई गई हैं। इस कानूनी प्रावधान के तहत आरबीआई अगर महंगाई दर को 6% से नीचे नहीं रख पाती है, तो उसे सरकार को एक रिपोर्ट देनी होगी कि क्यों वो टारगेट को पूरा नहीं कर सकी। और इसे पूरा करने के लिए वो क्या जरूरी कदम उठाने वाली है और कब तक यह टारगेट पूरा कर सकेगी?

बता दें सरकार ने मुद्रास्फीति को 4% (दो प्रतिशत कम या अधिक) पर सीमित रखने का लक्ष्य केंद्रीय बैंक को दिया हुआ है लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई मुद्रास्फीति को 6% के भीतर सीमित रखने में नाकाम रहा है।

आपको बता दें, इस वर्ष की शुरुआत से ही मुद्रास्फीति लगातार 6% के ऊपर बनी हुई है और इस प्रकार आरबीआई लगातार तीन तिमाहियों से अपने मुद्रास्फीति लक्ष्य को पूरा करने में नाकाम रहा है, लिहाजा वैधानिक प्रावधानों के अनुरूप उसे सरकार को इस पर रिपोर्ट देनी होगी।

आरबीआई ने मौद्रिक नीति के बारे में फैसला लेने वाली एमपीसी की यह विशेष बैठक इसी रिपोर्ट को तैयार करने के मकसद  से बुलाई है। एमपीसी की अनुशंसाओं के अनुरूप गत मई से अब तक नीतिगत रेपो दर में 1.90% की कुल वृद्धि की जा चुकी है इस तरह अब रेपो दर 5.90% पर पहुंच चुकी हैं।

इस वर्ष जनवरी 2022 के बाद 3 तिमाही से लगातार महंगाई दर 6% के सहिष्णुता बैंड से ऊपर रही है। सरकार और आरबीआई की कोशिशों के बावजूद सितंबर 2022 में सीपीआई इन्फ्लेशन रेट बढ़कर 7.41% तक पहुंच गई। अगस्त में सीबीआई इन्फ्लेशन रेट 7% रही थी।