उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर राजनीतिक समीकरण क्या बनते और बिगड़ते है। ये तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन उत्तर प्रदेश में की सियासत के खिलाडियों का कहना है कि इस बार बसपा और कांग्रेस तो केवल अपने खोये हुये जनाधार को पाने के लिये प्रयास कर रही है। और प्रदेश में असली मुकाबला सपा और भाजपा के बीच में ही है।
बताते चलें, इस बार सपा के मुखिया अखिलेश यादव बड़ी ही सोची समझी राजनीति के तहत जनसभायें कर रहे है। जनसभाओं में उन चेहरों को ही आगे ला रहे है। जो साफ –सुथरी छवि के नेता है। जो कभी विवादों में नहीं रहे है।
इस बार चुनाव में एक संगठन ऐसा भी है जो दलित, पिछड़ों के साथ मुस्लिमों को दो साल से जोड़ने में लगा है। अगर ये संगठन एकता के साथ चुनाव में एक पार्टी के साथ खड़ा हो गया तो चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले साबित होगे।
जबकि भाजपा भी पुनः सरकार वापसी के लिये रात–दिन एक किये हुये है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि भाजपा ने जो वादे किये है वो पूरे किये है। भाजपा पूरे चुनावी रंग में है। भाजपा का मानना है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के अलावा कोई दूसरी पार्टी ही नहीं है। जो भाजपा को चुनावी मुकाबल कर सकें। क्योंकि दूसरे राजनीतिक दल तो जातीय गुणा-भाग में लगे है।
भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है जो विकास को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने बताया कि जैसे ही चुनाव की तारीख घोषित होगी वैसे अन्य राजनीतिक दलों के नेता भाजपा का दामन थाम सकतें है। सबसे गौर करने वाली बात तो ये है बसपा की ओर से अभी तक कोई जनसभा की शुरूआत तक नहीं हुई है।फिलहाल उत्तर प्रदेश के बड़े–बड़े नेता सोच समझ कर ही वयानबाजी कर रहे है। ताकि कोई वयान सियासी माहौल न बिगाड़ दें।