बजटीय प्रावधानों से बैंक होंगे मज़बूत

बैंकों को अर्थ-व्यवस्था का मूल आधार माना जा सकता है। इन्हें मज़बूत किये बिना हम अर्थ-व्यवस्था को बेहतर बनाने की परिकृपना नहीं कर सकते हैं। इसलिए अर्थ-व्यवस्था में छायी सुस्ती को दूर करने के लिए बैंकों के कारोबार को बढ़ाना ज़रूरी है। वर्ष 2019 के दौरान बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ में 7.9 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है, जबकि वर्ष 2018 के दौरान इसमें 15.1 फीसदी के दर से वृद्धि हुई थी। भारत को 2024 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थ-व्यवस्था बनाने के लिए बैंकिंग क्रेडिट को मौज़ूदा स्तर से दोगुना करना ज़रूरी है।

जमा बीमा गारंटी सीमा में बढ़ोतरी

सरकार ने बजट 2020-21 में प्रति जमाकर्ता जमा बीमा कवरेज़ को एक लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया है। इससे जमाकर्ताओं का बैंकों पर भरोसा बढ़ेगा और बैंकों में पूँजी की समस्या कम होगी। जमा बीमा गारंटी सीमा में बढ़ोतरी से भारत में यह प्रति व्यक्ति आय का करीब 3.7 गुना हो गया है, जबकि ब्राजील में यह प्रति व्यक्ति आय का लगभग 7.1 गुना और अमेरिका में यह प्रति व्यक्ति आय का लगभग 4.2 गुना है। इसे नीचे दी गयी तालिका से समझा जा सकता है :-

विभिन्न देशों में जमा बीमा कवरेज़ और प्रति व्यक्ति आय; यूएसडी डॉलर में

देश       प्रति व्यक्ति जमा बीमा कवरेज़       आय प्रति व्यक्ति  जमा बीमा कवरेज़ (आय के गुणक में)

आस्ट्रेलिया         182650            57821  3.2

ब्राजील  64025  8959    7.1

कनाडा  72254  45288  1.6

फ्रांस     108870            41287  2.6

जर्मनी    108870            47615  2.3

भारत    7540    2041    3.7

इटली    108870            34488  3.2

जापान   88746  39313  2.3

रूस      19210  11288  1.7

यूनाइटेड किंगडम           111143            42978  2.6

अमेरिका            250000            59484  4.2

स्रोत : विश्व बैंक, सीईआईसी

आईडीबीआई बैंक में विनिवेश

इस बजट में सरकार ने स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से आईडीबीआई बैंक लिमिटेड में विनिवेश का प्रस्ताव किया है। इससे विनिवेश की राशि सीधे सरकार को मिलेगी। खुदरा निवेशक भी आईडीबीआई के शेयर खरीद सकेंगे। इससे इस बैंक को निर्णय लेने में आसानी होगी।

बैंकों को पूँजीगत एवं अन्य सहायता

बैंकिंग कारोबार व कामकाज में सुधार लाने के लिए बीते महीनों में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 3.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था, ताकि भारतीय बैंक प्रतिस्पर्धी, पारदर्शी और पेशेवर बनें। सरकार बैंकों को बाज़ार से पूँजी उगाहने को भी प्रोत्साहित कर रही है, ताकि उनकी पूँजी की अतिरिक्त ज़रूरतें पूरी हो सकें। बैंकों में व्यावसायिकता और पेशेवरता बढ़ाने के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन होगा। सरकार सहकारी बैंकों को भी मज़बूत बनाने के पक्ष में है, जिसके तहत आरबीआई सीधे तौर पर सहकारी बैंकों पर निगरानी रखेगा।

एनबीएफसी में सुधार

एनबीएफसी की मज़बूती के लिए सरकार ने फँसे कर्ज़ की वसूली के लिए सरफेसी (एसएआर एफएईएसआई) अधिनियम-2002 के तहत एनबीएफसी की पात्रता सीमा कम की है। इसके तहत 500 करोड़ रुपये की मौज़ूदा परिसम्पत्ति सीमा को कम करके 100 करोड़ रुपये किया गया है। वहीं कर्ज़ एक करोड़ रुपये से घटाकर 50 लाख रुपये किया गया है। माना जा रहा है कि इन बदलावों से एनबीएफसी के फँसे कर्ज़ (एनपीए) की वसूली में तेज़ी आएगी। इसके अलावा बजट 2020-21 में बैंकों के कारोबार को बढ़ाने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से अनेक उपाय किये गये हैं।

आवास

बजट में आवास-विकास (अफोर्डेबल आवास निर्माण) को मार्च, 2021 तक टैक्स होली-डे की सुविधा दी गयी है। अफोर्डेबल आवास खरीदने वालों को बैंक कर्ज़ पर ब्याज भुगतान में मार्च, 2021 तक 1.5 लाख रुपये तक की छूट दी जाएगी। माना जा रहा है कि इन प्रावधानों से लोग होम लोन के लिए प्रेरित होंगे।

असेम्बल इन इंडिया

बजट में मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सेमीकंडक्टर के निर्माण के मामले में मेक इन इंडिया की जगह असेम्बल इन इंडिया की संकल्पना को अमलीजामा पहनाने की बात कही गयी है। चीन को इस नीति से काफी लाभ हुआ है। भारत में भी इस संकल्पना को अपनाने से आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी के साथ काफी लोगों को रोज़गार मिलने की सम्भावना है।

आधारभूत संरचना का विकास

बजट में एयरपोर्ट, सड़क, सीमेंट, स्टील आदि के विकास पर विशेष ज़ोर दिया गया है। वर्ष 2024 तक 100 नये एयरपोर्ट, दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेसवे, चेन्नई-बेंगलूरु हाईवे बनाये जाएँगे। आधारभूत संरचना की मज़बूत के लिए अगले पाँच वर्षों में 100 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाएँगे। परिवहन संरचना को मज़बूत बनाने के लिए 1.7 लाख करोड़ रुपये का बजट है। मेट्रो मॉडल की तरह 18,600 करोड़ की लागत से 148 किलोमीटर बेंगलूरु सबअर्बन परियोजना विकसित की जाएगी। रेलवे के चार स्टेशनों का पुनर्विकास होगा। 150 पेसेंजर ट्रेनें पीपीपी मॉडल की तर्ज पर चलायी जााएगी। राष्ट्रीय गैस ग्रिड को 16,200 कि.मी. से बढ़ाकर 27,000 कि.मी. किया जाएगा। बजट में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना-ढ्ढढ्ढढ्ढ के तहत 1,25,000 कि.मी. सड़कों की मरम्मत की जाएगी है। बजट में नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे और बेहतर बनाये जाएँगे। विदित हो कि एक क्षेत्र के विकास से दूसरे क्षेत्र में माँग सृजित होती है, जिससे आर्थिक वृद्धि दर में तेज़ी आती है।

एफएमसीजी

फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एमएमसीजी) को बढ़ावा देने के लिए बजट में सीधे तौर पर तो कोई प्रावधान नहीं किये गये हैं। लेकिन कृषि क्षेत्र, ग्रामीण विकास को सुनिश्चित करने, कृषि ऋण की व्यवस्था करने, भंडारण प्रणाली को पुख्ता करने आदि उपायों से एफएमसीजी क्षेत्र में बेहतरी आने की सम्भावना है। जब उत्पादों की माँग बढ़ेगी, तो उसका उत्पादन भी किया जाएगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी आएगी साथ-ही-साथ लोगों को रोज़गार भी मिलेगा।

ऑटोमोबाइल

ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए इस बजट में कोई खास प्रत्यक्ष घोषणा नहीं की गयी है। लेकिन पूर्व की घोषणाओं से इस क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी। जैसे इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर आयकर में 1.5 लाख रुपये तक की छूट देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा भी इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरियों को चार्ज करने के लिए स्थापित किये जाने वाले चाॄजग स्टेशनों से जुड़े उपकरणों एवं ज़रूरी सामानों पर छूट देने की घोषणा की गयी है।

छोटे कारोबारियों को बढ़ावा

युवाओं में उद्यमशीलता बढ़ाने के लिए बजट में कई योजनाएँ लाने की बात की है। जीडीपी वृद्धि दर में तेज़ी लाने और रोज़गार बढ़ाने के लिए छोटे कारोबारियों के फायदे के लिए बजट में कई घोषणाएँ की गयी हैं। बजट में कहा गया कि सिंगल विंडो वाले ई-लॉजिस्टिक्स बाज़ार का गठन करने, रोज़गार सृजन बढ़ाने और छोटे कारोबारियों को प्रतिस्पर्धी बनाने हेतु एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति लायी जाएगी। बता दें कि नये स्टार्टअप को शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता की दरकार होती है। सरकार ने इन्हें मदद मुहैया कराने के लिए बैंकों को दिशा-निर्देश दिये हैं।

एमएसएमई की जाएगी मज़बूत

बजट में सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को मज़बूत बनाने की कोशिश जारी रखी है। गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान द्वारा फैक्टर रेगुलेशन एक्ट-2011 में सुधार करके छोटे कारोबारियों को ट्रेड्स के ज़रिये चालान के आधार पर कर्ज़ देने के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के ज़रिये गारंटी दी जाएगी। इसकी स्थापना लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के सहयोग से मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यम मंत्रालय ने की है। डेट री-स्ट्रक्चरिंग विंडो की अवधि बढ़ाकर 31 मार्च, 2021 की गयी है; जिससे 5 लाख एमएसएमई लाभान्वित हो सकते हैं। वहीं नयी मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनियों पर सिर्फ 15 फीसदी कर लगाया जाएगा। बजट में घोषणा की गयी है कि 25 करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाले कारोबारियों को तीन साल तक कोई कर (टैक्स) नहीं देना पड़ेगा।

कृषि और कर्ज़ के लिए प्रावधान

वर्ष 2020-21 के बजट में कृषि और ग्रामीण विकास के लिए पिछले साल के मुकाबले 1.52 लाख करोड़ रुपये ज़्यादा यानी 2.83 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। पिछले साल के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 130458 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। यह लगातार तीसरा साल है, जब कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन राशि में भारी-भरकम बढ़ोतरी की गयी है। गौरतलब है कि बजट 2017-18 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए सिर्फ 51576 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इस साल के बजट में ग्रामीण विकास और पंचायतीराज के लिए 1.23 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। बजट 2020-21 में कृषि ऋण के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है; जबकि वर्ष 2019-20 में इस मद में 1.2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। अल्पावधि कृषि ऋण के लिए बजट 2020-21 में 21,175 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है; जो 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 18.54 फीसदी अधिक है। बजट 2020-21 में वेयर हाउस में अनाज रखने की रसीद पर कर्ज़ देने पर भी ज़ोर दिया गया है।

निष्कर्ष

बैंकिंग क्षेत्र के लिए बजट में सबसे महत्त्वपूर्ण घोषणा जमा गारंटी सीमा को एक लाख से बढ़ाकर पाँच लाख रुपये करना है। सरकार के इस कदम से जमाकर्ताओं का बैंक पर भरोसा बढ़ेगा, जिससे बैंक के जमा आधार में बढ़ोतरी होगी। उम्मीद है कि आईडीबीआई बैंक लि. में हिस्सेदारी बेचने से बैंक के प्रदर्शन में बेहतरी आएगी। एनबीएफसी में सुधार से बैंकिंग का ग्रामीण इलाकों में आधार बढ़ेगा साथ-साथ एनपीए की वसूली में भी तेज़ी आएगी। एमएसएमई को मज़बूत करने से स्वाभाविक रूप से बैंकों के कारोबार में बढ़ोतरी होगी। हाल में बैंकों में किये गये 3,50,000 करोड़ रुपये के निवेश से बैंकिंग प्रणाली में सुधार और उनके कामकाज में पारदर्शिता आने की सम्भावना है। बजट में अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे कई प्रस्ताव किये गये हैं, जिनसे बैंकों के कारोबार में इज़ाफा होगा। आर्थिक गतिविधियों एवं रोज़गार सृजन में तेज़ी आएगी और अर्थ-व्यवस्था में छायी सुस्ती को भी दूर करने में मदद मिलेगी।

विश्लेषण के स्रोत : बजट दस्तावेज़, भारतीय रिजर्व बैंक की बेवसाइट, विभिन्न बैंकों की बेबसाइट्स

(लेखक बैंकर और कवि हैं।)