मुकेश अंबानी परिवार के खिलाफ जाँच!

काला धन मामले में आयकर विभाग ने 7 देशों से मुकेश अंबानी परिवार का विवरण माँगा है। आरआईएल ने 'तहलका’ की ईमेल का नहीं दिया जवाब...!

आयकर विभाग ने मुकेश अंबानी परिवार के सदस्यों के िखलाफ चल रही जाँच के सिलसिले में कथित तौर पर सात देशों में अपने समकक्षों से विस्तृत जानकारी माँगी है। एक ज़िम्मेदार और निष्पक्ष मीडिया हाउस होने के नाते ‘तहलका’ ने इस पर जानकारी के लिए मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को चार ईमेल भेजीं। जिसका स्वचालित जवाब आया- ‘हमें लिखने के लिए धन्यवाद। आपकी प्रतिक्रिया/सवाल सफलतापूर्वक दर्ज कर लिया गया है। हम जल्द-से-जल्द आपके सवाल का जवाब देने का प्रयास करेंगे। यदि आवश्यकता हुई, तो हमारे अधिकारियों में से कोई भी आपके सम्पर्क में रहेगा।’ हालाँकि, यह रिपोर्ट फाइल करते समय तक रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड से किसी ने भी अनुरोध के अनुसार सवालों के जवाब नहीं दिये।

एक रिपोर्ट के अनुसार, कथित अघोषित विदेशी आय और सम्पत्ति की जाँच काले धन अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत की जा रही है, जैसा कि आईटी विभाग ने आरोप लगाये हैं। जिन सात देशों से जानकारी माँगी गयी है वे अमेरिका, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, सेंट लूसिया, मॉरिटस, लक्समबर्ग और बेल्जियम हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार,आईटी विभाग ने पिछले महीने प्रश्न भेजे थे।

वे मुख्य रूप से कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट के बारे में थे, जो कि आईटी विभाग के अनुसार, विदेशी निधियों को वैश्विक डिपॉजिटरी प्राप्तियों (जीडीआर) को स्थानांतरित करने के उद्देश्य से इस्तेमाल किया गया था। इससे पहले, इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया था कि आयकर विभाग की मुम्बई इकाई ने कई देशों में एजेंसियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर जाँच के बाद मुकेश अंबानी परिवार के सदस्यों को नोटिस दिये हैं।

सरकार के 2011 में एचएसबीसी जिनेवा में अनुमानित 700 भारतीय व्यक्तियों और संस्थाओं के खातों का विवरण प्राप्त होने के बाद आईटी जाँच शुरू हुई। कथित तौर पर मुकेश अंबानी के परिवार के सदस्यों को उनके कथित अघोषित विदेशी आय और सम्पत्ति के लिए नोटिस दिये गये थे।

आयकर विभाग ने स्पष्ट रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी और उनके परिवार को 2015 के काले धन अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक नोटिस जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार, आईटी विभाग ने अंबानी को जिनेवा में एचएसबीसी बैंक में परिवार की अघोषित सम्पत्ति के बारे में बताने के लिए कहा है। खबरों के मुताबिक, आईटी विभाग ने पहली बार मार्च में परिवार को विदेशों में उनकी अघोषित सम्पत्ति का हवाला देते हुए नोटिस जारी किया था। इसने 12 अप्रैल को परिवार के साथ एक बैठक भी की थी।

आईटी अधिकारियों की जाँच के निष्कर्षों के अनुसार, मुकेश अंबानी के परिवार के सदस्य एचएसबीसी, जेनेवा में बैंक खाते के लाभार्थी हैं। इन निष्कर्षों के बारे में रिपोर्ट विभिन्न विदेशी एजेंसियों से साल 2015 के ब्लैक मनी एक्ट के आधार पर जुटायी गयी थी।

आयकर विभाग ने कथित तौर पर मुकेश अंबानी परिवार के सदस्यों के बारे में यूक्रेन में कथित अघोषित विदेशी आय और सम्पत्ति की जानकारी के लिए भारत के साथ समझौते से जुड़े सात देशों स्विट्जरलैंड, सेंट लूसिया, मॉरीशस, लक्समबर्ग, अमेरिका, ब्रिटेन और बेल्जियम के साथ सूचना का आदान प्रदान किया था।

मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि आईटी विभाग के नोटिस में मुकेश अंबानी के तीन बच्चों के नाम भी शामिल थे। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अम्बानी केमैन द्वीप स्थित इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी लिमिटेड में विवरण और होल्डिंग्स का खुलासा करने में विफल रहे थे, जिसके वे प्रमुख लाभार्थी भी थे। यहाँ यह गौरतलब है कि स्विस लीक्स ने, 2015 में 14 होल्डिंग्स समेत कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट से जुड़े 1,195 भारतीय खातों के नाम उजागर किये थे और इन्हें 628 भारतीयों से जुड़े पाया था, जिनके अंबानी सहित एचएसबीसी प्राइवेट बैंक में खाते थे। साल 2006-07 में इन खातों में सामूहिक राशि 25,000 करोड़ आँकी गयी थी।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2015 के ब्लैक मनी एक्ट के तहत नीता अंबानी और उनके तीन बच्चों को नोटिस दिये गये थे। जाँच में मुकेश अंबानी के रिलायंस समूह को ऑफशोर संस्थाओं से जोड़ा गया था, जिन्होंने 14 एचएसबीसी जेनेवा बैंक खातों में लगभग 601 मिलियन डॉलर जमा किये थे। मार्च, 2019 के आयकर नोटिस के अनुसार, अंबानी परिवार के सदस्यों को इन 14 संस्थाओं में से एक- कैपिटल इनवेस्टमेंट ट्रस्ट के प्रमुख लाभार्थियों के रूप में नामित किया गया है।

आयकर (आईटी) विभाग ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी के परिवार के सदस्यों को विदेशी आय के कथित हेरफेर को लेकर जारी कारण बताओ नोटिस के बाद दूसरे देशों से स्पष्टीकरण माँगा है। यह नोटिस ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और सम्पत्ति) और कर के प्रभाव या बीएम (यूएफआई एंड ए) और आईटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत जारी किये गयेे थे। फॉरेन टैक्स एंड टैक्स रिसर्च इकाई अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, मॉरीशस, आर्मेनिया और लक्जमबर्ग से जानकारी माँग रही है। इसने सेंट लूसिया से भी आपसी कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत जानकारी माँगी है। आई-टी दस्तावेज़ों के अनुसार, बार्टो होल्डिंग्स कथित रूप से कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (सीआईटी) नामक इकाई का लाभार्थी था। कैपिटल इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (सीआईटी) को केजे द्वीप समूह में एक सीजे दमानी द्वारा शामिल किया गया था। वर्षों से दमानी द्वारा नियंत्रित कई ऑफशोर इकाइयाँ स्थापित की गयीं, जिनकी होल्डिंग कम्पनी नेशनल इंडस्ट्रीज थी।

आईटी विभाग का आरोप है कि अंबानी परिवार के स्वामित्व वाली दो भारतीय संस्थाओं को विदेशी मुद्रा हस्तांतरित करने के लिए सीआईटी का इस्तेमाल 400 मिलियन डॉलर मूल्य की जीडीआर में किया गया था। सीआईटी ने इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी (आईसीएल) के स्वामित्व वाली थेम्स ग्लोबल को खरीदा, जो परिवार-नियंत्रित कम्पनियों में निवेश के लिए जीडीआर का आयोजन करेगी। इसके बाद दमानी के स्वामित्व वाली एक बीवीआई कम्पनी, टोकेन एसेट ट्रेडिंग के माध्यम से कथित तौर पर 400 मिलियन डॉलर आईसीएल में लाये गये।  आईटी विभाग के पास दस्तावेज़ हैं, जो यह ज़ाहिर करते हैं कि आईसीएल ने रिलायंस पोर्ट एंड टर्मिनल (आरपीटीएल) और रिलायंस यूटिलिटी एंड पॉवर (आरयूपीएल) के जीडीआर की खरीद के लिए 400 मिलियन डॉलर का निवेश किया। नोटिस में कथित तौर पर कहा गया है कि बीएम (यूएफआई और ए) और आईटी अधिनियम की धारा-3 के अनुसार, भारत के

बाहर स्थित किसी भी अघोषित सम्पत्ति पर पिछले वर्ष के उसके मूल्य के आधार पर कर लगाया जाएगा, जिसमें ऐसी सम्पत्ति का आकलन अधिकारी के ध्यान में आया है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भेजे गये संस्करण के ईमेल को यहाँ पुन: प्रस्तुत किया जा रहा है :-

प्रिय महोदय/महोदया,

तहलका काले धन अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत चल रही जाँच पर एक रिपोर्ट कर रहा है, जिसमें जेनेवा में एचएसबीसी बैंक में अज्ञात विदेशी आय और सम्पत्तियों और उसके बाद आयकर नोटिस जारी करने में श्री मुकेश अंबानी के परिवार के सदस्यों की संलिप्तता का आरोप लगाया गया है।

एक ज़िम्मेदार मीडिया हाउस के रूप में हम रिपोर्ट में आपके विचार / बयान को शामिल करना चाहेंगे। कृपया अगले तीन दिन के भीतर नीचे दिये गये प्रश्नों पर अपनी टिप्पणी भेजें।

1. क्या आयकर विभाग ने काले धन अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत चल रही जाँच के सम्बन्ध में मुकेश अंबानी और उनके परिवार के सदस्यों को एक नोटिस जारी किया है, जिसके लिए कि आईटी विभाग का अघोषित विदेशी आय और जेनेवा के  एचएसबीसी बैंक में सम्पत्ति होने का आरोप है।

2. क्या यह सच है कि आईटी विभाग ने पत्र तब भेजे, जब निर्धारितियों- नीता अंबानी और उनके तीन बच्चों ईशा, अनंत और आकाश ने आईटी नोटिस का प्रतिकार किया और अवैध बताते हुए उसे बीएम (यूएफआईएंडए) और आईटी का उल्लंघन करने वाला बताया। आईटी विभाग ने 12 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई की थी। क्या यह सच है कि 28 को जारी किये गये आईटी विभाग के नोटिस में कहा गया है कि आप ट्रस्ट कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट के विवरण का खुलासा करने में विफल रहे हैं, जिसकी अंतर्निहित कम्पनी केमैन द्वीप स्थित इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी है?

3. आरोप हैं कि कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट का इस्तेमाल ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट्स (जीडीआर) सहित विदेशी फंड्स को ट्रांसफर करने के उद्देश्य से किया गया था। और 28 मार्च, 2019 को मुकेश अंबानी के परिवार के सदस्यों के नाम पर उनकी कथित अज्ञात विदेशी आय और सम्पत्ति के लिए नोटिस दिये गये थे।

4. क्या आप जानते हैं कि आईटी विभाग ने मुकेश अंबानी परिवार के सदस्यों की  यूक्रेन में सात देशों स्विट्जरलैंड, सेंट लूसिया, मॉरीशस, लक्समबर्ग, अमेरिका, ब्रिटेन और बेल्जियम के साथ भारत की एक त्रैमासिक बैठक में हुए समझौते को लेकर सूचना साझा की थी।

5. क्या आप जानते हैं कि स्विस लीक्स ने 2015 में 14 होल्डिंग्स समेत कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट से जुड़े 1,195 भारतीय खातों के नाम उजागर किये थे और इन्हें 628 भारतीयों से जुड़े पाया था, जिनके अंबानी सहित एचएसबीसी प्राइवेट बैंक में खाते थे। साल 2006-07 में इन खातों में सामूहिक राशि 25,000 करोड़ रुपये थी।

6. आरोप है कि आईटी विभाग के नोटिस में आरोप लगाया गया है कि अम्बानी कैपिटल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और केमैन आइलैंड्स स्थित इसकी अंतर्निहित कम्पनी इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी लिमिटेड के विवरण और होल्डिंग्स का खुलासा करने में विफल रहे, जिसके वे मुख्य लाभार्थी भी थे।