पश्चिम बंगाल में सीबीआई द्वारा सन् 2014 में किये गये एक स्टिंग मामले में टीएमसी के चार दिग्गज नेताओं की गिरफ़्तारी को लेकर नया सियासी तूफ़ान खड़ा हो गया है। दरअसल स्टिंग में पार्टी नेताओं को एक पत्रकार से कथित तौर पर रिश्वत लेते हुए दिखाया गया था, जो एक कारोबारी बनकर उनसे मिला था। केंद्रीय एजेंसी की इस कार्रवाई के समय पर सवाल उठता है कि आख़िर नवनिर्वाचित विधानसभा का सत्र बुलाये जाने से ऐन पहले ही गिरफ़्तारियाँ क्यों की गयीं? गिरफ़्तारियाँ करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति तक नहीं ली गयी। वैसे भी जिन जन-प्रतिनिधियों को गिरफ़्तार किया गया था, वे मंत्री और विधायक निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सक्रिय हुए और उन्होंने कहा कि उन्हें नियुक्ति प्राधिकारी होने के नाते अभियोजन को मंज़ूरी देने का अधिकार था। राज्यपाल इससे पहले तब सुर्ख़ियाँ बटोर चुके हैं, जब उन्होंने कूचबिहार में चुनाव बाद की हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था; जो कथित तौर पर राजनिवास कार्यालय के संवैधानिक औचित्य का उल्लंघन था। मामले में बदले की राजनीति शुरुआत से ही दिखायी देती है। क्योंकि यह महज़ संयोग नहीं हो सकता है कि पश्चिम बंगाल में सन् 2016 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले ही स्टिंग ऑपरेशन के टेप जारी किये गये थे।
सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि स्टिंग टेप में लिप्त दो बड़े नेताओं को गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया? पश्चिम बंगाल में हिंसा को लेकर नागरिकों के एक समूह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कथित राजनीतिक हत्याओं की निष्पक्ष जाँच और त्वरित न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में विशेष जाँच दल गठित कर जाँच कराये जाने की माँग की है। समूह ने माँग की है कि इन मामलों को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी यानी एनआईए को सौंपा जाए। चक्रवात ‘यास’ के लिए केंद्र द्वारा घोषित राहत राशि को लेकर भी विवाद पैदा हो गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि ओडिशा और आंध्र प्रदेश की तुलना में बड़ी और अधिक घनी आबादी के बावजूद आपदा राहत के लिए राज्य को कम राशि जारी की गयी। दो तटीय राज्यों की तुलना में राहत राशि के तौर पर पश्चिम बंगाल को 400 करोड़ रुपये मिले, जबकि ओडिशा और आंध्र प्रदेश को 600-600 करोड़ रुपये दिये गये। इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री से बैठक कर चर्चा करेंगी। राहत राशि जनसंख्या घनत्व, इतिहास, भूगोल और सीमाओं पर और इस तथ्य पर निर्भर होनी चाहिए थी कि 15 लाख से ज़्यादा लोगों को चक्रवात के मद्देेनज़र सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया।
कलकत्ता उच्च न्यायालय की पाँच जजों की पीठ ने केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) से सवाल किया है कि स्टिंग ऑपरेशन मामले में आरोपी चार नेताओं को पिछले सात साल में गिरफ़्तार नहीं किया, तो अब उन्हें चार्जशीट दाख़िल होने के बाद क्यों गिरफ़्तार किया जा रहा है? इस बीच सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट की सुनवाई को स्थगित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था, लेकिन फिर स्वयं ही अपनी याचिका वापस ले ली। केंद्र-राज्य के बीच जारी गतिरोध कोई अच्छा संकेत नहीं है और दोनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस घटनाक्रम के पीछे सियासी मक़सद हावी न हो। क्योंकि सियासी या सत्ता का मक़सद पूरा करने के लिए चले गये दाँव-पेच में आख़िरकार जनता पिसती है, जो किसी भी राज्य के लिए बेहतर नहीं हो सकता।
चरणजीत आहुजा