पाकिस्तान में सियासी संकट के बीच इमरान खान ने नया दांव चला है। प्रधानमंत्री इमरान ने फेसबुक के सीईओ को एक लंबा पत्र लिखकर सोशल मीडिया साइट में इस्लाम के प्रति नफरत फैलाने वाले संदेशों पर पाबंदी लगाए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे इस्लामोफोबिया बढ़ रहा है।
इन दिनों एक ओर जहां पर पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना के बीच तकरार बढ़ गया है। इसे लेकर पिछले दिनों पुलिस और सेना आमने-सामने आ चुके हैं। वह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ, इससे पीएम इमरान के प्रशासन पर सवाल उठाए गए। पहले से ही कहा जाता रहा है कि इमरान खान तो सेना और आईएसआई की कठपुतली हैं।
तमाम मुश्किलों से घिरे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अब इस्लामोफोबिया का सहारा लिया है। फेसबुक ने बीते 12 अक्टूबर को यूरोप में यहूदी नरसंहार से जुड़े झूठ फैलाने वाली पोस्ट हटाने का फैसला लिया था। 1940 में हुए इस नरसंहार को होलोकॉस्ट कहा जाता है। तब जर्मन सेना ने करीब 60 लाख यहूदी नागरिकों को मार दिया था। इस बारे में इंटरनेट पर कई गलत बातें मौजूद हैं। इनकी वजह से कई लोग तो यह भी मानने लगे हैं कि यह नरसंहार हुआ ही नहीं। लोगों को भ्रमित करने के लिए इसकी अफवाहें उड़ाई गईं।
इमरान ने जुकरबर्ग को लिखी चिट्ठी को ट्विटर पर शेयर किया है। इसमें उन्होंने जुकरबर्ग को संबोधित करते हुए लिखा कि सोशल मीडिया में खासकर फेसबुक के जरिए बढ़ रहा इस्लामोफोबिया दुनियाभर में कट्टरता और हिंसा को बढ़ावा दे रहा है। मैं चाहता हूं कि आप फेसबुक पर इस्लामोफोबिया और इस्लाम के खिलाफ नफरत पर उसी तरह प्रतिबंध लगाएं, जैसे होलोकॉस्ट पर हाल ही में लगाया है।
होलोकॉस्ट के खंडन या उस पर सवाल उठाने वाली पोस्ट पर रोक लगाकर जुकरबर्ग के काम की उन्होंने सराहना भी की है। यह जर्मनी और पूरे यूरोप में नाजी प्रोग्राम का नतीजा था। दुनिया मुसलमानों के खिलाफ भी इसी तरह के अभियान की गवाह बन रही है। दुर्भाग्य से कुछ देशों में मुसलमानों को उनके नागरिक अधिकारों, पहनावे से लेकर पूजा तक उनके लोकतांत्रिक विकल्पों से वंचित किया जा रहा है।
पाक पीएम इमरान का यह पत्र फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की टिप्पणी के बाद आया है। पेरिस में एक शिक्षक की सिर काटकर हत्या किए जाने के बाद मैक्रों ने इस्लामी अलगाववाद से लड़ाई का ऐलान किया था। इस पर इमरान ने कहा कि उन्होंने उकसावे के लिए जानबूझकर मुसलमानों को चुना है।