राजनीति हिंसा, प्रलोभन और बदले की भावना से शून्य नहीं होती है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा से बंगला खाली कराने को लेकर कोई कुछ भी कहें, पर हकीकत तो यह है कि यह मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। बंगला खाली कराये जाने को लेकर कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार कोरोना वायरस जैसी घातक महामारी में तमाम स्तरों पर असफल हुई है। भारत-चीन के बीच तनाव को लेकर भी सरकार कोई कारगर सफलता हासिल नहीं कर पायी है। ऐसे में सरकार ने अपनी नाकामियाँ छिपाने के लिए प्रियंका गाँधी वाड्रा का बंगला खाली का आदेश दिया है; लेकिन इससे केंद्र सरकार को कुछ हासिल होने वाला नहीं है। क्योंकि प्रियंका गाँधी वाड्रा अब लखनऊ में कौल हाउस में शिफ्ट हो सकती हैं। इससे कांग्रेस को और फायदा होगा। इतना ही नहीं, प्रियंका 2022 के विधानसभा चुनाव का शंखनाद यहीं से करेंगी।
केंद्र सरकार का कहना है कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) सुरक्षा हटाये जाने के बाद प्रियंका लोदी एस्टेट के बंगला नंबर-35 में रहने की हकदार नहीं हैं। शहरी विकास मंत्रालय के सम्पत्ति निदेशालय ने नियमों के आधार पर बंगले का आंवटन रद्द किया है। बताते चलें कि नवंबर, 2019 में सरकार ने प्रियंका से एसपीजी की सुरक्षा हटा ली थी और जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की थी। इसी आधार पर सरकार ने माना कि जब एसपीजी नहीं, तो बंगला नहीं।
मगर कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार इस आधार पर प्रियंका वाड्रा से बंगला खाली करा रही है कि वह सांसद भी नहीं हैं। लेकिन सत्ता के नशे में मोदी नीत केंद्र सरकार यह भूल रही है कि भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी न तो सांसद हैं और न ही एसपीजी सुरक्षा उनको मिली हुई है। उनको भी जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है, तो फिर उनका बंगला खाली क्यों नहीं कराया जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि ये दोनों नेता अब राजनीति में सक्रिय भी नहीं हैं, जबकि प्रियंका गाँधी राजनीति में सक्रिय भी हैं। प्रियंका को यह बंगला सन् 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा के शासनकाल मिला था। उसके बाद अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार रही, लेकिन सरकार ने बंगला खाली कराने पर विचार नहीं किया। 2014 में मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार केंद्र में आयी, तब भी प्रियंका गाँधी से बंगला खाली नहीं कराया गया। लेकिन अब ऐसा क्या हो गया कि मोदी नीत केंद्र सरकार ने उन्हें बंगला खाली करने का सख्त आदेश दे दिया?
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि सरकारें तो आती-जाती रहती हैं। लेकिन सत्ताधारी नेता बदले की भावना से काम करेंगे, तो लोकतंत्र में इसे जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है। कांग्रेस ने किसी राजनीतिक दल के नेता को लेकर ओछी राजनीति नहीं की है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि प्रियंका गाँधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की पोती और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की बेटी हैं। इन दोनों नेताओं की हत्या भी हुई है। इस लिहाज़ से गाँधी परिवार की सुरक्षा का ज़िम्मा भी सरकार का बनता है। पर सरकार गाँधी परिवार को किसी-न-किसी बहाने परेशान करने में लगी रहती है, पर कांग्रेस केंद्र सरकार की इस ओछी राजनीति से डरने वाली नहीं है। यह केंद्र सरकार की घबराहट का नतीजा है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू का कहना है कि मोदी सरकार चीन से कब्ज़ा नहीं हटवा पा रही है; लेकिन जिसके परिवार ने देश की सेवा की है, उसके परिजनों को परेशान करने लिए बंगला खाली करवा रही है। उनका कहना है कि प्रियंका का बंगला ऐसे समय में खाली कराया जा रहा है, जब देश में कोरोना वायरस के कहर से हाहाकार मची हुई है। कांग्रेस के युवा नेता अम्बरीश का कहना है कि अजीब विडम्बना है कि केंद्र सरकार कोरोना वायरस और चीन जैसी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। बस एक ही काम है कि कांग्रेस को किसी-न-किसी बहाने परेशान करो। लेकिन कांग्रेस मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर करती रहेगी। उन्होंने कहा कि सम्पत्ति निदेशालय ने प्रियंका गाँधी के नाम जारी पत्र में सरकारी बंगला के किराये के तौर पर बकाया 3 लाख 46 हज़ार 677 रुपये का भुगतान करने को कहा गया था। इसका ऑनलाइन भुगतान किया जा चुका है। रही बात बंगले की, तो 01 अगस्त तक बंगला को खाली कर दिया जाएगा।
वहीं भाजपा के नेता राजीव प्रताप रूड़ी का कहना है कि बंगला को नियमों के तहत खाली कराया जा रहा है; न कि बदले की भावना से। हाँ, पर इतना है कि यह परिवारवाद का अध्याय समाप्त हो रहा है, जिससे कांग्रेस के नेता तिलमिला रहे हैं। क्योंकि न तो प्रियंका के पास एसपीजी की सुरक्षा है और न ही वह सांसद हैं; फिर किस आधार पर उनको बंगला दिया जा सकता है? भाजपा का तर्क है कि अभी हाल में राज्य सभा के चुनाव के ज़रिये नये राज्य सभा के सांसद चुनकर आये हैं, उनके रहने के लिए भी बंगलों की ज़रूरत है। राजनीतिक विश्लेषक हरिश्चंद्र पाठक का कहना है कि मौज़ूदा दौर में राजनीति का स्तर काफी गिरता जा रहा है। इसमें एक दल दूसरे दल पर आरोप लगाकर अपने आप में बचने का प्रयास करता है। जबकि सच्चाई यह है कि हम्माम में सब नंगे हैं। जब एनडीए सरकार अपने निक्कमेपन से घिरी होती है, तब विरोधियों को परेशान करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती है। जबकि मौज़ूदा समय में देश की आॢथक स्थिति ठीक नहीं है। युवाओं को रोज़गार नहीं है और मज़दूरों को काम नहीं है। इसलिए सरकार सियासी खेल न खेलकर बुनियादी समस्याओं पर ध्यान दे और उनका समाधान करे।