सर्वोच्च न्यायालय ने लॉक डाउन के बाद प्रवासी मजदूरों के बड़े पैमाने पर पलायन, उनकी मुसीबतों और हादसों में मौतों पर सख्त रुख दिखाते हुए मंगलवार को केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। खुद इस मामले का संज्ञान लेते हुए सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार और देश भर के राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
इस मामले में सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अब तक प्रवासी मजदूरों के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने कहा है कि यह प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। प्रवासी मजदूरों के लिए ये कठिन दौर है और इस स्थिति से उबारने के लिए प्रभावकारी ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने दो पृष्ठ के अपने आदेश में कहा कि मीडिया और अखबारों में लगतार आ रही रिपोर्ट्स उन्होंने देखी है और इससे जाहिर होता है कि प्रवासी मजदूरों की हालत खराब है वे लंबी दूरी पैदल तय करने को मजबूर हैं, या साइकल से कुछ ये दूरी तय कर रहे हैं। जहां यह लोग फंसे हैं वहां प्रशासन और रास्ते में प्रशासन से शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें खाना और पानी नहीं मिल रहा है।
पीठ ने कहा कि देश भर में अभी लॉक डाउन है। समाज के इस वर्ग को इस परेशानी की घड़ी में सहायता की जरूरत है। इन्हें सरकार से अभी मदद की जरूरत है। खासकर भारत सरकार और राज्य सरकार इसको लेकर कदम उठाएं। अदालत ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए ये कठिन दौर है और इन्हें मदद की दरकार है। उन्होंने कहा कि उन्हें तमाम पत्र और प्रतिवेदन दिए गए और प्रवासी मजदूरों की समस्या के बारे में अवगत कराया गया है। प्रवासी मजदूरों की समस्या अभी भी बरकरार है। बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर राज्य के बॉर्डर, सड़क, रेलवे स्टेशन और हाइवे पर फंसे हुए हैं। वैसे तो राज्य और केंद्र की सरकार ने कई कदम उठाए हैं लेकिन अभी भी ये तमाम प्रयास अपर्याप्त हैं और इसमें कमियां हैं। हम इस मामले में एकमत हैं कि प्रवासी मजदूरों के लिए प्रभावकारी व ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि उन्हें मुसीबत से छुटकारा मिले।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा – ”हम भारत सरकार और देश के तमाम राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को नोटिस जारी करते हैं। मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी तब तक केंद्र सरकार इस मामले में उठाए गए कदम के बारे में अवगत कराएं साथ ही सॉलिसिटर जनरल कोर्ट में मौजूद रहें।”