प्रदूषण से घुट रहा उत्तर प्रदेश का दम

किसानों पर है प्रतिबंध और जमकर फूटे पटाखे, काम नहीं आये सरकारी उपाय

सुनील कुमार

ठंड बढऩे एवं हल्का कोहरा पडऩे के साथ ही उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण के बढऩे से खाँसी, जुकाम एवं गले में खरासें पडऩे के मामले बढऩे लगे हैं। कहने को दिन में मौसम सामान्य रहता है एवं धूप भी निकल रही है; मगर सुबह शाम एवं रात को सर्दी चरम पर रहती है, जिसके चलते लोगों में मौसम में बदलाव वाले इन रोगों का संक्रमण फैल रहा है। देखा गया है कि जब सुबह शाम कोहरा छाया रहता है, तब साँस लेने में कठिनाई आती है; मगर जब दिन में धूप खिल जाती है, तो प्रदूषण कम हो जाता है।

प्रदूषण के मामले में डॉक्टर हरीश गंगवार कहते हैं कि सर्दी जुकाम, खाँसी एवं सामान्य बु$खार मौसम में बदलाव से होते हैं। मौसम कभी भी बदले इन रोगों के पीडि़तों की संख्या बढ़ ही जाती है; मगर जब सर्दी का मौसम आता है तब प्रदूषण बढऩे से संक्रमण बढ़ जाता है। अधिकतर लोग इन रोगों को केवल मौसमी संक्रमण मानकर इन्हें ठीक करने के लिए या तो दवाई नहीं कराते या मेडिकल स्टोर से अपनी जानकारी के हिसाब से गोलियाँ लेकर खा लेते हैं, जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। डॉक्टर होने के नाते ऐसे रोगियों से मैं यही कहना चाहूँगा कि वे स्वयं डॉक्टर बनने का प्रयास न करें एवं न ही इन रोगों को हल्के में लें। कोई भी रोग छोटा नहीं होता एवं रोगों को लेकर लापरवाही किसी की जान भी ले सकती है।

प्रदूषण का स्तर जानलेवा

समाचारों एवं रिपोट्र्स की मानें, तो देश की राजधानी से सटे नोएडा,ग़ाज़ियाबाद एवं अन्य क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर अत्यधिक ख़तरनाक हो चुका है। केवल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों में ही प्रदूषण नहीं बढ़ रहा है, बल्कि प्रदेश में कई अन्य छोटे बड़े जनपदों में भी प्रदूषण का स्तर तीव्रता से बढ़ता जा रहा है। कई क्षेत्रों में तो हवा की गुणवत्ता इतने निम्न स्तर की है कि साँस लेने में भी कठिनाई आ रही है।

सेवानिवृत्त अध्यापक बलवंत सिंह कहते हैं कि दीपावली के उपरांत प्रदूषण में और अधिक वृद्धि हुई, क्योंकि प्रतिबंध के उपरांत लोग पटाखे जलाने से नहीं माने। इसके कई कारण हैं, जिनमें दो प्रमुख कारणों में एक है- उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में दृढ़ इच्छाशक्ति में कमी एवं दूसरा कारण यह है कि सरकार द्वारा अभी तक इस दिशा में कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया है। इसका कारण भी यह है कि जनता इसे उसकी धार्मिक भावना पर आघात समझेगी। वर्तमान सरकार का तो चयन ही हिन्दुत्व के बलबूते पर हुआ है। इस कारण से वह कभी भी हिन्दुओं की धार्मिकता को चोट नहीं पहुँचाना चाहेगी।

12 नंबवर को दीपावली से पहले ही पटाखे फूटने का शोर आरम्भ हो गया था। दीपावली के बाद 15 नवंबर को उत्तर प्रदेश के अधिकतर जनपदों में प्रदूषण के आँकड़े एकत्रित किये गये थे। इन आँकड़ों के अनुसार ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण का वायु गुणवत्ता सूचकांक अर्थात एक्यूआई पीएम 311 पर एवं नोएडा में पीएम 317 एक्यूआई था। वहीं लोनी में पीएम 364 पर एवंग़ाज़ियाबाद में पीएम 367 एक्यूआई था। लखनऊ में एक्यूआई पीएम 283 पर था, तो मेरठ में पीएम 380 पर था। प्रयागराज में एक्यूआई पीएम 213 पर था, अलीगढ़ में एक्यूआई पीएम 240 पर एवं गोरखपुर में पीएम 178 पर था। इसके अतिरिक्त बाग़पत में एक्यूआई पीएम 360 पर, हापुड़ में पीएम 267 पर, बुलंदशहर में पीएम 247 पर, मुज़फ़्फ़रनगर में पीएम 275 पर, झांसी में पीएम 202 पर, वृंदावन में पीएम 186 पर, बरेली में पीएम 153 पर एवं आगरा में पीएम 191 पर एक्यूआई था।

ये वो जनपद हैं, जहाँ का वायु प्रदूषण दमघोंट रहा है एवं कई मौसमी रोगों को बढ़ा रहा है। इस बढ़ते प्रदूषण के चलते छोटे बच्चे, दमा एवं नज़ला के रोगी एवं बुजुर्ग अधिक समस्या से जूझ रहे हैं। इन सभी में संक्रमण का ख़तरा सदैव बना रहता है; मगर वायु प्रदूषण इनके शरीर पर अधिक असर करता है।

पराली जलाने पर दण्ड

उत्तर प्रदेश में हर वर्ष दीपावली पर करोड़ों रुपये के पटाखे जलाये जाते हैं; मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी को पटाखे जलाने पर किसी प्रकार का दण्ड देने का विधान नहीं बनाया है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों पराली एवं अन्य प्रकार का कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध लगाने के अतिरिक्त भारी आर्थिक दण्ड एवं कारावास का प्रावधान किया है। इस दण्ड विधान के तहत खेतों में पराली अथवा अन्य प्रकार के फ़सलों के अवशेष जलाने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। पराली अथवा फ़सलों के अन्य अवशेष जलाने पर किसानों के विरुद्ध आर्थिक एवं कारावास के दण्ड की यह व्यवस्था उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार दो वर्ष पूर्व ही कर चुकी है।

अब इस व्यवस्था के नये-नये नियम भी बनते जा रहे हैं। इन नये नियमों के अनुसार पराली एवं दूसरे फ़सल अवशेषों को जलाने पर पर्यावरण को होने वाली हानि के नाम पर किसानों से दण्ड स्वरूप वसूली की जा रही है। इस व्यवस्था के तहत किसानों से 2,500 रुपये से लेकर 15,000 रुपये तक का आर्थिक दण्ड वसूला जा सकता है। उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग के तय मानकों के अनुसार दो एकड़ से कम खेत वाले किसानों को पराली अथवा अन्य फ़सल अवशेषों को जलाने पर 2,500 रुपये का दण्ड देना होगा, तो वहीं पाँच एकड़ खेत वाले किसानों को 5,000 रुपये एवं पाँच एकड़ से अधिक खेत वाले किसानों को 15,000 रुपये तक के अर्थ दण्ड वसूली पर्यावरण की हानि के नाम पर वसूलने का प्रावधान है।

किसानों के विरुद्ध नियम

पराली एवं अन्य फ़सलों के अवशेष जलाने को लेकर केवल उत्तर प्रदेश सरकार ही किसानों के विरुद्ध नहीं है, बल्कि किसानों के विरुद्ध केंद्र सरकार भी खड़ी है। केंद्र सरकार  पराली अथवा अन्य फ़सलों के अवशेष जलाने से रोकने के लिए कई कड़े नियम बनाने के साथ ही राज्य सरकारों को निर्देश दे चुकी है कि वे हर स्थिति में किसानों को ऐसा करने से रोकें। केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को जारी किये गये दिशा-निर्देशों के अतिरिक्त केंद्र सरकार ने पराली एवं फ़सलों के अन्य अवशेष जलाने से रोकने के लिए सुझाव भी दिये हैं।

किसान विकास कहते हैं कि केंद्र सरकार तो पहले ही किसानों को अपना शत्रु मानती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दोगुनी करने का झाँसा देकर उनके विरुद्ध कृषि क़ानून बनाकर इस बात का संकेत पहले ही दे चुके हैं। यह तो भला हो किसानों का, जिन्होंने पिटाई खाकर एवं मौसम की मार झेलकर भी आन्दोलन किया एवं कृषि क़ानूनों को रद्द कराया। मगर किसानों से किये वादों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नहीं निभाया।

पंजाब पर लगाया आरोप

उत्तर प्रदेश में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने पंजाब के किसानों पर पराली जलाकर प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि पंजाब में लगातार जलायी जा रही पराली के कारण उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं अन्य जनपदों में वायु प्रदूषण चरम पर पहुँच गया है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता राजेंद्र दिवाकर कहते हैं कि अपनी त्रुटियों को दूसरों के ऊपर डाल देना अत्यधिक आसान होता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहाँ किसानों के विरुद्ध षड्यंत्र रच दिया है एवं अब पंजाब के किसानों को दोष देकर वो अपनी नाकामी से बचाव का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं; मगर उन्होंने न तो दीपावली पर जलने वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है एवं न ही वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले अन्य कारणों पर प्रतिबंध लगाया है।

इसके अतिरिक्त योगी सरकार स्वयं भी प्रदूषण को कम करने के लिए कोई उपाय नहीं कर रही है। सरकार ने पराली के उपयोग के लिए प्लांट भी उतने नहीं लगाये हैं, जितने कि उसे लगाने चाहिए। फैक्ट्रियों से 24 घंटे निकलता धुआँ एवं पटाखों से वायु प्रदूषण जितना फैलता है उतना घरों में लकड़ी कंडे जलाने एवं खेतों में पराली अथवा अन्य फ़सल अवशेषों के जलने से नहीं फैलता।

समाधान की आवश्यकता

वायु प्रदूषण कोई एक दिन की समस्या नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रदेश सरकार यह भी जानती है कि अगर किसानों के अतिरिक्त प्रदूषण बढ़ाने वाले किसी अन्य व्यक्ति को छेड़ा, तो ये सरकार के लिए महँगा सौदा साबित होगा। क्योंकि किसानों के अतिरिक्त प्रदूषण फैलाने वाले लोगों में गाड़ी मालिक, फैक्ट्रियों, मिलों एवं कम्पनियों के मालिक, पटाखे फोडऩे वाले आदि इसके लिए दोषी हैं। इसके अतिरक्त लकड़ी कंडे आदि ईंधन से भोजन बनाने, अलाव तापने एवं वन्य क्षेत्रों को अवैध रूप से काटने वाले भी वायु प्रदूषण बढ़ाने के दोषी हैं।

इसके अतिरिक्त सर्दियों में मौसम में आद्रता बढ़ जाती एवं वायुमंडल के ऊपरी सतह में दबाव बढ़ जाता है, जिसके कारण धूल एवं धुआँ पृथ्वी के निचले भाग पर बढऩे लगते हैं। मौसम विज्ञानियों ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश कम दवाब का क्षेत्र बन रहा है। अगर इस मौसम में वर्षा हो जाए, तो प्रदूषण से छुटकारा मिल सकता है।