सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को उन्हें राज्य सभा के लिए मनोनीत किया।
एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है, ”भारत के संविधान के अनुच्छेद ८० के खंड (३) के साथ पठित खंड (१) के उपखंड (क) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति, एक नामित सदस्य की सेवानिवृति के कारण हुई रिक्ती भरने के लिए, राज्यसभा में रंजन गोगोई को नामित करते हैं। यह सीट केटीएस तुलसी का राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने से खाली हुई थी।
प्रधान न्यायाधीश रहते रंजन गोगोई ने ९ नवंबर, २०१९ को राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था और सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे संबंधी मामलों पर फैसला देने वाली पीठों का भी नेतृत्व किया था। रंजन गोगोई १७ नवंबर, २०१९ को रिटायर हुए थे।
रंजन गोगोई जाने माने कांग्रेस नेता और असम के मुख्यमंत्री रहे केशब चन्द्र गोगोई के बेटे हैं। उन्होंने १९७८ में वकालत शुरु की और २००१ में गुवाहाटी हाईकोर्ट के स्थाई जज बने। साल २०११ में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने और २३ अप्रैल, २०१२ को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए। तीन अक्टूबर, २०१८ को वे भारत के ४६वें प्रधान न्यायाधीश बने। वो तब भी चर्चा में आये थे जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जजों के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस की थी।