पी चिदंबरम को राहत

चिदंबरम पर क्या आरोप थे?

जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी और गैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने 2जी मामले में दो अलग याचिकाएं दायर कर रखी थीं. याचिकाकर्ताओं की अदालत से मांग थी कि 2जी घोटाले में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम को भी आरोपित बनाया जाए क्योंकि जिस समय 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन हुआ था उस समय वित्त मंत्रालय पी चिदंबरम के पास था. उस दौरान दूरसंचार विभाग और वित्त मंत्रालय के बीच कई बार पत्राचार भी हुआ था. इससे पहले चार फरवरी को सीबीआई की विशेष अदालत ने भी इस संबंध में दोनों याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज कर दी थी.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या है?

24 अगस्त को आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला पी चिदंबरम के पक्ष में था. कोर्ट ने पाया कि प्रथम दृष्टया इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने अपने पद का दुरुपयोग किया और तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के साथ 2जी घोटाले में सांठ-गांठ की. कोर्ट ने पी चिदंबरम पर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए दोनों याचिकाएं निरस्त कर दीं. याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की पड़ताल करने के बाद कोर्ट ने कहा, ‘सिर्फ इस आधार पर पी चिदंबरम और ए राजा के आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने का दोष नहीं लगाया जा सकता कि वित्त मंत्रालय और दूरसंचार विभाग के अधिकारियों के बीच आधिकारिक बातचीत हुई थी या दोनों नेताओं की आपस में बात हुई थी.’ कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि पी चिदंबरम ने अपने पद का दुरुपयोग कर खुद को या किसी अन्य व्यक्ति को किसी तरह का आर्थिक फायदा पहुंचाया हो.  

फैसले के राजनीतिक परिणाम क्या हैं?

कोर्ट का यह फैसला भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी यूपीए सरकार के लिए संजीवनी की तरह है. चिदंबरम के आरोपित बनाए जाने की सूरत में 2जी घोटाले के तार सीधे कांग्रेस से जुड़ जाते. चिदंबरम के लिहाज से भी यह फैसला खुशी का सबब है, लेकिन अब भी मामला संयुक्त संसदीय समिति में है जहां उनके लिए एक बार फिर मुसीबत खड़ी हो सकती है. अभी पुनर्विचार याचिका का विकल्प भी खुला है.