केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का एक अधिकारी बताकर विवाद सुलझाने के लिए दबाव बनाने के एक मामले में मयंक तिवारी के अहमदाबाद स्थित परिसरों की तलाशी की और कई अहम दस्तावेजों को कब्जे में लिया है। हालांकि मयंक तिवारी की गिरफ्तारी अभी नहीं हुई है।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि, “आरोपी ने इंदौर के एक अस्पताल पर बकाया 16 करोड़ न देने के लिए प्रमोटर्स पर दबाव बनाया था। और सीबीआई की टीम ने अपनी तलाशी के दौरान कई अहम दस्तावेज अपने कब्जे में लिए है।”
अधिकारियों ने बताया कि, इंदौर के अस्पताल ने कथित तौर पर समझौते की शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया जिसके बाद ही विवाद हुआ और सामने वाली पार्टी जिसने पैसे दिए थे। वो अपना पैसा वापस चाहते थे। लेकिन मामला उच्च न्यायालय में गया, अदालत ने इस विवाद को निपटाने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया। मध्यस्थ ने इंटरिम इनजक्शन में इंदौर अस्पताल को चार सप्ताह के भीतर 16.43 करोड़ रूपये जमा करने को कहा। और जब इस मामले में पीएमओ का नाम इस्तेमाल किया गया तो इसकी सूचना सीबीआई को की गर्इ।
बता दें, इस मामले की जानकारी पीएमओ ने भी सीबीआई को दी है और कहा गया है कि प्रथम दृष्टया, यह पीएमओ अधिकारी का प्रतिरूपण करने और पीएमओ के नाम के दुरुपयोग का मामला है, क्योंकि न तो यह व्यक्ति और न ही उसके द्वारा बताया गया पद इस कार्यालय में हैं।