पाकिस्तान की संसद बहाल, डिप्टी स्पीकर का फैसला असंवैधानिक : सुप्रीम कोर्ट

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पांच जजों की बेंच ने गुरुवार को नैशनल एसेंबली के डिप्टी स्पीकर के पीएम इमरान खान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने पर एकमत (5-0) फैसला सुनाते हुए डिप्टी स्पीकर के फैसले को असंवैधानिक बताया है। बेंच ने कहा कि इमरान खान संसद भंग नहीं कर सकते थे। साथ ही बड़े फैसले में सभी एसेंबली बहाल कर दी गयी हैं। अब संसद का सत्र शनिवार साढ़े 10 बजे से पहले बुलाया जाएगा जिसमें अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से इमरान खान को बहुत बड़ा  झटका लगा है। फैसले के बाद विपक्षी नेताओं ने ‘गो नियाज़ी’ के नारे लगाए।

फैसले से पहले मुख्य न्यायाधीश के चैंबर में सभी जजों ने आपस में काफी समय तक चर्चा की। फैसला सुनाने से पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने देश के चुनाव आयोग के सचिव सहित अधिकारियों को कोर्ट में तलब किया। इन अधिकारियों ने कोर्ट में कहा कि जल्दी (90 दिन में) चुनाव कराना संभव नहीं है। कोर्ट रूम के बाहर वकीलों और पुलिस में झड़प की खबर भी आई।

फैसले से पहले तत्कालीन पीएम इमरान खान ने कहा कि कोर्ट का हर फैसला मंजूर होगा। सुप्रीम कोर्ट में फैसले के वक्त विपक्षी दलों के नेता वरिष्ठ नेता पीएमएल (एन) शाहबाज़ शरीफ के घर पर इकठ्ठा हुये और हालत पर चर्चा की। सुप्रीम कोर्ट के बाहर फैसले के समय कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया गया था।

बता दें डिप्टी स्पीकर ने पीएम इमरान खान के खिलाफ चार दिन पहले अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इसके करीब आध घंटे के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने पीएम की सिफारिश पर संसद (नैशनल एसेंबली) को भंग कर दिया था। इससे पहले सरकार के एक मंत्री ने 90 दिन के भीतर चुनाव कराने की बात कही थी।

विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया था कि इमरान खान के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करना सीधा संसद पर हमले जैसा है। उन्होंने कहा था कि डिप्टी स्पीकर का यह असंवैधानिक फैसला लोकतंत्र पर हमले जैसा है।

दिन में बहस पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने फैसला 8 बजे तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले दिन में दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान इस बात का अधिकार देता है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सके। वहीं जस्टिस मुनीब अख्तर ने कहा कि स्पीकर सदन का केयरटेकर है। वह सिर्फ व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए वहां नहीं बैठा रह सकता। वह अपनी निजी राय देकर बाकी सदस्यों से गुडबाय नहीं कह सकता। जज ने यह भी कहा कि डिप्टी स्पीकर ने अपना काम ठीक से नहीं किया। चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि जाहिर तौर पर उनका फैसला गलत था।

सुबह कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि अविश्वास प्रस्ताव पर वोट डालना किसी संसद सदस्य का मौलिक अधिकार नहीं है। वोटिंग का अधिकार संविधान और विधानसभा नियमों में आता है। अगर कोई स्पीकर किसी सदस्य को सस्पेंड कर देता है तो वह कोर्ट आकर इसकी बहाली नहीं करा सकता है।

कोर्ट में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के वकील नईम बुखारी ने आज दलील दी कि  संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने को मंजूरी मिलने का मतलब यह नहीं होता कि उसको खारिज नहीं किया जा सकता। स्पीकर के पास इसे खारिज करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि कोर्ट भी तो याचिकाओं को मंजूरी देता है और बाद में उनको खारिज करता है। सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम में 90 दिन के लिए देश को बेसहारा छोड़ दिया गया है।