नई दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन के जिन दो अधिकारियों को जासूसी के आरोप में पकड़ा गया था, उन्हें सोमवार दोपहर वाघा बार्डर के रास्ते वापस पाकिस्तान भेज दिया गया है। इन दोनों, आबिद हुसैन और ताहिर हुसैन पर आईएसआई के लिए जासूसी करने का आरोप है। माना जाता है कि मिलिट्री इंटेलिजेंस के साथ आईबी और स्पेशल सेल लम्बे समय से उनपर नजर रखे था।
यह दोनों पाकिस्तानी एम्बेसी में वीज़ा असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे थे। भारत सरकार ने दोनों को रविवार को ही ४८ घंटे के भीतर वाघा सीमा से पाकिस्तान जाने के निर्देश दे दिए हैं। भारत ने पाकिस्तान से इस मामले में सख्त नाराजगी जाहिर की है।
दोनों की जानकारी सामने आने के बाद विदेश मंत्रालय से उनके निष्कासन के लिए कागजी कार्रवाई की। इसके बाद दोनों को पाकिस्तानी हाई कमशीन को सौंप दिया गया। जानकारी के मुताबिक मिलिटरी इंटेलीजेन्स लंबे समय से इन दोनों पर कड़ी नजर रखे हुए थी। उसे जानकारी मिली थी कि दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन के कुछ कर्मचारी दूतावास की आड़ में जासूसी कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक मोहम्मद ताहिर (यूडीसी, ४४ साल) और अब्दुल हुसैन (एएसएस, ४२ साल) २०१७ से ही भारत के खिलाफ जासूसी में लिप्त थे और इनकी जानकारी बहुत पहले भारतीय एजंसियों को चल गयी थी। उन्हें राडार पर लेकर उनपर कड़ी नजर राखी जा रही थी। यह लोग वास्तव में पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आईएसआई के पेरोल पर भी काम कर रहे थे।
आरोप है कि यह दोनों देश, खासकर भारतीय सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारी हासिल करने में जुटे थे। मिलिटरी इंटेलीजेन्स ने दोनों पर नजर रखने के लिए योजना बनाई और इसमें गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) और स्पेशल सेल के अधिकारियों को साथ जोड़ा गया। आबिद हुसैन और ताहिर हुसैन पर आईएसआई के लिए जासूसी के काफी प्रमाण जुटाए गए हैं।