सेना प्रमुख जनरल बाजवा से मिलने के बाद राष्ट्र को अपना संबोधन टालने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक भले कह रहे हों कि अविश्वास प्रस्ताव पर उनके नेता ‘अंतिम समय तक’ लड़ेंगे, पड़ौसी मुल्क के राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि इमरान खान का जाना लगभग तय है। यदि इमरान खान जाते हैं तो उनकी जगह विपक्ष के सबसे वरिष्ठ नेता और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं ! पंजाब के मुख्यमंत्री रहे शाहबाज पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ के भाई हैं।
एमक्यूएम के विपक्ष के साथ चले जाने के बाद पहले ही नैशनल असेंबली के निचले सदन में बहुमत खो चुके इमरान खान को लेकर पाकिस्तान में कयास जारी हैं। उनके खिलाफ 3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने की संभावना है। हो सकता है कि अपनी हार की संभावना दिखने पर इमरान उससे पहले सदन में इस्तीफे की घोषणा कर दें या फिर बहुमत लायक सदस्यों को अपने पक्ष में जुटाने की कोशिश करें, जिसकी संभावना कम दिख रही है।
पिछले कल इमरान खान देश को संबोधित करने वाले थे लेकिन देश के सेना प्रमुख जनरल बाजवा से मुलाक़ात के बाद उन्होंने इसका विचार टाल दिया। फिलहाल अभी यह तय नहीं कि वे देश को संबोधित कब करेंगे।
इस बीच पाकिस्तान में विपक्षी दलों ने साझे रूप से एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके इमरान खान की सरकार जाने की ज़रुरत जताते हुए कहा कि ये देश के भविष्य से जुड़ी बात है। नेशनल एसेंबली में इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ 28 मार्च को जो अविश्वास प्रस्ताव रखा गया था उसपर आज से चर्चा शुरू हो रही है और संभावना है कि 3 अप्रैल को उसपर मतदान होगा।
अभी तक की संभावना के मुताबिक यदि इमरान खान की सत्ता से विदाई होती है तो पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ देश के नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं। शाहबाज इस समय विपक्ष के नेता हैं। वे पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के अध्यक्ष भी हैं। उन्हें कमोवेश सभी विपक्षी दलों का समर्थन मिल सकता है क्योंकि वे सभी इमरान खान की सरकार के सख्त खिलाफ हैं। बिलावल भुट्टो ज़रदारी की पार्टी पीपीपी भी इमरान खान का जबरदस्त विरोध कर रही है।
पाकिस्तान में महंगाई बढ़ने से लेकर दर्जनों समस्यायों ने जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। इमरान खान जिस ‘नए पाकिस्तान’ का सपना लेकर सत्ता में आए थे, उसकी दूर-दूर तक कोई झलक नहीं दिखती। उलटे जनता की हालत खराब हो चुकी है।
जहाँ तक शाहबाज शरीफ की बात है यदि वे सत्ता में आते हैं तो भारत के साथ मुद्दों को लेकर बातचीत का दौर शुरू हो सकता है, जो लगभग ठप पड़ चुका है। यहाँ यह बताना भी ज़रूरी है कि नरेंद्र मोदी जब भारत के प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने पाकिस्तान के पीएम नवाज़ शरीफ को भी अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था। यही नहीं एक बार अफगानिस्तान से भारत वापस लौटते हुए मोदी अचानक नवाज़ शरीफ से मिलने पाकिस्तान पहुँच गए थे। ऐसे में शाहबाज सत्ता में आते हैं तो भारत-पाक के बीच बातचीत का दौर शुरू हो।
शाहबाज को एक मझा हुआ प्रशासक माना जाता है और पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में वे अफसरशाही पर मजबूत पकड़ दिखा चुके हैं। सेना से भी उनके संबंध आम तौर पर सामान्य रहे हैं, हालांकि, उन्हें अपने फैसलों में हस्तक्षेप पसंद नहीं रहा है।
देश के बड़े उद्योगपति घराने से ताल्लुक रखने वाले शाहबाज धनशोधन के एक मामले में जेल भी जा चुके हैं। वैसे तीन बार पंजाब का मुख्यमंत्री रहने वाले शाहबाज वर्तमान में देश के सबसे अनुभवी नेता हैं और उन्हें पूरे विपक्ष का समर्थन है।