देश के कुछ बड़े नेताओं, जिनमें शरद पवार, ममता बनर्जी, यशवंत सिन्हा और शौरी शामिल हैं, ने एक साझे ब्यान में जम्मू कश्मीर के तीन मुख्यमंत्रियों और अन्य राजनीतिक नेताओं को रिहा करने की केंद्र सरकार से मांग की है। यह नेता जम्मू कश्मीर में ५ अगस्त को सूबे से धारा ३७० हटाए जाने और उसका विशेष दर्जा ख़त्म किये जाने के बाद से ही बंदी बनाकर रखे गए हैं।
इन नजरबंद नेताओं में तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं। ये तीनो ही नागरिक सुरक्षा क़ानून (पीएसए) के तहत नजरबंद हैं। साझे ब्यान पर हस्ताक्षर करने वाले नेता एनसीपी, टीएमसी, माकपा, भाकपा, आरजेडी, जेडीएस आदि शामिल हैं।
एक साझा ब्यान जारी कर सोमवार को इन नेताओं ने कहा कि लोकतंत्र में इस तरह जनता के चुने प्रतिनिधियों को जेल में नहीं रखा जा सकता। इन नेताओं ने इसे लोकतंत्र की आज़ादी पर हमला करार दिया है।
साझे ब्यान पर हस्ताक्षर करने वाले नेता राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी, जनता दल (सेकुलर) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, राष्ट्रीय जनता दल के नेता और राज्यसभा सदस्य मनोज झा के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी शामिल हैं।
एक साझे ब्यान में इन नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के सभी नेताओं को रिहा करने की मांग की है और कहा है कि लोकतंत्र का गाला घोटा जा रहा है।