पंजाब में स्थापित उद्योगों का पाँच लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश राज्य से बाहर जा रहा है। तो क्या पंजाब अभी औद्योगिक निवेश के लिए सुरक्षित नहीं या फिर राज्य सरकार की नीतियाँ ज़्यादा प्रतिकूल हैं। राज्य में गैंगस्टर गतिविधियों से राज्य में निवेश पर का$फी असर पड़ा है। कारोबारियों से फ़िरौती और हत्या जैसी कई घटनाओं ने बड़े घरानों को पंजाब इस समय निवेश के लिए ज़्यादा अनुकूल नहीं लग रहा। यही वजह है कि एक दर्ज़न से ज़्यादा उद्योगपितयों ने पिछले दिनों लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बैठक कर वहाँ निवेश की इच्छा जतायी है। दो लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा के प्रस्ताव तो अब तक हो चुके हैं। मार्च तक यह लक्ष्य पाँच लाख करोड़ रुपये का रखा गया है। उधर मुख्यमंत्री भगवंत मान पूरी टीम के साथ राज्य में बाहरी राज्यों से निवेश की पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं। अभी वह तेलंगाना और तमिलनाडू के औद्योगिक घरानों को पंजाब में निवेश के लिए रिझाने में लगे हैं।
पंजाब कृषि प्रधान राज्य है यहाँ औद्योगिक निवेश और विस्तार की बहुत सम्भावनाएँ हैं। विशेषकर कृषि और फल संस्करण जैसे बड़े उद्योग यहाँ आसानी से लगाये जा सकते हैं। आप से पहले शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस ने इसके लिए बहुत प्रयास किये, जिसकी वजह से राज्य में जहाँ बड़े उद्योग लगे; वहीं रोज़गार के भी मौक़े पैदा हुए। आम आदमी पार्टी की सरकार का वादा पंजाब को उद्योग क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने का है। इसके लिए सरकार ने बाक़ायदा यहाँ के कारोबारियों से बेहतर माहौल बनाने के लिए सुझाव माँगे थे। राज्य सरकार निवेश के लिए हर तरह की सुविधा देने को तैयार है। क़िफ़ायती दरों पर ज़मीन, बिजली-पानी जैसी सुविधाओं के साथ नीतियाँ उनके अनुकूल बनाने को तैयार है।
सरकार ने सभी सुझावों पर आधारित औद्योगिक और व्यापार विकास नीति-2022 को मंज़ूरी प्रदान की। यह निवेश के लिए बेहद अनुकूल है बावजूद इसके पंजाब के कारोबारी यहाँ विस्तार करने के इच्छुक नहीं है। हीरो समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पंकज मुंजाल कहते हैं कि वह अपने उद्योग को पंजाब से बाहर शिफ्ट नहीं कर रहे। पंजाब उनकी कर्मभूमि है; लेकिन अब विस्तार के लिए नयी सम्भावनाएँ तलाशी जा रही है। उनका समूह उत्तर प्रदेश में बड़ा निवेश करने का इच्छुक है। यहाँ से एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल लखनऊ में वहाँ के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लम्बी चर्चा हुई। सदस्यों ने अपने-अपने प्रस्ताव दिये हैं। 1,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा के निवेश की इच्छा रखने वाले कारोबारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश अब बहुत बदल गया है। अब वहाँ से उद्योगों का पलायन नहीं, बल्कि शानदार नीतियों और सुरक्षित माहौल की वजह से निवेश हो रहा है। सरकार बड़े स्तर पर सुविधाएँ मुहैया करा रही है। सबसे बड़ी बात वहाँ कामगार ज़्यादा सुलभ है। कच्चे माल की पहुँच से लेकर आपूर्ति के लिहाज से वह पंजाब से ज़्यादा बेहतर है।
कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़े की सम्भावना के तहत पंजाब के कई बड़े घराने अब उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में विस्तार और निवेश करना चाहते हैं। कोई भी उद्योग साल दो साल के लिए नहीं दशकों तक होता है, उसके लिए बहुत कुछ देखना पड़ता है। उद्योगों के लिए इन सब बातों के अलावा सुरक्षित माहौल भी प्राथमिकता है। पंजाब में आप की सरकार के बाद क़ानून व्यवस्था की स्थिति कारोबारी घरानों को रास नहीं आ रही। वह खुलकर इसलिए नहीं बताना चाहते, क्योंकि उनका कारोबार यहाँ चल रहा है। सरकार विरोधी रवैया उनके लिए मुसीबत बन सकता है; लेकिन सच यह है कि गैंगस्टर गतिविधियों से यहाँ कारोबार जगत के लोगों में आशंकाएँ घर कर गयी है। पिछले दिनों ऐसे ही कारोबारी को फ़िरौती न देने पर सरेआम गोलियों से भून दिया गया। उसे पहले से धमकी मिली हुई थी, सरकार ने उसे सुरक्षाकर्मी भी मुहैया करा रखा था। हमले में उसकी भी मौत हो गयी। यह बिगड़ती क़ानून व्यवस्था का एक उदाहरण भर है। हालाँकि हमलावरों की गिरफ़्तारी हो चुकी है; लेकिन ऐसी घटनाएँ राज्य के मौज़ूदा माहौल में होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पंजाब में सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के बाद सरकार ने गैगस्टरों पर कार्रवाई कर अपनी इच्छा शक्ति दिखायी है।
सरकार के गठन के नौ माह के दौरान पुलिस थाने और पुलिस दफ़्तर पर रॉकेट लॉन्चर से हमले हुए। सरकार के लिए क़ानून व्यवस्था का तो कोई मुद्दा ही नहीं था; लेकिन अब बन गया है ऐसे में विकास, रोज़गार और उद्योग के क्षेत्र में पंजाब को अग्रणी राज्य बनाने के मुद्दे कहीं पीछे रह गये हैं। निजी क्षेत्र में रोज़गार के अपार अवसर हैं, जबकि सरकारी नौकरियाँ सीमित हैं। इस ही ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान नये पंजाब की परिकल्पना में उद्योग को प्राथमिकता दे रहे हैं; लेकिन फ़िलहाल नतीजे आशानुकूल नहीं हैं। वे बाहरी राज्यों से निवेश से पहले यहाँ स्थापित उद्योगों को देखे।
जैसा की अभी प्रस्तावित है कि पंजाब से क़रीब पाँच लाख करोड़ रुपये का निवेश यहाँ से बाहर होगा, तो क्या इसे अब भी रोका जा सकता है। पूरा नहीं, तो कुछ भाग अब भी राज्य में निवेश हो सकता है। सरकार को इस दिशा में गम्भीरता से मनन करना होगा। 3,000 करोड़ रुपये के मुक़ाबले राज्य से हज़ारों करोड़ों रुपये निवेश बाहर जाना सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाता है। यही निवेश पंजाब में होता, उद्योग लगते लाखों युवाओं को रोज़गार मिलता। उद्योग केवल सीधे रोज़गार ही नहीं देता, बल्कि अपरोक्ष तौर पर रोज़ी-रोटी देता है। सरकार को बड़ा राजस्व मिलता है, वहीं उसकी प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। कुछ माह पहले जर्मनी के दौरे के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बहुराष्ट्रीय कम्पनी बीएमडब्लू के पंजाब में निवेश की घोषणा की थी; लेकिन जल्द ही कम्पनी ने इसका खंडन कर दिया। इस वजह से उनकी और सरकार की $खूब आलोचना भी हुई।
वैसे पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के क़रीब नौ माह में कोई बड़ा निवेश नहीं हुआ है। सरकार का दावा है कि 30,000 करोड़ रुपये के निवेश के लिए प्रस्ताव तैयार है, इनमें टाटा समूह जैसे बड़े घरानों के नाम हैं। अभी धरातल पर कुछ नहीं हुआ है, जबकि इसके विपरीत पंजाब के बड़े घरानों में हीरो समूह, एवन, नाहर और वीएपी समूह जैसे समूह पंजाब से बाहर निवेश के लिए बिलकुल तैयार हैं। लुधियाना के एक बड़े कारोबारी कहते हैं कि पंजाब की बनिस्बत अब उत्तर प्रदेश ज़्यादा सुरक्षित और ठीक है। वह मार्च से पहले 350 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। वहाँ सरकार की नीतियाँ पंजाब के मुक़ाबले ज़्यादा ठीक है, सिंगल विंडों पर सभी काम हो रहे हैं। पंजाब से उद्योगों का पलायन तो नहीं; लेकिन भविष्य के लिए ख़तरनाक संकेत है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के अलावा देश के बाहरी राज्यों के उद्योगपतियों को पंजाब में निवेश के जबरदस्त प्रयास कर रहे हैं। वहीं उनके अपने राज्य के उद्योग बाहर जा रहे हैं। साइकिल उद्योग में नामी एवन समूह उत्तर प्रदेश में 500 करोड़ रुपये, हीरो समूह 350 करोड़ रुपये वीएपी समूह 2,000 करोड़ रुपये के निवेश की इच्छा जता रहे हैं। कुल मिलाकर 2,30,000 करोड़ रुपये के निवेश की तैयारी है। एक तरह से पंजाब का निवेश यहाँ से बाहर जा रहा है। आप सरकार को इस पर गम्भीरता से विचार करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान का उद्योग जगत में अग्रणी बनाने का सपना कहीं सपना बनकर ही न रह जाए।
“पंजाब उद्योग लगाने के लिए बेहतर राज्य है। सरकार की औद्योगिक और विकास नीति-2022 कारोबारियों के सुझावों पर आधारित है। टाटा स्टील, वेरबयो, फ्रूडेनबर्ग, संथान टेक्सटाइल जैसी कई कम्पनियों से राज्य में निवेश का अनुबंध हो चुका है। कई बड़े घरानों से सकारात्मक बातचीत चल रही है। पंजाब में बड़ा निवेश होगा और राज्य इसमें अग्रणी भूमिका निभाएगा। बाहरी राज्यों से कारोबारी कृषि आधारित संयंत्र राज्य में लगाएँगे। इससे निजी क्षेत्र में यहाँ के युवाओं को रोज़गार के मौक़े मिलेंगे। पंजाब के मौज़ूदा उद्योगपतियों से यहाँ निवेश के लिए तैयार किया जाएगा। सरकार का पूरा रोडमेप है। आने वाले समय में इसके नतीजे देखने को मिलेंगे।’’
भगवंत मान
मुख्यमंत्री, पंजाब
“मुख्यमंत्री भगवंत मान विदेशों और बाहरी राज्यों से निवेश के दावे कर रहे हैं, जबकि उनके यहाँ के कारोबारी बाहरी राज्य जा रहे हैं। सरकार क़ानून व्यवस्था बनाये रखने में नाकाम रही है। असुरक्षित माहौल में यहाँ के कारोबारी उत्तर प्रदेश में विस्तार के लिए निवेश कर रहे हैं। यह पंजाब के लिए अच्छी बात नहीं है। उद्योगों से पंजाब में खुशहाली आएगी; लेकिन आप सरकार अपनी नीतियों और कमज़ोर नेतृत्व के चलते अपने दावे पर खरी नहीं उतर सकेगी।’’
प्रताप सिंह बाजवा
वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पंजाब
“राज्य में बढ़ते अपराध, बिगड़ती क़ानून व्यवस्था और कमज़ोर नेतृत्व के चलते यहाँ होने वाला निवेश बाहरी राज्यों में जा रहा है। पंजाब के अप्रवासी भारतीय भी अब राज्य में निवेश नहीं कर रहे। मुख्यमंत्री भगवंत मान को निवेश पर झूठे दावे बन्द करने चाहिए। सच क्या है, वह लोगों के सामने आ रहा है।’’
अश्विनी शर्मा
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष, पंजाब