नेपाल में एक बार फिर राजनीतिक संकट के संकेत मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पार्टी के सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड में तनातनी के बीच ओली ने मंगलवार को ‘बड़ा ऐक्शन’ लेने की बात कहकर नेपाल में चर्चाओं का रास्ता खोल दिया है। इससे वहां राजनीतिक संकट का अंदेशा बढ़ गया है।
ओली और प्रचंड के बीच सुलह की कोशिशें नाकाम होने की खबर है और दोनों में तनाव चरम पर पहुंच गया है। दहल पार्टी के जो बैठकें कर रहे हैं उनपर ओली ने सख्त ऐतराज जताते हुए कह दिया है कि इन बैठकों की जरूरत नहीं है और यदि उनके खिलाफ फैसला किया जाता है तो वह ‘बड़ा ऐक्शन’ ले सकते हैं।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस समय दहल और वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल एकजुट हो गए हैं। ओली फिलहाल झुकने को तैयार नहीं हैं और यह बात पार्टी में बंटवारे का रास्ता खोल सकती है। नेपाल में हाल के महीनों में ओली के चीन के साथ ज्यादा नजदीकियां बढ़ाने पर भी वहां के खिलाफ नाराजगी बढ़ी है।
अब ओली के ‘बड़े ऐक्शन’ की धमकी के बाद नेपाल में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। सभी यह चर्चा कर रहे कि आखिर ओली क्या बड़ा ऐक्शन ले सकते हैं। चर्चा है कि ओली अपनी सरकार खतरे में देखकर संसद को भंग करने का भी फैसला कर सकते हैं। वर्तमान घटनाओं के बाद वरिष्ठ नेता झालानाथ खनल का ब्यान सामने आया है जिसमें उन्होंने साफ़ कहा है कि वे नहीं जानते कि ‘ओली के बिग ऐक्शन का क्या मतलब है। लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है, क्योंकि पार्टी सामूहिक रूप से कोई फैसला करेगी’।
बता दें ओली ने अप्रैल में एक अध्यादेश लाया था, जिसमें पार्टी में बंटवारे और नई पार्टी के पंजीकरण को लेकर परिवर्तन की बात थी। तब भारी विरोध और आलोचना के बाद उन्हें अध्यादेश वापस लेना पड़ा था। हालांकि, कहा जा रहा है कि ओली इस तरह का अध्यादेश ला सकते हैं। ओली नई पार्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए नियमों में बदलाव करना चाहते हैं। अप्रैल के अध्यादेश में कहा गया था कि पार्टी में बंटवारे या नई पार्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए संसदीय पार्टी या सेंट्रल कमिटी के 40 फीसदी सदस्यों की सहमति की आवश्यकता होगी। पार्टी के कई नेताओं का यह भी कहना है कि ओली संसद को भंग कर सकते हैं।