इजरायल में लंबी खींचतान के बाद आखिरकार एकबार फिर बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली। हालांकि इस बार उन्हें अपनी विरोधी पार्टी से समर्थन मिला है, जिसके साथ आधा-आधा कार्यकाल यानी 18-18 महीने पीएम पद साझा करना होगा।
यह शपथग्रहण तीन दिन पहले ही होना था, लेकिन मंत्री पद को लेकर लिकुड पार्टी में अंदरूनी कलह के कारण शपथग्रहण को टालना पड़ा था। आखिर में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हो गया।
नेतन्याहू और उनके विरोधी से सत्ता में साझीदार बने बेनी गैंट्ज ने नई सरकार के गठन की घोषणा की थी। चार दिन तक चले खींचतान के बाद 36 कैबिनेट मंत्री और 16 उपमंत्रियों ने पद की शपथ ली। पूर्व सैन्य प्रमुख रहे नेतन्याहू और गैंट्ज ने पिछले महीने एलान किया था कि कोरोना वायरस महामारी और गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे देश को उबारने के लिए निजी मतभेदों को भुलाकर मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया था।
आलोचकों ने महामारी के कारण पहले ही इजरायल में बेरोजगारी में 25 फीसदी की बढ़ोतरी को देखते हुए इतना बड़ा मंत्रिमंडल बनाने की आलोचना की है।
वीटो पावर दोनों पार्टियों के पास
सत्ता के बंटवारे के तहत पहले 18 महीने नेतन्याहू देश के प्रधानमंत्री होंगे, जबकि शेष 18 महीने गैंट्ज प्रधानमंत्री होंगे। इसी तरह कैबिनेट में भी दोनों दलों के बराबर-बराबर मंत्री होंगे। इसे बावजूद नेतन्याहू के हिस्से में कम ही मंत्री पद आएंगे, क्योंकि उन्होंने कई छोटे दलों को भी अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। वहीं किसी बड़े फैसले पर दोनों पक्षों के पास वीटो पावर होगा।