प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देहरादून में आयोजित उत्तराखंड के पहले दो दिवसीय निवेशक सम्मेलन का उद्दघाटन करते हुए कहा कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में हो रहे बडे बदलावों के साथ भारत आज निवेशकों के लिए उपयुक्त निवेश गंतव्य बन गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दशकों में भारत विश्व की आर्थिक वृद्धि का इंजन होगा।
दो दिवसीय ‘ डेस्टिनेशन उत्तराखंड: इंवेस्टर्स समिट 2018’ में देश के उद्योगपतियों और व्यावसायियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि वर्तमान में देश अभूतपूर्व सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि निवेशकों के लिए आज का समय बहुत अनुकूल है और आने वाले दशकों में भारत विश्व की आर्थिक वृद्धि का इंजन बन जायेगा।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि निवेश के माहौल को अनुकूल बनाने के लिए पिछले चार वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने दस हजार से ज्यादा कदम उठाये हैं। इससे कारोबार सुगमता के मामले में भारत की स्थिति में 42 अंकों का सुधार हुआ है।
जीएसटी को स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार बताते हुए मोदी ने कहा कि इसके लागू होने से पूरा देश एक साझा बाजार में बदल गया है। बैंकिग क्षेत्र में भी बहुत सुधार हुआ है। ढांचा गत क्ष़ेत्र में दस हजार किलोमीटर राजमार्ग का निर्माण हुआ है जो पहले की सरकारों की तुलना में दोगुना है। 100 नये हवाई अड्डे और हेलीपैड बनाये जा रहे हैं। दूसरी ओर तीसरी श्रेणी के शहर हवाई संपर्क से जुड़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विभिन्न शहरों में दु्रत गति की रेल परियोजनायें और मेट्रो रेल परियोजनाएं चल रही हैं।
उन्होंने कहा,”निवेशकों को मेरा संदेश है कि वे भारत में अपने उत्पादों का विनिर्माण करें, केवल भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए भारत उत्पादन का केंद्र बने।
गरीब परिवारों के लिए शुरू की गई स्वास्थ्य योजना -‘आयुष्मान भारत’ का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना के जरिए भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में भी निवेश की संभावना बढ़ी है। आयुष्मान भारत से स्वास्थ्य सुविधा खासकर अस्पतालों, डाक्टरों, पैरामेडिक्स और दवाइयों के क्षेत्र में उत्तराखंड में अपार संभावनायें हैं।
उत्तराखंड ऐसा राज्य है जो पूरे देश को हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और सौर ऊर्जा दे सकता है। उन्होंने कहा,”आज उत्तराखंड तेज गति से आर्थिक विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है।’’
उत्तराखंड में निवेश की संभावनाओं को तलाशनें के लिए कई औद्योगिक घराने सम्मेलन में देहरादून पहुंचे। अडानी, आईटीसी, पतंजलि, महेंद्रा एंड महेंद्रा जैसे समूहों ने निवेश मंच को साझा किया। इसके अलावा जापान और चेक गणराज्य के राजदूत भी निवेश की संभावनाओं को तलाशते दिखे। सिंगापुर ने तीन बड़े सेक्टरों- स्मार्ट सिटी, पर्यटन और एयर कनक्टिविटी में उत्तराखंड के साथ समझौता करने की बात कही।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में विशेष कर इस बात पर जोर दिया कि भारत में इंफ्रास्टक्चर पर जितना इस समय खर्च किया जा रहा है, उतना पहले कभी नहीं किया गया। उत्तराखंड हमारे न्यू इंडिया को रिप्रजेंट करता है। राज्य के विकास के लिए त्रिवेंद्र रावत की सरकार भरसक प्रयास कर रही है। वे आगे कहते हैं कि भारत ने निवेशकों के लिए बेहत्तर माहौल तैयार किया है। अब जापान की कार हिंदुस्तान में बन रही है। भारत इसे एक्सपोर्ट कर रहा है। अब जरूरत इस बात की है जो बातें और वायदे हुए हैं, वो जल्दी से जल्दी जमीन पर उतरें। जिससे उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार मिले। मुख्यमंत्री ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दे दिया है। वे आगे कहते हैं पिछले दो साल में केंद्र और राज्य सरकार ने ईज आफ डुइंग विजनेस के लिए 10 हजार से ज्यादा कदम उठाये हैं। जिससे इसमें 42 अंकों का सुधार हुआ है। 14 सौ से ज्यादा कानून खत्म किये। टैक्स सुधार के मानकों में सुधार की प्रक्रिया तेज की। भारत में विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता है। बैंकिंग सिस्टम को ताकत मिली है। जीएसटी के तौर पर स्वतंत्रता के बाद सबसे ज्यादा टैक्स मिला। आटोमोबाइल के क्षेत्र में भारत आगे बढ़ रहा है। पीएम ने आगे स्पष्ट किया कि इस इवेंट में जापान उत्तराखंड का पार्टनर है। अगर राज्यों के पोटेंशियल को चैनलाइज किया जाए तो कोई भारत के विकास को नहीं रोक सकता है। दुनिया के कई देशों से ज्यादा हमारे राज्यों की सामथ्र्य है। भारत में सौ से ज्यादा नेशनल वाटरगेज बनाने का काम हो रहा है। भारत में हाउसिंग फोर आल, पावर फोर आल, बैंकिंग फोर आल जैसी अनेक योजनाओं के लक्ष्य को पूरा करने की तरफ बढ़ रहा है।
किसानों को लाभ मिले इसलिए फूड प्रोसेसिंग पर हमारा ध्यान केंद्रित है। इसीलिए मैं एग्रीकल्चर में निवेश करने का आग्रह करता हूं। हम जितना ज्यादा निवेश प्राइवेट एग्रीकल्चर क्षेत्र में करेंगे उससे भारत की अर्थव्यवस्था को नया आयाम मिलेगा। दुनिया का नेतृत्व करने की ताकत भारत में है। उत्तराखंड में इतने संसाधन हैं कि वह हिंदुस्तान को पोटेंशियल बना सकता है। मोदी कहते हैं मेेक इन इेडिया केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे दुनिया के लिए है। दुनिया के अनेक बड़े ब्रांड मेक इन इंडिया का हिस्सा हैं।
उत्तराखंड में पहली बार आयोजित हुए इस निवेश कुंभ का पीएम नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया।
इनवेस्टर्स समिट को 12 कोर सेक्टर में बताया जा रहा है इससे लगभग 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव आये हैं।
दूसरे दिन के समिट में सीएम रावत ने कहा कि निवेशकों का राज्य को लेकर रुझान काफी बेहतर दिखाई दिया। निवेशक चाहते हैं कि राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश किया जाए। इससे राज्य सरकार भी काफी उत्साही है।
दूसरी ओर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आर्थिक दृष्टि से कमजोर होने के कारण यहां से पलायन हुआ है। लेकिन अब जिस प्रकार से प्रयास किये जा रहे है,ं उससे पलायन तो रुकेगा ही साथ ही जो लोग यहां से गये हैं, वह भी वापस आयेंगे। इस समय उत्तराखंड और केंद्र में स्थाई सरकार है। 2019 के चुनाव में क्या होगा, यह मुझे बताने की जरूरत नहीं है। इस लिए मैं अभी दोनों सरकारों को स्थाई कह रहा हूं।
पिछली सरकरों में नारायण दत्त तिवाड़ी की सरकार ने सिडकुल बनाये थे, जो औद्यौगिक केंद्र के तौर पर स्थापित किये गये थे, बाहर से बहुत सारे उद्योग उत्तराखंड में औद्योगिक घरानों ने इस लिए लगाये कि उन्हें टैक्स होली डे की छूट केंद्र सरकार से मिली थी। जब तक यह छूट जारी रही, तब तक उत्तराखंड में चहल पहल रही। जैसे ही टैक्स होली डे की छूट की अवधि समाप्त हुई, वेसे ही वे कारखाने गायब हो गये हैं और होने की कगार पर हैं। उद्योगपति भी अपना बोरिया विस्तर ले कर किसी और राज्य की ओर ताक रहे हैं, जहां उन्हें ऐसी छूट मिल जाए। प्रदेश और विकास जाए भाड़ में। उन्हें तो अपने पर्स खाली नहीं करने हैं। यह सिलसिला उत्तराखंड में चल रहा है। मुझे तो लगता है यदि निवेशकों को आमंत्रित कर राज्य का भला सोचा जा रहा है और उसकी ओर कदम भी बढ रहे हैं, लेकिन इसके लिए ऐसी सावधानियों की जरूरत है, जिसमें प्रदेश की भूमि पूरी की पूरी उनके हिस्से न चली जाए और उत्तराखंड का जो मूल निवासी हैं, वह अपनी भूमि से ही बेदखल न हो जाए।
एक शर्मनाक घटना उत्तराखंड की वर्तमान सरकार के पक्ष में जाती है, जिसमें अपने ही प्रदेश के धारचुला के सात गांव चीन की कृपा से पल रहे हैं। एक राष्ट्रीय अखबार ने इस पर संज्ञान ले कर बताने की कोशिश की है कि ऐसा भी इस उत्तराखंड की भूमि पर चल रहा है। बात पिथौरा गढ़ जिले की है। चीन उनकी दैनिक जरूरतों को पूरा कर रहा है। ये गांव है-बुंदी, गुंजि, गर्बियांग, कुटि, नापल्चू, नभि और रौनकोंग, इन गांवों में नमक, खाने का तेल, गेहूं और चावल चीन में पैदा हुआ आ रहा है। यह सामान नेपाल के द्वारा आ रहा है। इसका कारण है कि वहां तक पहुंचने के लिए सभी सड़कें टूटी हैं। यह घाटी कई महीनों से बंद पड़ी है। जो थोड़ा बहुत राशन उन्हें मिलता है, वह भी पीठ पर ढ़ुलाई कर ले जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन्हें 30 रुपये वाला एक किलो का नमक 70 रुपये में मिल रहा है। इनका नजदीक का बाजार धारचुला का है। चीन से नेपाल के जरिए आने वाला सामान भारत से महंगा है। यहां के 400 परिवरों के लिए जो राशन मिलता है, वह पूरा नहीं है। एक परिवार के लिए महीने भर का राशन 2 किलो चावल और 5 किलो आटा निश्चित कर रखा है। यहां तक पहुंचने वाली सड़के सारी टूटी हुई हैं। यह सोचने की बात है। माना एक परिवार में 5 सदस्य हैं तो महीनेभर का राशन जो उन्हें मिल रहा है वह किसी भी तरह से पर्याप्त नहीं हो सकता। वहां के लोग मानते हैं कि हम अपने ही देश में अनाथों का जीवन बिता रहे हैं। चीन की ओर से हमें राशन पानी नहीं मिलता तो ये चार सौ परिवार जिंदा भी नहीं रह पातें।
कहने का मतलब यह है कि इन बिसंगतियों के बीच हमारी उत्तराखंड की सरकार देश और विदेश में रोड शो कर क्या दिखाना चाहती है। क्या इन रोड शो पर पैसा नहीं खर्च हो रहा है। जो पैसा खर्च हो रहा है, वह जनता का ही पैसा है। कोई अपनी जेब से नहीं खर्च कर रहा है।
आगे आने वाला समय ही बतायेगा कि निवेश की यह पूंजी जो इकठ्ठी हुई है, उसका उपयोग सही तरह से हो भी पायेगा या नहीं। और जो उद्योगपति निवेश कर रहे हैं, वह किस कीमत पर उत्तराखंड को आबाद कर पायेंगे।