जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 आज चार साल हो गए है। 5 अगस्त 2019 को यह हटाई गई थी। हालांकि कश्मीर के नेता और कुछ विपक्ष दल सरकार के इस फैसले से नाराज है। और सरकार के इस फैसले को अन्याय और विश्वास का उल्लंघन बताते हैं।
गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि, अनुच्छेद 370 ने केवल भ्रष्टाचार और अलगाववाद को बढ़ावा दिया था। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने के लिए यह बेहद जरूरी था।
सरकारी डेटा के अनुसार, धारा 370 खत्म किए जाने से 10 महीने पहले की तुलना 5 अगस्त 2019 से 6 जून 2022 के बीच हुई आतंकवादी घटनाओं में 32 प्रतिशत की गिरावट आई है। सुरक्षाबलों की मौतो में 52 प्रतिशत और नागरिकों की मौतो में 14 प्रतिशत की गिरावट आई है। साथ ही नए आतंकियों की भर्तियों में 14 प्रतिशत की कमी में देखी गई है।
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में जनवरी से जुलाई के बीच में घाटी में पथराव की 76 घटनाएं हुई है। वर्ष 2020 में इसी अवधि में पत्थरबाजी की 222 और 2019 में 618 घटनाएं हुई थी।
आंकड़ों के मुताबिक पत्थरबाजी की घटनाओं से साल 2019 में सुरक्षा बल के 64 जवानों को चोट आई थी। वर्ष 2021 में यह घटकर 10 रह गई। साल 2021 की इस अवधि में यह संख्या गिरकर 25 रह गई थी।
वहीं वर्ष 2022 से जम्मू-कश्मीर प्रशासन लॉ एंड ऑर्डर से जुड़ा समग्र डेटा एकत्र कर रहा है जिसमें पथराव की घटनाएं भी शामिल हैं। डेटा के अनुसार 2022 में जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था खराब होने की केवल 20 घटनाएं हुई।
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार आतंकवादी समूहों के ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) की गिरफ्तारियां 2019 (जनवरी-जुलाई) में 82 से बढ़कर 2021 में इसी अवधि में 178 हो गई है।