कौन
ठेका श्रमिक
कब
25 अप्रैल, 2014 से
कहां
भारत एल्युमिनियम कंपनी (कोरबा- छत्तीसगढ़)
क्यों
भारत सरकार ने कारखाना अधिनियम 1970 में संशोधन कर श्रमिकों के हितों के लिए विशेष प्रावधान किए हैं. इनके मुताबिक किसी भी कंपनी को ठेका श्रमिकों का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होता है. जिस प्रारूप में श्रमिकों का रिकॉर्ड रखा जाता है उस प्रारूप को फॉर्म-14 कहा जाता है. देश के सबसे बड़े एल्युमिनियम प्लांट कहे जाने वाले कोरबा स्थित भारत एल्युमिनियम कंपनी (बाल्को) में कारखाना अधिनियम के इसी प्रावधान का उल्लंघन हो रहा है. बालको के श्रमिकों का आरोप है कि उनका फॉर्म- 14 नहीं भरा जा रहा है. जबकि नियमानुसार बगैर इस फॉर्म को भरे कंपनी प्रबंधन श्रमिकों को परिसर में प्रवेश नहीं दे सकती. श्रमिकों का यह भी कहना है ऐसा करके उन्हें उनके हक से वंचित किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ संविदा एवं ग्रामीण मजदूर संघ (इंटक) के महासचिव संतोष सिंह का आरोप है, ‘ हमारी मांग केवल इतनी है कि हमें हमारा फॉर्म-14 दिखाया जाए. लेकिन जब प्रबंधन ने उसे भरा ही नहीं तो हमें दिखाएगा कहां से. ऐसे में कोई दुर्घटना होती है तो हमें इसका मुआवजा नहीं मिल सकेगा.’
अपने अधिकारों को लेकर संगठन ने 19 अप्रैल को प्रबंधन को पत्र लिखा था और चेतावनी दी थी कि यदि सात दिनों के अंदर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो श्रमिक हड़ताल पर चले जाएंगे. इसके बाद भी कंपनी प्रबंधन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. इसके बाद श्रमिक 25 तारीख से हड़ताल पर चले गए. बाल्को में प्रतिदिन पहली पाली में लगभग पांच हजार श्रमिक कार्य पर पहुंचते थे, लेकिन उन्होंने इस तारीख के बाद काम पर आना बंद कर दिया. इसके साथ ही अन्य पालियों के श्रमिक भी काम पर नहीं आ रहे हैं.
वैसे कंपनी द्वारा फॉर्म-14 न भरे जाने से जुड़ी श्रमिकों की आशंकाएं अकारण नहीं हैं. दरअसल आज से ठीक साढ़े चार साल पहले सितंबर, 2009 बाल्को परिसर में एक निर्माणाधीन चिमनी भरभरा कर गिर गई थी. 240 मीटर ऊंची इस चिमनी के गिरने से 40 श्रमिकों की मौत हुई थी. उस समय बाल्को प्रबंधन पर आरोप लगा था कि हादसे में कहीं ज्यादा श्रमिकों की मौत हुई है लेकिन कंपनी में इन ठेका मजदूरों की कोई वैध पंजीयन की व्यवस्था न होने की वजह से बाकी लोगों को मुआवजा नहीं मिल पाया.
तहलका ने ताजा हड़ताल के बारे में बाल्को के सीईओ रमेश नायर से बात करने की कोशिश की तो उनका कहना था कि उन्हें इस बारे में कुछ जानकारी नहीं है. वहीं कंपनी के जनसंपर्क अधिकारी विनोद श्रीवास्तव को फॉर्म-14 न भरवाने के प्रबंधन के फैसले में कुछ भी गड़बड़ी नहीं दिखती. वे कहते हैं, ‘ छत्तीसगढ़ के किसी भी संस्थान में फॉर्म-14 नहीं भरवाया जाता इसलिए हम भी यह नहीं भरवाते. ‘ बालको कारखाना अधिनियम के इस नियम का उल्लंघन कर न सिर्फ श्रमिकों के साथ अन्याय कर रही है बल्कि वह कानून की नजर में अवैध गतिविधियों में भी शामिल है. कोरबा के सहायक श्रम आयुक्त सत्यप्रकाश वर्मा कहते हैं, ‘ कोई भी कंपनी ऐसा करती है तो यह कारखाना अधिनियम की धारा 92 के तहत दंडनीय अपराध है.