इस सदी के सबसे लंबे चंद्रग्रहण को भारत समेत दुनिया के कई देशों में देखा गया। भारत में यह दिल्ली, पुणे, बेंगलुरु और मुंबई समेत सभी शहरों में देखा गया।
रात 11.54 मिनट पर शुरू होनेवाले चंद्र ग्रहण की कुल अवधि अपने विभिन्न चरणों के दौरान 3 घंटे 55 मिनट रही।
शुरू होने के बाद ये पहले काले और फिर धीरे-धीरे लाल रंग में तब्दील होता गया। चांद के इस रूप को ‘ब्लड मून’ भी कहा जाता है।
लोगों ने कई घंटों बड़े उत्साह के साथ चंद्र ग्रहण का इंतज़ार किया. भारत में चंद्र ग्रहण के दौरान कई लोगों ने गंगा स्नान भी किया।
नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक ये 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण था।
खगोलशास्त्रियों का कहना है कि इस चंद्रग्रहण को देखने के लिए किसी उपकरण की जरूरत नहीं हुई। देश के अधिकांश हिस्सों में इसे बिना टेलीस्कोप से देखा जा सका।
हालांकि मौसम खराब होने की वजह से कई जगहों पर बादलों की वजह से लोग इस अद्भुत खगोलीय घटना को नहीं देख सके। कई चैनलों और वेबसाइट पर चंद्र ग्रहण की सीधी तस्वीरें दिखाई गईं।
सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच में इस तरह आ जाती है कि चांद धरती की छाया से छिप जाता है. यह तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिल्कुल सीध में हों।
पूर्णिमा के दिन जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है. इससे चंद्रमा के छाया वाला भाग अंधकारमय रहता है और इस स्थिति में जब हम धरती से चांद को देखते हैं तो वह भाग हमें काला दिखाई पड़ता है. इसी वजह से इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
ये चंद्र ग्रहण उत्तरी अमरीका को छोड़ कर पृथ्वी के अधिकांश भाग में दिखा लेकिन पूर्ण चंद्र ग्रहण यूरोप के अधिकांश भागों, मध्यपूर्व, मध्य एशिया और ऑस्ट्रेलिया में देखा गया।