कोरोना महामारी के प्रकोप पर नियंत्रण पाने के लिए पिछले साल दिल्ली की तिहाड़, मंडोली व रोहिणी जेलों से 6740 कैदियों को पेरोल पर रिहा किया गया था। इनमें से 1184 दोषी पाए जा चुके है।
इन कैदियों को जेल से रिहा करने का मकसद यह था कि, जेल में भीड़ को कम करना और भीड़ के कम होने से कोरोना पर रोक लगाई जा सकें। व बढते संक्रमण को रोका जा सकें। इन कैदियों में अधिकतर कैदी पहले से ही गंभीर बिमारियों से पीड़ित थे। इनमें से कुछ टीबा, एचआर्इवी, कैंसर, किड़नी की बिमारी, हेपटाइटिस बी या सी, और दमा जैसी बिमारियों से पीड़ित थे।
इन कैदियों को पहले आठ हफ्तों के लिए जेल से रिहा किया गया था और बढ़ती महामारी के चलते इनकी समय सीमा अलग-अलग समय पर बढ़ा दी गई। कैदियों को सरेंडर करने के लिए 7 फरवरी से 6 मार्च का समय निर्धारित किया गया था।किंतु जेल से पेरोल पर छोड़े गए कैदियों में से फिलहाल 3468 कैदी लापता है। और पुलिस द्वारा की गर्इ जांच पड़ताल में यह सामने आया कि, उनके घरों पर जाकर जब पुलिस ने जांच कि तो वह घर पर मौजूद नहीं थे, और ना ही घर वालों को उनकी कोई खबर थीं।