पुलिस निजाम में अपराधियों से गठजोड़ की अनेक कहानियाँ आपने सुनी होंगी, या शायद किसी ऐसी सच्चाई से रू-ब-रू भी हुए होंगे। यह कोई नयी बात नहीं है। चिंगारी चमकने पर दागी पुलिस कर्मियों पर कोई कार्रवाई हुई भी, तो फौरी तौर पर मुअत्तल किये जाने सरीखी ही हुई है। अलबत्ता ऐसे पुलिसकॢमयों को बर्खास्त करने-कराने की अफवाहों का बाज़ार ज़्यादा गरम रहा। लेकिन इस बार मीडिया की सक्रियता ने दािगयों को बचने-बचाने का मौका नहीं दिया। खानसामों और माफिया की प्राइवेट पाॢटयों में आने-जाने वाले ऐसे पुलिकॢमयों की खबरें मीडिया में जमकर आयीं।
लेकिन ‘तहलका’ ने अपने 31 जनवरी के अंक में ‘‘खाकी की साख पर सवाल’ शीर्षक से व्यापक रिपोर्ट छापकर सरकार की गवर्नेंस पर कई सवाल खड़े कर दिये। नतीजतन हडक़ंप मचा, तो पुलिस सुप्रीमो डीजीपी भूपेन्द्र यादव को कहना पड़ा कि आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों और माफिया की पार्टी में शिरकत करने वालों तथा उनसे रिश्ते गाँठने वालों पर कार्रवाई होकर रहेगी। नतीजा यह हुआ कि एसएचओ स्तर के पुलिस अधिकारी सूर्यवीर और जोधाराम को बर्खास्त कर दिया गया। गौरतलब है कि जोधाराम के मृतक हिस्ट्रीशीटर रणवीर चौधरी तथा अन्य बदमाशों के साथ गोवा के कुछ फोटो फेसबुक पर वायरल हुए थे। इसी क्रम में साइबर सेल के इंचार्ज अजीत मोगा को भी विभागीय जाँच के बाद निलंबित कर दिया गया। वहीं, कोटा के हेडकांस्टेबल रवीन्द्र मलिक को हनी ट्रैप के मामले में लिप्त पाये जाने पर पहले ही बर्खास्त कर दिया गया था। बर्खास्त किये गये विज्ञान नगर थाने के निरीक्षक सूर्यवीर सिंह के फार्म हाउस पर दी गयी पार्टी में एसपी के निजी सहायक और गनर तक मौज़ूद थे। किन्तु उन्हें सिर्फ निलंबन की ही सज़ा दी गयी। अलबत्ता डीआईजी रविदत्त गौड़ कुछ और भी कहते हैं कि पुलिसकर्मियों का बदमाशों के साथ उठना-बैठना दो जुदा परिस्थितियों में होता है। बदमाशों का संग-साथ कभी इसलिए भी ज़रूरी होता है, ताकि उनकी गतिविधियों और साज़िशों का पता लगता रहे। लेकिन पुलिसकर्मियों को अपनी मर्यादा का खयाल खुद रखना चाहिए। अहम बात तो यह है कि किसी पुलिसकर्मी और बदमाशों के बीच यदि घनिष्ठता साबित होती है, तो वह पुलिसकर्मी गुनहगार माना जाएगा। रविदत्त गौड़ ने यह भी बताया कि पुलिसकर्मियों और बदमाशों के बीच गठजोड़ से ज़मीन के भावों में एकदम उछाल और अचानक से गिरावट आ जाती है, क्योंकि ज़मीन के सौदे बदमाश करवाते हैं और वे अपने फायदे के लिए पुलिसकर्मियों का इस्तेमाल करते हैं। इसी के चलते भ्रष्टाचार होता है।
अलबत्ता यह एक कड़वी सच्चाई ही कही जाएगी कि बजरी माफिया से लेकर नशे की तस्करी करने वालों से भी कई पुलिसकॢमयों के मधुर रिश्ते निकलते रहे हैं। अब पुलिस और अपराधियों के बीच मधुर रिश्ते होंगे, तो अपराधों की गिरह कैसे खुलेगी? अपराधी सीना तानकर क्यों नहीं कहेंगे कि उनका कोई क्या बिगाड़ सकता है? और अपराध कैसे होगा खत्म?