केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने दशकों पहले गुप्त रूप से देश से छीनी गई दस उत्कृष्ट मूर्तियों को बुधवार को तमिलनाडु सरकार को सौंपा। यह सभी मूर्तियां ऑस्ट्रेलिया, यूएसए, कनाडा, फ्रांस, निदरलैंड, जर्मनी, सिंगापुर और यूके से भारत लाई गई है।
मूर्तियों की जांच किए गए मामलों में पाया गया की यह सभी मूर्तियां तमिलनाडु की केस प्रॉपर्टी हैं। कांस्य और पत्थर में निर्मित ये दस प्राचीन वस्तुएं, उत्कृष्ट प्राचीन भारतीय कला के आदर्श है और तमिलनाडु के इतिहास में चोल और विजयनगर काल के लिए उपलब्ध है।
इनमें से आठ चोल काल की मूर्तियां कांसे की बनार्इ गर्इ हैं, जो शिल्प कौशल और धातु विज्ञान में प्रतिभा को प्रदर्शित करती हैं, जबकि दो अन्य को विजयनगर काल के दौरान पत्थर में शानदार ढंग से तराशा गया है। इन 10 मूर्तिकला रत्नों में दो द्वारपाल, कांस्य में एक नृत्य नटराज शामिल हैं। 11वीं शताब्दी सीई से संबंधित कंकलमूर्ति और नंदिकेश्वर, 12वीं शताब्दी सीई के एक चार-सशस्त्र विष्णु, 10वी-11वीं शताब्दी सीई के लिए देवी पार्वती, 12वीं शताब्दी सीई की शिव-पार्वती, और बाल संत संबंदर की दो मूर्तियां, एक खड़ी और एक उल्लासपूर्ण नृत्य मुद्रा में है।
इन दस पुरावशेषों में से दो द्वारपाल और संत संबंदर की दो मूर्तियां क्रमश वर्ष 2022 और वर्ष 2022 में ऑस्ट्रेलिया से प्राप्त की गई है। शेष छह मूर्तियां पिछले कुछ वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका से वापस लाई गई हैं।
यह संपत्तियां डॉ. के. जयंत मुरली आईपीएस, एडीजीपी, तमिलनाडु सरकार के आइडल विंग को दिल्ली के संस्कृति मंत्रालय के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में आयोजित एक समारोह में सौंपी गर्इ। इस समारोह के मुख्य अतिथि सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरूगन रहे, साथ ही इस समारोह में संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी व संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी इस समारोह में मौजूद रहे।
इस अवसर पर मीनाक्षी लेखी ने कहा कि, “वर्ष 2013 तक केवल 13 ही मूर्तियां वापस लाई गई थी किंतु, प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में वर्ष 2014 से 2022 तक ऐसी कुल 228 मूर्तियां भारत वापस लाई गई है। मुझे उम्मीद है देश की धरोहर को उनके स्थान पर बड़े ही प्यार और सम्मान से सहेजा जाएगा।“